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ढोल-बाजे से बच्चों को स्कूल लाता हैं ये टीचर, नाचते गाते होती हैं पढ़ाई

इस दुनियां में एक शिक्षक की नौकरी सबसे ज्यादा जिम्मेदारी वाली होती हैं. वो बच्चों को जो कुछ भी पढ़ाता हैं उसी से उसका भविष्य निर्धारित होता हैं. लेकिन ये शिक्षक भी कई प्रकार के और अलग अलग सोच वाले होते हैं. मसलन कोई टीचर की जॉब बस इसलिए करता हैं क्योंकि उसे पैसो से मतलब होता हैं. खासकर कि सरकारी अध्यापकों में इस सोच वाले ज्यादा मिल जाते हैं. वहीं दूसरी और कुछ टीचर ऐसे भी होते हैं जिनके लिए पैसो से ज्यादा बच्चों का भविष्य महत्वूर्ण होता हैं. ये लोग सच में बच्चों की केयर करते हैं और उनका फ्यूचर ब्राईट करने के लिए किसी भी हद तक चले जाते हैं. इनके अंदर बच्चों को पढ़ाने की लगन या फिर कहे जूनून होता हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही जूनूनी टीचर से मिलाने जा रहे हैं जिसके पढ़ाने का तरीका और लगन देख आपका सीना गर्व से फूल जाएगा.

इनसे मिलिए. ये हैं गुजरात के साबरकांठा जिले में पढ़ाने वाले शिक्षक विशाल पंड्या. ये यहाँ के एक आदिवासी इलाके में बच्चों को पढ़ाने का काम करते हैं. इस इलाके में शिक्षा का स्तर बहुत ही कम हैं. इसकी एक वजह ये भी हैं कि यहाँ के बच्चों का पढ़ाई लिखाई में मन ही नहीं लगता हैं. कई तो स्कूल तक आने में कतराते हैं. ऐसे में इन बच्चों की पढ़ाई में रूचि जगाने और इन्हें रोजाना स्कूल तक लाने के लिए विशाल ने बड़ा ही अनोखा और दिलचस्प तरीका खोज निकाला हैं. विशाल इन बच्चों को रोजाना ढोल और शहनाई बजाकर स्कूल बुलाते हैं. इस दौरान बच्चे मस्ती में झूम नाच गाना भी करते हैं. अपने इस अनोखी तरीके की वजह से विशाल इन दिनों मीडिया और इंटरनेट पर छाए हुए हैं.

विशाल का कहना हैं कि उनके इस तरीके से बच्चे पढ़ाई में दिलचस्पी तो लेते हैं ही लेकिन साथ में उनकी स्मरण शक्ति भी तेज़ होती हैं. एक और हैरान करने वाली बात ये हैं कि विशाल इस अनोखे तरीके से गर्मी की छुट्टियों में बच्चों को पढ़ा रहे हैं. उन्होंने गाँव के सरपंच और माता पिता से कह रखा हैं कि वो इन छुट्टियों के दौरान सिर्फ दो घंटे के लिए बच्चों को उनके पास भेज दे. इन दो घंटों में विशाल की यही कोशिश रहती हैं कि बच्चों की शिक्षा की नीव मजबूत हो जाए. जहाँ एक तरफ कई टीचर्स इन गर्मी की छुट्टियों का आनंद उठाते हैं तो वहीं विशाल बच्चों को पढ़ाने जैसा नेक काम कर रहे हैं. विशाल का कहना हैं कि मेरी छुट्टियाँ बर्बाद हो जाए तो चलेगा लेकिन बच्चों का भविष्य बर्बाद नहीं होना चाहिए.

अपने इस न्यू टीचिंग टेकनिक से विशाल शिक्षको को संदेश देना चाहते हैं कि स्कूल में आराम से बैठे रहने से कुछ नहीं होगा. आपको इन बच्चों का पढ़ाई में रुझान पैदा करने के लिए हर दिन कुछ नया और क्रिएटिव करता रहना पड़ेगा. इसके साथ ही वे उन बच्चों के माता पिता को स्कूल में एडमिशन कराने के लिए जागरूक करना चाहते हैं जो पढ़ाई लिखाई को जरूरी नहीं समझते हैं. विशाल के इस अनोखे तरीके और सोच को हमारा दिल से सलाम हैं.

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