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80 रुपए उधार लेकर शुरू की थी कंपनी, आज हर साल कमाती हैं 300 करोड़ रुपए

लिज्जत पापड़! कुरम कुरम‘ आप लोगो ने ये लाइन लिज्जत पापड़ के विज्ञापन में कई बार सुनी होगी. खासकर पुराने जमाने में ये विज्ञापन बहुत मशहूर हुआ करता था. आज के जमाने में पापड़ की दुनियां में लिज्जत बहुत बड़ा नाम हैं. आप में से कई लोगो ने भी इस ब्रांड के पापड़ कई बार खाए होंगे. आज लिज्जत पापड़ हर साल 334 करोड़ रुपए का बिजनेस करता हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस कंपनी की नीव जब रखी गई थी तब इसे कुछ महिलाओं द्वारा 80 रुपए उधार लेकर शुरू किया गया था. आज हम आपको बताएंगे कि कैसे इन महिलाओं ने अपने दम पर देखते ही देखते करोड़ो का कारोबार खड़ा कर दिया.

उधार के 80 रुपए से शुरू की थी कंपनी

इस कंपनी को ऊँचाइयों तक ले जाने में सबसे बड़ा योगदान जसवंती बेन पोपट का रहा हैं. 15 मार्च 1959 को जसवंती बेन ने अपनी कुछ सहेलियों के साथ मिल पापड़ का व्यवसाय करने की सोची. ये लोग घर का खाना बना और पति को ऑफिस एवं बच्चे को स्कूल भेज देने के बाद कुछ समय के लिए खाली बैठे रहते थे. ऐसे में इस समय का उपयोग करने के लिए इन्होने पापड़ बनाना शुरू कर दिया. इसके लिए ये लोग कहीं से 80 रुपए उधार ले आए. इन पैसो से इन्होने डाल और मसाले ख़रीदे. फिर इस सामान से आटा गिनत पापड़ बेले. इन्होने पहले दिन पास की ही एक दूकान में पापड़ बना कर चार पैकेट बेच दिए. दुकानदार को इनके पापड़ जम गए. उसने और पापड़ लाने का आर्डर दे दिया. इस तरह सिर्फ 15 दिनों में इन्होने अपने उधार लिए 80 रुपए भी चुका दिए. लिज्जत पापड़ ने पहले साल 6,196 रुपये का कारोबार किया. इससे इनका कांफिडेंस बड़ा और इन लोगो ने अन्य महिलाओं को भी अपनी टीम में जोड़ लिया.

इस वर्किंग मॉडल से मिली कंपनी को सफलता

इस कंपनी का काम करने का तरीका बड़ा ही दिलचस्प हैं. इस कंपनी में काम करने वाली सभी महिलाएं अपने घर से ही काम करती हैं. दरअसल सबसे पहले ये कंपनी की मुख्य महिलाएं पापड़ का आटा गुंथती हैं. इस दौरान सभी मसाले, आटे की गुणवत्ता और साफ़ सफाई इत्यादि चेक कर ली जाती हैं. यदि ये आटा सभी माप डंडो पर खरा उतरता हैं तो इसे आगे अन्य महिलाओं के घर बाँट दिया जाता हैं. फिर यहाँ अपने घर में खाली समय मे ये महिलाएं पापड़ बेलने का काम करती हैं. जब पापड़ बन जाते हैं तो इस कंपनी के लोग आकर इन्हें कलेक्ट कर लेते हैं. फिर इसकी पेकिंग कर बेचने के लिए मार्केट भेज दिए जाते हैं. पापड़ कैसे बेलना हैं और साफ़ सफाई का कितना ध्यान रखना हैं ये सारी गाइडलाइन्स महिलाओं को पहले ही दे दी जाती हैं. इतना ही नहीं कंपनी कई बार सरप्राइज चेकिंग भी करती हैं जिसमे ये देखा जाता हैं कि महिलाएं घर में पापड़ बनाते समय साफ़ सफाई रख रही हैं या नहीं.

रोजाना बनते हैं 90 लाख पापड़

महिलाओं को ये वर्किंग मॉडल बहुत पसंद आता हैं. उन्हें काम के लिए कही बाहर नहीं जाना पड़ता हैं. वे अपनी सुविधा के अनुसार खाली समय में इन्हें बना सकती हैं. इस काम से ये महिलाएं एक दिन में 400 से 700 रुपए तक कमा लेती हैं. इन पैसो का उपयोग ये गरीब महिलाएं बच्चों की पढ़ाई या घर खर्च में करती हैं. बस यही वजह हैं कि इस कंपनी में काम करने वाली महिलाएं पूरी लगन और इमानदारी के साथ अपना काम करती हैं. वर्तमान में लिज्जत कंपनी के अंदर 40 हजार लोग काम करते हैं. ये सभी मिलकर रोजाना 90 लाख पापड़ बेलते हैं. जिन 21 महिलाओं की समिति ने इसे शुरू किया था आज वही महिलाएं इन हजारों मेंबर्स को मैनेज करती हैं. इस कंपनी के 63 सेंटर्स और 40 डिवीज़न हैं. इस काम से कई महिलाएं अपने पैरो पर खड़ी हुई और उन्हें आत्मविश्वास मिला.

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