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राजा और ज्योतिषी की कथा: प्रतिभाशाली लोग अपने लक्ष्य तक जरूर पहुंचते हैं

एक राजा बेहद ही धार्मिक हुआ करता था और इस राजा के दरबार में एक ज्योतिषी हुआ करता था। ये ज्योतिषी काफी बूढ़ा था और एक दिन इसकी मृत्यु हो जाती है। अपने राज दरबार के ज्योतिषी के निधन से राजा बेहद ही दुखी हो जाता है और कई दिनों तक अपने आपको कमरे में बंद कर लेते हैं। एक दिन राजा से मिलने के लिए उनका मंत्री उनके कमरे में जाता है और राजा से कहता है, महाराज आप कब तक इस कैमरे से बाहर नहीं आएँगे? राज दरबार में हर कोई आपको देखना चाहता है। राजा अपने मंत्री से कहते, हमें एक नए ज्योतिषी की जरूरत है और ज्योतिषी का चुनाव होते ही मैं वापस से राज दरबार आना शुरू कर दूंगा। राजा अपने मंत्री को कहता है कि वो आसपास के राज्यों में ये घोषण कर दें कि हमें अपने दरबार के लिए एक ज्योतिषी चाहिए और जो ज्योतिषी सबसे बुद्धिमान होगा उसका चुनाव किया जाएगा। राजा की आज्ञा मिलते ही मंत्री अपने राज्य सहित आसपास के राज्यों में इस बात की घोषणा करवा देता है कि राजा को एक ज्योतिषी की जरूरत है और जो भी ज्योतिषी चाहे वो आकर साक्षात्कार में भाग ले सकता है।

हजारों ज्योतिषियों का साक्षात्कार लेने के बाद मंत्री ने तीन ज्योतिषी को चुना और उनसे कहा कि राजा आप तीनों से मिलकर बात करेंगे और जो राजा को पसंद आएगा उसको चुन लिया जाएगा। राजा अगले दिन तीनों ज्योतिषियों को अपने दरबार में बुलाते हैं और इन तीनों से बारी बारी मिलते हैं। पहले ज्योतिषी से मिलकर राजा उससे सवाल करते हैं, आप मुझे ये बताएं की आप भविष्य किस तरह से देखते हैं? राजा का ये सवाल सुन ज्योतिषी कहता है, महाराज में कुंडली के आधार पर भविष्य देखता हूं। राजा दूसरे ज्योतिषी से भी यहीं सवाल करते हैं और दूसरा ज्योतिषी कहता है, महाराज में ग्रहों की चाल के आधार पर भविष्य बताता हूं। राजा फिर तीसरे ज्योतिषी से मिलते हैं और उससे भी यहीं सवाल करते हैं। तीसरा ज्योतिषी राजा को कहता है, मैं कुंडली और ग्रहों की चाल देखकर भविष्य बताता हूं।

राजा को इन तीनों ज्योतिषियों का जवाब पसंद नहीं आता है और इस दौरान राजा को एक ज्योतिषी की याद आती है जो कि उन्हें जंगल के एक मंदिर में मिला था। राजा तुरंत अपने मंत्री को जंगल जाकर उस ज्योतिषी को लाने का आदेश देते हैं। मंत्री जंगल में जाकर उस ज्योतिषी से मिलता है और उन्हें अपने साथ राजा के पास ले आता है। राजा उस ज्योतिषी को देखकर उनसे कहते हैं, क्या आपको इस बात की सूचना नहीं मिली थी कि मैं एक ज्योतिषी की तालश में हूं? ज्योतिषी कहता है हां मैंने सुना था। राजा फिर इस ज्योतिषी से साक्षात्कार में भाग ना लेने का कारण पूछते हैं। तब ये ज्योतिषी कहता है महाराज मैं भविष्य देख सकता हूं और मुझे पता था कि आप मुझे ही अपना नया ज्योतिषी नियुक्त करने वाले हैं। इसलिए मैंंने साक्षात्कार में भाग नहीं लिया। ज्योतिषी की ये बात सुन राजा बेहद ही खुश हो जाते हैं और उसे राज दरबार का ज्योतिषी  नियुक्त कर लेते हैं।

कथा की सीख – जो लोग प्रतिभाशाली होती है, वो अपने लक्ष्य तक जरूर पहुंचते हैं।

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