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माँ की तरह बनना हैं बच्चों का फेवरेट तो हर पिता को करने चाहिए ये 5 काम

कहते हैं माँ अपने बच्चे के सबसे करीब होती हैं. जब भी बच्चे को चोट लगती हैं या वो बीमार रहता हैं तो सबसे पहले अपनी माँ को ही याद करता हैं. एक माँ के साथ बच्चा अपने दिल की सभी बातें खुल कर बोल देता हैं. माँ के सामने वो ज्यादा कम्फर्ट महसूस करता हैं और उसे कुछ भी कहने में कोई हिचक भी नहीं होती हैं. दूसरी तरफ जब पिता की बात आती हैं तो बच्चा उसे अपने सारे सीक्रेट नहीं बताता हैं. पिता के साथ एक दूरी सी बनी रहती हैं. ऐसा नहीं हैं कि बच्चा उन्हें प्यार नहीं करता हैं बस वो उनसे उस तरह कनेक्ट नहीं हो पाता हैं जैसा कि माँ के साथ होता हैं. ऐसे में कई बार पिता को बुरा भी लगता हैं कि वो अपने बच्चे के ज्यादा करीब नहीं हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए आज हम आपको कुछ ऐसी टिप्स बताने जा रहे हैं जिसे आजमाने के बाद हर पिता, माँ की तरह ही बच्चो का फेवरेट बन जाएगा.

1. गलतियां माफ़ करे: लगभग हर बच्चे को अपने पिता से डर जरूर लगता हैं. जब भी उससे कोई गलती होती हैं तो उसे पिता की डांट या मर का टेंशन होने लगता हैं. जबकि माँ का दिल थोड़ा नर्म होता हैं और वो बच्चो की गलतियाँ जल्दी माफ़ कर देती हैं. यही वजह हैं कि बच्चा अपनी माँ को सब कुछ बता देता हैं और पिता से बातें छिपाता हैं. इसलिए आप भी थोड़ा नर्म दिल के बनिए और बच्चे से गलती होने पर डांटने या मारने की बजाए प्यार से समझाए और माफ़ कर दे.

2. प्यार का शो ऑफ: इस बात में कोई शक नहीं कि एक पिता अपने बच्चे से बहुत प्यार करता हैं. हालाँकि वो इसका कोई शो ऑफ नहीं करता हैं. ऐसे में बच्चे आपके दिल की बात नहीं समझ पाते हैं. उन्हें लगता हैं पिताजी ज्यादा प्रेम नहीं करते हैं. इसलिए कभी कभी आपको अपने प्रेम का शो ऑफ करना चाहिए. उसकी केयर करे, उसके हालचाल ले, उसे कोई गिफ्ट लाकर दे. कुल मिलकर उसे अपने प्रेम का एहसास कराते रहे.

3. साथ में एन्जॉय करे: पिता और बच्चे साथ में बहुत कम समय बिताते हैं. यदि वे एक साथ हो भी तो उस दौरान खुलकर मस्ती नहीं हो पाती हैं. एक दूरी बनी रहती हैं. पिता को आगे आकर इस दूरी को ख़त्म करना चाहिए. थोड़ा हंसी मजाक, कहीं साथ में घुमने जाना और एन्जॉय करना आपको बच्चों के और भी करीब ले आएगा.

4. केयरिंग: बच्चो की देखरेख के मामले में माँ का मुकाबला करना कोई आसान काम नहीं हैं. लेकिन आपको अपनी तरफ से ये पूरी कोशिश करनी चाहिए कि आप समय समय पर बच्चे की परवाह कर रहे हैं. उसकी हर छोटी बड़ी जरूरतों का ध्यान रख रहे हैं. वो बीमार होता हैं तो उसकी सेवा भी करते हैं. इस तरह उसके दिल में आपके लिए ख़ास जगह बन जाएगी.

5. ज्यादा सख्त ना बने: बच्चों को गलत राह पर चलने से रोकने के लिए सख्ती जरूरी होती हैं. हालाँकि हर छोटी या बेमतलब की बातों में बंदिसे लगाना सही नहीं हैं. आपको उन्हें थोड़ी बहुत छूट देते रहना चाहिए. मसलन उन्हें घुमने की, खान की, अपनी पसंद के कपड़े पहनने की इत्यादि छूट दे दिया करे. यदि किसी काम के लिए सख्त बनना भी पड़े तो बाद में नरमी से पेश आए और उन्हें अपना पक्ष भी समझाए.

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