अध्यात्म

जानिए क्यों जरूरी होता है घर में तुलसी का पौधा और तुलसी से जुड़े महत्व

तुलसी के महत्व का वर्णन कई सारे पुराणों में किया गया है। गरुड़, पद्म, ब्रह्मवैवर्त, स्कंद और भविष्य पुराण में तुलसी के पौधे को विशेष पौधा बताया गया है। इन पुराणों के अलावा आयुर्वेद और विज्ञान में भी तुलसी के पौधे को काफी महत्वपूर्ण माना गया है। तुलसी के पौधे की ना केवल पूजा की जाती है बल्कि इस पौधे का प्रयोग कई तरह की दवाईयों को बनाने में भी किया जाता है। वहीं जब भी भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है तो इनकी पूजा के दौरान तुलसी के पत्ते का प्रयोग करना अनिवार्य माना जाता है।

पद्म पुराण में तुलसी के पौधे (basil in hindi) का वर्णन एक श्लोक में किया गया है और श्लोक में तुलसी के पौधे के बारे में लिखा गया है कि तुलसी के पौधे के दर्शन करने से ही सारे पापों का नाश हो जाता है। इस पौधे को स्पर्श करने से ही शरीर एकदम पवित्र हो जाता है। तुलसी के पत्तों का प्रयोग पूजा के दौरान करने से मोक्षरूपी फल प्रदान होता है। भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में इसे चढ़ाने से हर कामान पूरी हो जाती है। पद्म पुराण में तुलसी को एक देवी का रूप माना गया है।

गरुड़ पुराण के धर्म काण्ड में तुलसी के पौधे का जिक्र करते हुए लिखा गया है कि घर में तुलसी का पौधा लगाने से घर पवित्र रहता है। रोज इसकी पूजा करने से और इसे स्पर्श करने से मनुष्यों के पूर्व जन्म के पाप खत्म हो जाते हैं। ब्रह्मवैवर्त पुराण के प्रकृति खण्ड में तुलसी के बारे में लिखा गया है कि मौत के वक्त तुलसी के पत्ते सहित जल पीने से पापों से मुक्त मिल जाती है।

स्कन्द पुराण में तुलसी का वर्णन करते हुए कहा गया है कि जो लोग रोज तुलसी की पूजा करते हैं और जिन लोगों के घरों में तुलसी का पौधा होता है। उस घर में यमदूत प्रवेश नहीं करते हैं। इसलिए तरह से स्कन्द पुराण और  ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी तुलसी के पौधे का जिक्र मिलता है और इसे बेहद ही पवित्र बताया गया है।

हमारे आयुर्वेद में तुलसी के पौधे को गुणकारी बताया गया है। आयुर्वेद के अनुसा तुलसी के पत्तों का प्रयोग कर कई तरह के रोगों से निजात मिल जाती है। इसे खाने से दांत खराब नहीं होते हैं और पेट भी सही से कार्य करता है। तुलसी के पौधे पर किए गए कई तरह के शौधों में पाया गया है कि तुलसी का नियमित सेवन करने से शरीर में ऊर्जा का प्रवाह सही बना रहता है और शरीर की रक्षा कई तरह के रोगों से होती है। इम्पीरियल मलेरियल कॉन्फ्रेंस ने अपने शौध में तुलसी को मलेरिया की प्रामाणिक दवा माना है। जबकि एक अन्य शोध में पाया गया है कि तुलसी का सेवन करने से मृत कोशिकाएं जल्द ही ठीक हो जाती हैं।

तुलसी के पौधा को ना केवल धार्मिक बल्कि आयुर्वेद और विज्ञान की दृष्टि में भी काफी गुणकारी बताया गया है और इस पौधे के साथ अनेखों गुण जुड़े हुए हैं, जो इसे बेहद ही खास पौधा बनाते हैं।

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