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दाह संस्कार के पहले मृत युवक ने खोली आँखें, परिजनों से करने लगा इस चीज की मांग

इस प्रकृति का एक सख्त नियम हैं, जिसका जन्म होता हैं उसे एक ना एक दिन इस दुनियां को छोड़ जाना भी पड़ता हैं. इस सत्य से अब तक कोई भी नहीं बच नहीं सका हैं. हालाँकि ये बात भी सच हैं कि आप इस दुनियां से कब जाएंगे ये ऊपर वाला ही तय करता हैं. यहां हर व्यक्ति के आने और जाने की टिकट उसी के हाथ में होती हैं. शायद यही वजह हैं कि हम कुछ मामले ऐसे भी देखते हैं जहाँ व्यक्ति मौत के मुंह में जाकर भी वापिस आ जाता हैं. ऐसा ही एक मामला लखनऊ के अमीनाबाद से आया हैं. यहां एक युवक के डाह संस्कार की तैयारियां चल रही थी कि तभी उसे तेज पसीना आने लगा और उसने आँखें खोल दी. इतना ही नहीं इसके बाद वो युवक एक खास चीज की डिमांड भी करने लगा. आइए इस पुरे मामले को थोड़ा और विस्तार से जानते हैं.

दरअसल अमीनाबाद के कल्लन की लाट के रहने वाले 28 वर्षीय संजय (पिता गुरुप्रसाद) को तबियत खराब होने की वजह से परिजन डॉक्टर के पास ले गए थे. डॉक्टर ने संजय को पीलिया होने की बात बताई थी. उसका चार पांच दिनों तक इलाज भी चला लेकिन जब इससे कोई फायदा नहीं हुआ तो शनिवार के दिन एक प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. संजय को शनिवार सुबह 10 बजे एडमिट किया गया था. फिर रविवार सुबह डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया. इस बात से निराश लोग संजय को घर ले आए और उसके अंतिम संस्कार की तैयारियां करने लगे.

संजय के दाह संस्कार की पूर्ण तैयारी हो गई, रिश्तेदार भी आ गए, अर्थी भी रेडी थी. लेकिन इसी बीच संजय के शरीर में कुछ हलचल होने लगी. फिर उसने अचानक अपनी आँखे खोल ली. ये नजारा देख लोग काफी घबरा गए. संजय ने इशारे से परिजनों से पानी मांगने का इशारा भी किया. ऐसे में परिवार वाले आनन फानन में संजय को तुरंत हॉस्पिटल ले गए और उसे फिर से एडमिट कर दिया. रिश्तेदारों का कहना हैं कि जब संजय को डॉक्टर्स ने मृत घोषित किया था उसके शव पर कपड़ा ढक दिया था. इस कारण उसके शरीर से लगातार पसीना भी आ रहा था.

हालाँकि संजय को जब बलरामपुर अस्पताल में लाया गया तो कुछ देर बाद उसने दुबारा दम तोड़ दिया. संजय के शरीर में हरकत सुबह 10 बजे के आसपास हुई थी. परिजन उसे 11:10 को अस्पताल के इमरजेंसी रूम में ले आए थे. फिर कुछ समय बाद डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया. ऐसे में अंत में संजय का दाह संस्कार किया गया.

बता दे कि ये कोई पहला मामला नहीं हैं जब ऐसी घटना हुई हैं. इसके पहले 1 जुलाई के दिन इंदिरा नगर के रहने वाले 24 वर्षीय फुरकान को निराला नगर के हॉस्पिटल में मृत घोषित किया था. फिर जब उसे परिजन कब्र में दफनाने लगे थे तो उसकी सांस चलने लगी थी. ऐसे में परिजन उसे दुबारा अस्पताल ले गए और भारती कराया था.

वैसे आप ने क्या कभी इस तरह का कोई मामला देखा या सूना हैं? अपने जवाब कमेंट में जरूर बताए.

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