अध्यात्म

अमावस्या की रात जपे शनिदेव का ये शक्तिशाली मंत्र, जीवन के हर कष्ट होंगे नष्ट

दोस्तों ऐसा कहते हैं जब जीवन में कष्ट और दुःख आते हैं तो ऐसे आते हैं कि फिर जाने का नाम ही नहीं लेते हैं. हम सभी की लाइफ में एक ऐसा समय जरूर आता हैं जब हम सबसे अधिक दुखी रहते है. हमें कुछ समझ नही आता हैं कि इन दुखो से आखिर कैसे छुटकारा पाया जाए. इस स्थिति में कई लोग डिप्रेशन में भी चले जाते हैं. इसका उनके काम और स्वास्थ्य दोनों पर ही नकारात्मक असर पड़ता हैं. आपके जीवन में जब इस तरह के दुःख के बादल छाने लगे तो समझ जाना कि दुर्भाग्य आपकी राशि में कुंडली मार के बैठ गया हैं. अब ये इतनी आसानी से नहीं जाने वाला हैं. इसे भगाने का बस एक ही तरीका हैं कि आप स्वयं शनिदेव की सहायता ले.

शनिदेव एक बेहद शक्तिशाली देवता माने जाते हैं. उनके पास इतनी सारी पॉवर होती हैं कि वे पलभर में किसी का भी दुःख समाप्त कर सकते हैं. यदि आपके जीवन में किसी भी प्रकार का कष्ट या परेशानी हैं तो आपको शनिदेव को प्रसन्न करने की कोशिश करनी चाहिए. अधिकतर मामलो में व्यक्ति के दुर्भाग्य का कारण चंद्र-शनि दोष का संयोग माना जाता हैं. इस योग को विष योग के नाम से भी जाना जाता हैं. यदि ये किसी व्यक्ति की कुंडली में आ जाए तो उसके जीवन में दुखो की कतारे लग जाती हैं. इससे बचने के लिए भी आप हमारा बताया उपाय ट्रॉय कर सकते हैं. एक बात यहां ध्यान दे कि यदि आपको ये दोष ना भी हो तो भी आप अपनी लाइफ की अन्य परेशानियों के लिए इस उपाय को जरूर करे.

शनिदेव का यह उपाय आपको अमावस्या की रात को करना होगा. ये वो दिन होता हैं जब आसमान में चाँद नहीं दिखाई देता हैं. अर्थात आपके इस चंद्र-शनि दोष की मुक्ति में कोई बाधा भी नहीं आएगी. उपाय को करने के लिए आप अमावस्या की रात खुले आसमान के नीचे जाए. इसके खुले मैदान, छत या बालकनी का इस्तेमाल कर सकते हैं. यहां आप शनिदेव की एक प्रतिमा काले कपड़े के ऊपर रखे. साथ ही उनके सामने सरसों के तेल के 7 दीपक जलाए. इसके अलावा काला तिल भी एक थाली में रख दे. अब हाथ में एक काला धागा ले और उसमे 7 गठाने बाँध दे. इस धागे की हर गठान को पकड़ कर इस मंत्र का उच्चारण करे –

नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्, छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामी शनैश्चरम.

इस मंत्र को आपको 7 बार काले धागे की सातों गठान को पकड़ते हुए बोलना हैं. इसके बद शनिदेव का नाम लेते हुए ये काला धागा अपने गले, हाथ, या पैर में पहन ले. अब शनिदेव की आरती करे. इसके बाद उनके सामने माथा टेक अपनी समस्यां बताए. अब शनिदेव की प्रतिमा को अपने साथ लेकर सोने के लिए चले जाए. दीपकों को आप वहीं अपने स्थान पर जलने के लिए छोड़ सकते हैं.

नोट: आप ने जो काला धागा पहना हैं उसे यदि आपको जब भी उतारना हैं तो अमावस्या की रात को ही शनिदेव का नाम लेते हुए उतारे. वैसे इसे कम से कम 7 सप्ताह तक आपको पहने रखना चाहिए.

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