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पश्चिम बंगाल में साम्प्रदायिकता के बहाने वायरल हो रहे हैं ये दिल दहलाने वाले वीडियोज़ !

पश्चिम बंगाल में साम्प्रदायिकता हावी है, आये दिन दो अलग अलग समुदायों के बीच संघर्ष की घटनाएं हो रही हैं. देश भर में सौहार्द बना रहे और स्थितियां सामान्य रहें इसलिए प्रकाशन और प्रसारण के नियमों के आधार पर मीडिया में इन घटनाओं का कवरेज नहीं होता, क्योंकि सरकारी नियमों के अनुसार ऐसी घटनाओं का कवरेज करने पर मीडिया आर्गेनाईजेशन पर कुछ समय के लिए प्रतिबन्ध लग सकता है या उसका लाइसेंस रद्द हो सकता है। लेकिन सोशल मीडिया के ज़माने में ऐसी ख़बरें आग की तरह फैलती हैं।

तकनीकी ने संचार के कई विकल्प दे दिए हैं अब केवल पत्र, अख़बार, टेलीविज़न और टेलीफ़ोन से ही संचार नहीं होता. अब किसी एक बात के जवाब के लिए कई दिनों तक इंतज़ार नहीं करना पड़ता. तकनीकी ने संचार यानि की कम्युनिकेशन को सरल बना दिया है। 21 वीं सदी की शुरुआत में ही सोशल मीडिया एक क्रांतिकारी विकल्प के रूप में विकसित हुआ. अब इन्टरनेट के माध्यम से पहले के मुकाबले तेजी से संचार स्थापित किया जा सकता है। आये दिन इसके तमाम उदाहरण हमें रोजमर्रा की जिंदगी में देखने को मिलते हैं।

ऐसे में कोई भी किसी भी तरह का वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट करके वर्ग विशेष को उकसाने और उन्माद फ़ैलाने की कोशिश करता है. हालांकि उन वीडियो की पुष्टि तो नहीं होती लेकिन बावजूद इसके उन वीडियोज़ के साथ एक और पक्ष होता है जिसके चलते ये वीडियोज़ वायरल हो जाते हैं.वो पक्ष है मानवीय संवेदना का. यही वजह है जो लोगों को ऐसे वीडियो देखने पर मजबूर करती है।

यहाँ दो वीडियो दिए गए हैं जो फेसबुक कर एक धर्म विशेष के समर्थकों के नाम से बनाये गए पेज से लिए गए हैं. वीडियो में कुछ लोग एक बच्चे को मार रहे हैं और एक बच्चा जिसकी उम्र लगभग 15-16 साल होगी उससे जमीन पर फेंकी कोई चीज जीभ से चाटकर खाने के लिए मजबूर कर रहे हैं.

दूसरे वीडियो में एक आदमी एक युवक को ट्रक से बांध कर पीट रहा है, वो कुछ इसकदर युवक को पीट रहा है कि आपकी आँखों में आंसू आ जायेंगे युवक की बेबसी साफ झलक रही है.

फेसबुक पर जिस पोस्ट में यह वीडियो डाला गया है उसमें वीडियो से जुडी कोई जानकारी नहीं दी गयी है जबकि यह कहा गया है कि ये दोनों वीडियो पश्चिम बंगाल के हैं.

इन वीडियोज़ का सांप्रदायिक रंग हो न हो मानवीय पक्ष जरूर है। आप खुद ही देखिये और निर्णय लीजिये कि किसी को इतनी बेरहमी से पीटना उचित है क्या?

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