अध्यात्म

विष्णुपद मंदिर में आकर सीता मां ने किया था अपने पिता का पिंडदान, पितरों को मिल जाती है मुक्ति

विष्णुपद मंदिर बिहार राज्य के गया में है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में भगवान विष्णु के पदचिह्नों के दर्शन करने से हर पाप से मुक्ति मिल जाती है। इस मंदिर से जुड़ी कथा के अनुसार अगर पितृपक्ष में आकर यहां श्राद्ध किया जाए तो पूर्वजों को पुण्यलोक की प्राप्ति होती है। यहीं वजह है कि पितृपक्ष के दौरान इस मंदिर में काफी श्रद्धालु आते हैं और अपने पूर्वजों का श्राद्ध किया करते हैं। ये मंदिर धर्मशिला नाम से भी प्रसिद्ध है। इस मंदिर में पितरों का तर्पण करने के बाद भगवान विष्णु के चरणों के दर्शन किए जाते हैं।

विष्णुपद मंदिर से जुड़ी कथा

विष्णुपद मंदिर से एक कथा जुड़ी हुई है और इस कथा के मुताबिक राक्षस गयासुर को काबू में करने के लिए उनके ऊपर धर्मपुरी से माता धर्मवत्ता शिला को रखा गया था और इसे शिला को रखने के बाद भगवान विष्णु ने अपने पैरों से इसे दबा दिया था। शिला को दबाने के कारण भगवान विष्णु के पैरों के निशान इस शिला पर अंकित हो गए।

ऐसी मान्यता है कि ये मंदिर दुनिया का एकलौता ऐसा मंदिर है जहां पर भगवान विष्णु के चरणों के निशान के दर्शन किए जा सकते हैं। इस मंदिर में भगवान विष्णु के चरणों यानी पदचिह्नों का श्रृंगार रक्त चंदन से किया जाता है। मंदिर में बनें हुए भगवान विष्णु के चरणों पर गदा, चक्र, शंख आदि तरह की चीजों को अंकित भी किया गया है।

ये मंदिर काफी सालों पुराना हैं और फल्गु नदी के पश्चिमी किनारे पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण कसौटी पत्थर से किया गया है और ये पत्थर अतरी प्रखंड से लाए गए हैं। आपकों बता दें कि कसौटी पत्थर बेहद ही खास पत्थर होता है और इस पत्थर का प्रयोग सोने को कसने के लिए किया जाता है। विष्णु भगवान को समर्पित किया गया ये मंदिर बेहद ही भव्य हैं और इस मंदिर की ऊंचाई सौ फीट है। जबकि इस मंदिर में  44 पीलर। इतना ही नहीं इस मंदिर के शीर्ष पर 50 किलो सोने का एक कलश और 50 किलो सोने का एक ध्वजा भी लगी हुआ है। जबकि मंदिर के गर्भगृह में 50 किलो चांदी का छत्र और 50 किलो चांदी का अष्टपहल है और इसके अंदर ही भगवान विष्णु की चरण पादुका रखी गई हैं।

पिंडदान करना होता है उत्तम

इस मंदिर में आकर अपने पुर्वजों का पिंडदान करने से पिंडदान सफल हो जाता है और उन्हें शांति मिल जाती है। इस मंदिर में दूर-दूर से लोग पिंडदान करने के लिए आते हैं। वहीं 54 वेदियों में से 19 वेदी विष्णपुद में ही हैं। यहां पर पितरों की मुक्ति के लिए पिंडदान किया जाता है। इसके अलावा ये भी मान्यता है कि यहां पर आकर अगर भगवान विष्णु के चरणों के चिन्ह को स्पर्श करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और इंसान को बुरे कामों से मुक्ति मिल जाती है।

सीता जी ने किया था अपने पिता का पिंडदान

ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में आकर ही माता सीता ने अपने पिता दशरथ का पिंडदान किया था और पिंडदान करते हुए माता सीता ने बालू फल्गु जल से पिंड अर्पित किया था। और तभी से यहां पर आने लोग बालू से ही पिंड देने लगे।

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