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एक चोर की प्रेरक कथा: इंसान को अगर सही रास्ता दिखाया जाए तो वो सुधर सकता है

एक राज्य में एक चोर आकर रहने लग जाता है। राज्य में रहते हुए इस चोर को पता चलता है कि इस राज्य के राजा ने अपने शयनकक्ष में सोने से बनी हुई कई सारी चीजे रख रखी हैं। जिसके बाद ये चोर चोरी के मकसद को अंजाम देने के लिए राज्य महल में बावर्ची का काम करना शुरू कर देते है। इस चोर को काफी स्वादिष्ट खाना बनाना आता था और चोर के हाथों का खाना राजा को भी खूब पसंद आता है। राजा इस चोर से बेहद ही खुश हो जाते हैं और इसे इनाम के तौर पर कुछ सोने की मुद्राएं दे देते हैं। चोर सोने की मुद्राओं को देखकर खुश हो जाता है और ये सोचने लग जाता है कि उसने पहली बार अपनी मेहनत से पैसे कमाएं हैं।

एक दिन राज महल में एक संत आता है और राजा इस चोर को संत के खाने पीने का ध्यान रखने का कार्य सौंपते हैं। ये चोर दिन रात संत की सेवा में लगा रहता है और संत को स्वादिष्ट  खाना बनाकर देता है। ये संत भी चोर से काफी खुश हो जाता है। वहीं इसी बीच चोर का पता चलता है कि संत कल राज महल में प्रवचन देने वाले हैं और राज्य और राज महल के सभी लोग इनके प्रवचन को सुनने के लिए आने वाले हैं। चोर को लगता है कि यही सबसे अच्छा समय है जब वो आसानी से राजा के कमरे में जाकर चोरी कर सकता है।

अलगे दिन जब संत प्रवचन देना शुरू करते हैं तो ये चोर भी कुछ देर के लिए संत के प्रवचन सुनने के लिए राज दरबार में बैठ जाता है। संत अपना प्रवचन देते हुए कहते हैं कि ‘कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए, जिसका नमक खाओ, कभी भी उसका बुरा नहीं करो’। संत की ये बात चोर के दिल पर लग जाती है और वो गहरी सोच में पड़ जाता है। लेकिन कुछ देर बार चोर राज दरबार से उठकर चोरी करने के लिए राजा के कमरे में चले जाता है और राजा के कमरे से वो कीमत सामान उठा लेते है। मगर जैसे ही ये चोर राज महल से निकलने लगता है, इसे संत की बात याद आ जाती है और ये चोर चोरी किया हुआ सामान वापस से कमरे में रखने के लिए चले जाता है। लेकिन इस चोर को सिपाही पकड़ लेते हैं और तुरंत राजा के पास ले जाते हैं।

ये चोर राजा को पूरी बात सच-सच बताते हुए कहता है कि ‘मैं चोरी करने के मकसद से आया था लेकिन संत का प्रवचन सुनने के बाद मेरा मन बदल गया’। चोर की ये बात सुन राज दरबार में मौजूद संत राजा को कहते हैं कि वो चोर को क्षमा कर दें क्योंकि इसका मन साफ है। इसे कभी भी किसी ने सही रास्ता नहीं दिखाया इसलिए ये चोरी किया करता था। लेकिन जैसे ही इसने मेरा प्रवचन सुना इसे पता चल गया की जो ये कर रहा है वो गलत है। अगर इंसान को सही रास्ता दिखाया जाए तो वो सुधर सकता है और इस चोर ने ये बात आज सही साबित कर दी है। संत की बात को मानते हुए राजा चोर को माफ कर देते हैं और ये चोर राजा और संत से सदा सही रास्ते पर चलने का वादा करता है।

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