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ब्रेन ट्यूमर की अंतिम स्टेज पर हैं, लोगो की साँसों में जिंदा रह सके इसलिए कर रही ये ख़ास काम

कैंसर एक ऐसी चीज हैं जिसका नाम सुनते ही कपकपी छूट जाती हैं. ओई भी व्यक्ति नहीं चाहता हैं कि उसे ये बिमारी हो. पर जिंदगी का कोई भरोसा नहीं होता हैं. कब किसे क्या हो जाए. ऐसे में हमें जितनी भी जिंदगी मिली हैं उसका सदुपयोग करना चाहिए. अच्छे काम करना चाहिए. शायद इसी सोच के चलते गुजरात के सूरत की रहने वाली 27 वर्षीय श्रुचि वडालिया अपने कैंसर की अंतिम स्टेज पर भी समाजसेवा के काम कर रही हैं. श्रुचि को ब्रेन ट्यूमर हैं. आखरी स्टेज वाला. ऐसे में अपनी जान की फ़िक्र करने की बजाए उन्हें आने वाली जनरेशन की चिंता हैं. वे नहीं चाहती कि भारी पर्यावरण प्रदुषण के चलते लोगो में केंसर जैसी बिमारी पैदा हो. इसलिए वो वृक्ष रोपण की अपनी एक मुहीम चला रही हैं. श्रुचि पीछे दो वर्षों में अभी तक 1100 पौधे लगा चुकी हैं. श्रुचि का कहना हैं कि हो सकता हैं वो कुछ दिनों बाद ज़िंदा ना बचे. लेकिन इन पौधों को लगाकर वो लोगो की साँसों में हमेशा के लिए जिंदा रहना चाहती हैं.

कैंसर और वृक्षारोपण पर बात करते हुए श्रुचि ने शहरवासियों को एक ख़ास खत लिखा हैं. इस खत में उन्होंने अपने कैंसर के अनुभव और पर्यावरण प्रदुषण को रोकने के महत्त्व को बताया हैं. उन्होंने कहा कि एक दिन मैं अपने दोस्तों संग बात कर रही थी, तभी मेरी आँखों के सामने अचानक अँधेरा छाया और मैं बेहोश हो गई. आँख खुली तो खुद को हॉस्पिटल में पाया. डॉक्टर ने बताया कि मुझे ब्रेन ट्यूमर हैं. मुझे लगा ये कोई मजाक हैं. इतनी आसानी से विश्वास ही नहीं हुआ. 25 डॉक्टरों को दोबारा दिखाया. सभी ने यही बात बतलाई. तुम्हे ब्रेन ट्यूमर हैं. यदि आप से कोई कहे कि आपको कैंसर हैं, तो कैसा महसूस करोगे? मुझे ये कड़वी सच्चाई हजम नहीं हो रही थी. मैंने कई सपने देखे थे, जिन्हें पूरा करना था, लेकिन अब जैसे जिंदगी चाँद दिनों में ही सिमट के रह गई.

फिर सोचा ऐसा मेरे साथ ही क्यों हो रहा था. मेरा रूटिंग बदला. किमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी बहुत दर्दनाक थी. 36 बार इन दोनों को करने से बाल भी झाड़ गए. जब कैंसर हॉस्पिटल में जाती थी तो छोटे बच्चे भी दीखते थे. सोचा इन मासूमो ने किसी काअक्य बिगाड़ा हैं. धीरे धीरे मैंने कैंसर वाली बात को स्वीकार कर लिया. सोचा जाना ही हैं तो पहले कुछ अच्छा कर के जाउंगी. इस काम में मेरे 8वी क्लास से दोस्त रहे सारंग ने साथ दिया. कैंसर की बात का पता होने के बावजूद उसने मुझ से शादी रचाई.

मैंने सोचा मेरे कैंसर की बिमारी को तो ख़त्म नहीं किया जा सकता हैं लेकिन इसके कारण को ख़त्म कर बाकी लोगो को कैंसर से मुक्त जरूर रखा जा सकता हैं. मैं फ्यूचर जनरेशन की लाइफ बर्बाद नहीं होने देना चाहती थी. इसलिए मैंने पौधे लगाना शुरू कर दिए. वायु प्रदुषण की वजह से कैंसर भी हो सकता हैं. मुझे भले हुआ लेकिन बाकी लोगो को नहीं होना चाहिए. बस यही वजह हैं कि पिछले दो सालो से वृक्षारोपण कर रही हूँ. अभी तक 1100 पौधे भी लगा दिए हैं. आप भी एक पौधे को लगा कर लाखों जिंदगियां बचा सकते हैं.

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