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इनकम टैक्स स्लैब में हो सकता है बदलाव, ये होंगे नए स्लैब 5%, 10% और 20%

5 लाख से 10 लाख और 10 लाख से अधिक आय वाले लोगों को आने वाले समय में कम फीसदी टैक्स भरना पड़ सकता है। जी हां, हाल ही में डायरेक्ट टैक्स कोड पर बने पैनल ने वित्त मंत्रालय को एक रिपोर्ट सौंपी है और इस रिपोर्ट में इस पैनल ने वित्त मंत्रालय के सामने ये प्रस्ताव रखा है। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि जिन लोगों की आय 5 लाख से 10 लाख रुपए तक की है उनसे 20 फीसदी टैक्स की जगह 10 फीसदी टैक्स लिया जाए। वहीं जिन लोगों की आय 10 लाख रुपए से अधिक है उन लोगों से 30 फीसदी की जगह 20 फीसदी टैक्स लिया जाए। अगर डायरेक्ट टैक्स कोड पर बने पैनल के इस प्रस्ताव को वित्त मंत्रालय की और से मंजूरी मिल जाती है तो आने वाले समय में लोगों को टैक्स भरने में बड़ी राहत मिलेगी।

आपको बात दें कि मौजूदा टैक्स स्लैब के अनुसार 2.5 लाख से 5 लाख रुपए तक की आय वाले लोगों को 5 फीसदी टैक्स देना होता है। 5 लाख से 10 लाख रुपए तक की आय वाले लोगों को 20 फीसदी टैक्स भरना होता है। जबकि 10 लाख से ज्यादा आय कमाने वाले लोगों को 30 फीसदी टैक्स का भुगतान करना पड़ता है। वहीं अगर सीमित के कहने पर टैक्स स्लैब रिवाइज कर लिए जाते हैं तो 5 लाख से 10 लाख रुपए और 10 लाख से ज्यादा आय कमाने वाले लोगों को कम टैक्स भरना होगा।

आखिर क्यों पेश किया ये प्रस्ताव

दरअसल डायरेक्ट टैक्स कोड पर बने पैनल ने वित्त मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट के अंदर कहा है कि अगर टैक्स स्लैब को कम कर दिया जाता है। तो आने वाले समय में लोग टैक्स की चोरी नहीं करेंगे और कम फीसदी टैक्स को समय पर भर देंगे। हालांकि पैनल ने ये भी कहा है कि ये फैसला लेने से  2-3 साल के लिए रेवेन्यु में कमी हो सकती है। लेकिन बाद में टैक्स भरने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि होगी और लोग टैक्स की चोरी भी नहीं करेंगे।

अपनी रिपोर्ट में पैनल ने और भी कई तरह के प्रस्ताव वित्त मंत्रालय के सामने रखें है जिनमें से एक सुझाव मध्यस्थता पैनल का गठन करने का भी है। जिससे टैक्स अनुपालन को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। इसके अलावा पैनल ने डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (DDT) को खत्म करने का प्रस्ताव भी वित्त मंत्रालय को दिया है और कहा है कि कंपनियों से उस डिविडेंट इनकम पर टैक्स लेना चाहिए। जिसका हिस्सा उन्होंने शेयरहोल्डर्स को नहीं दिया है। पैनल के अनुसार डीडीटी के चलते कंपनियों को दोगुना टैक्स देना पड़ता है।

आपको बता दें कि मौजूदा दौर में भारतीय कंपनियों को किसी वित्त वर्ष में घोषित या चुकाए गए कुल डिविडेंड पर 15 प्रतिशत का डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स देना पड़ता है। इस पर 12 प्रतिशत सरचार्ज  और 3 प्रतिशत एजुकेशन सेस भी लगता है।

बनाएं रखें कैपिटल गेंस टैक्स

पैनल ने वित्त मंत्रालय से कहा है कि वो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स (LTCG) और सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) को बरकरार ही रखें और सभी कैपिटल गेंस को तीन कैटेगरी में रखें जो कि फाइनेंशियल इक्विटी, फाइनेंशियल अन्य और नॉन फाइनेंशियल है।

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