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आर्टिकल 370 पर इस विधवा ने कही अपनी दिल की बात, 8 साल पहले पति कश्मीर में हुए थे शहीद

5 अगस्त को राज्यसभा में 370 आर्टिकल को पास करवाने के बाद देश के गृहमंत्री अमित शाह ने 6 अगस्त को लोकसभा में इस बिल को पारित करवाया। देश में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर में भारत के दूसरे राज्यों की तरह कानून लागू हो गया है। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर से लद्दाख भी अलग हो गया है। इसके साथ ही बहुत सारी चीजें भी सही होंगी जो आजतक कश्मीर किसका है इसका झगड़ा हुआ करता था। आर्टिकल 370 पर इस विधवा ने कही अपनी दिल की बात, चलिए बताते हैं क्या है ये खबर ?

आर्टिकल 370 पर इस विधवा ने कही अपनी दिल की बात

8 साल पहले कश्मीर की घाटियों में मेजर कुंवर आदित्य सिंह शहीद हो गए थे। आदित्य सिंह राजस्थान की राजधानी जयपुर के चौमूं ठिकाने के नाथावत कच्छावा वंश से ताल्लुख रखते थे। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराएं हटाने और राज्य को दो केंद्रशासित क्षेत्रों में विभाजित करने के कदम का शहीद आदित्य की पत्नी और पूर्व रॉयल फैमिली की बहू रुक्षमणि कुमारी ने दिल से समर्थन किया और वे इससे बहुत खुश भी हैं। कांग्रेस पार्टी से संबंध रखने वाली रुक्षमणि ने पार्टी की लीक से हटकर #KashmirHamaraHai हैशटैग के साथ ट्विटर पर अपनी राय दी है। रुक्षमणि के पति यानी मेजर आदित्य सिंह भारतीय सेना में थे और साल 2011 में कश्मीर में शहीद हुए थे. 32 साल की उम्र में रुक्षमणि जीवनसाथी को खोने के बाद भी टूटी नहीं बल्कि मजबूती के साथ अपने परिवार को संभाला। अब वे बच्चों और महिलाओं के लिए सोशल वर्क भी करती हैं। साल 2016 में रुक्षमणि ने स्टार फाउंडेशन नाम की एक एनजीओ शुरू की और यहां पर वे बेसहारा महिलाओं और अनाथ बच्चों के विकास के लिए कुछ अच्छे कामों को अंजाम देती हैं। इस एनजीओ के अनुसार सरकारी स्कूलों में अब तक करीब 23 हजार छोटे बच्चों जूते पहनाए जा चुके हैं. दरअसल, उनके एनजीओ स्टार शू प्रोजेक्ट जरिए सरकारी स्कूलों में काम कर रहा है.

रुक्षमणि कुमारी ने अपने एनजीओ के बारे में बताते हुए कई बातें शेयर की हैं। उन्होंने कहा, ”हमारा मकसद सिर्फ शू पैकेट बांटना नहीं है बल्कि हम समाज में अवेयरनेस पैदा करना चाहते हैं. सोशल वर्क के साथ रुक्षमणि पिछले लंबे समय से बड़े राजनीतिक, पूर्व राजपरिवारों, बिजनेस घरानों के आयोजनों में भी नजर आती हैं. एक साल पहले ऐसा माना जा रहा है कि वे जल्द ही राजनीति में कदम रखने वाली हैं. मगर उनकी तरफ से ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं हो रही है। रुक्षमणि के अनुसार उन्होंने जब चौमूं में सोशल वर्क शुरू किया तो उसके बाद वहां कई और बड़ी समस्यां सामने आईं. रुक्षमणि बताती हैं कि बिना राजनीतिक प्रतिनिधित्व के क्षेत्र की समस्याओं का निपटारा करवाना संभव नहीं है. इस आर्टिकल के हटने के बाद से देश की बहुत सी जनता खुश है और अब भारत का अंग बन चुका जम्मू-कश्मीर में हर इंसान दिल्ली- मुंबई की तरह घूम-फिर या बस पाएगा।

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