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दूल्हा-दुल्हन के बिना ही सजा मंडप, बारात भी धूमधाम से आई, जाने कैसे हुई ये शादी

इन दिनों पुरे देश में शादी ब्याह का जबरदस्त माहोल चल रहा हैं. जहाँ देखो वहां शादी के मंडप सजते दिखाई दे रहे हैं. ऐसे में जगह जगह से शादी से संबंधित कुछ अजीबोगरीब ख़बरें भी देखने और सुनने को मिलती हैं. शादी शब्द जब भी सुनते हैं तो सबसे पहले दिमाग में दूल्हा और दुल्हन की छवि सामने आ जाती हैं. दुल्हन अपने घर में सज धज के बैठी रहती हैं और दुल्हा घोड़े पर सवार बरात लेकर आता हैं. यही शादी की आदर्श परंपरा हैं. लेकिन क्या आप ने कभी ऐसी शादी भी देखी हैं जिसमे बारात तो निकलती हैं और मंडप भी सजता हैं लेकिन दूल्हा और दुल्हन दोनों ही नहीं होते हैं. दूल्हा एवं दुल्हन के बिना शादी की कल्पना करना भी मुश्किल होता हैं. लेकिन राजस्थान के जोधपुर के बेलवा के जियाबेरी गांव में बीते गुरुवार एक ऐसा अनोखा विवाह संपन्न हुआ जिसमे दूल्हा और दुल्हन दोनों ही नहीं थे. ये बात सुन यक़ीनन आपका भी दिमाग चकरा रहा होगा और आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये कैसे संभव हैं. तो चलिए इस अनोखी शादी के बारे में थोड़ा और विस्तार से जान लेते हैं.

दरअसल ये शादी इंसानों की नहीं थी बल्कि पीपल के पेड़ की थी. हुआ ये कि गाँव में रहने वाले प्रेमसिंह दहिया ने एक पीपल के पौधे को बड़े लाड़ प्यार से अपनी संतान की तरह पाल पोश के बड़ा किया था. ऐसे में उन्होंने इसका विवाह करने का मन बना लिया. इस विवाह समारोह में ठाकुरजी की बारात भी आई जिसका जोरदार स्वागत किया गया. इतना ही नहीं इस पीपल की शादी में असली शादी की तरह सोना एवं चांदी के उपहार भेंट किए गए.

इस वजह से की पीपल की शादी

अब आप में से कई लोगो के मन में ये भी सवाल उठ रहा होगा कि आखिर कोई पीपल की शादी क्यों करवाना चाहेगा? दरअसल ये एक प्राचीन परंपरा हैं. इसका मुख्य उद्देश्य लोगो को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना हैं. आप तो जानते ही हैं कि आज के शहरीकरण के चलते पेड़ पौधे कितने कम हो गए हैं. यदि लोग जागरूक होकर पेड़ पौधे ज्यादा से ज्यादा लगाना शुरू कर दे तो ना सिर्फ वायु प्रदुषण होगा बल्कि गर्मी के दिनों में भी राहत मिलेगी. इसके अतिरिक्त ज्यादा पेड़ होने से गर्मी के बाद मानसून भी जल्दी आता हैं. बस इसी नेक सोच के चलते गाँव में पीपल की शादी का कार्यक्रम रखा गया.

वैसे बता दे कि ये कोई पहली बार नहीं हैं जब इस तरह धूम धाम से पीपल के पेड़ की शादी की गई हैं. इसके पहले 18 मई को केतुकलां स्थित अजय सिंह ढाणियों में खानुसिंह गोगादेव के घर पर भी इसी तरह पीपल का ब्याह रचाया गया था. ये समारोह काफी विशाल लेवल पर था जिसमे शादी के सभी रीती रिवाजों को निभाया गया था. यहाँ तक कि इस शादी के कार्ड भी छपवाए गए थे और मेहमानों को पंगत भी खिलाई गई थी. ये सब आपको थोड़ा अजीब लगे लेकिन इसके पीछे की वजह नेक होने से इसकी महत्ता और भी बढ़ जाती हैं.

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