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शहीद की प्रतिमा पर मां ने डाले पीले चावल औऱ घर चलने का दिया न्यौता, भर आईं सबकी आंखे

14 अप्रैल 2014 में जम्मू-कश्मीर में देश की सेवा में लगे राइफलमैन दिलीप उइके शहीद हो गए थे। दिलीप 16वीं राजपूताना बटालियन में राइफलमैन थे। 10 अप्रैल को उनके जन्मदिवस के दिन शहीद दिलीप की प्रतिमा का अनावरण था, लेकिन आचार संहिता के चलते ये कार्यक्रम दो महीने बाद किया जाएगा। उनकी प्रतिमा भोपाल से खेड़ली गांव पहुंची। जहां उनके माता पिता ने पीले चावल डालकर शहीद बेटे की प्रतिमा को घर आने का न्यौता दिया। उनके इस काम को देखकर वहां लोगों की आंखों में आंसू आ गए।

शहीद की प्रतिमा को पहनाई शॉल

बता दें कि शहीद बेटे की प्रतिमा पर पहले पीले चावल डालकर घर आने का न्यौता दिया। इसके बाद प्रतिमा पर माला पहनाकर जब उन्होंने शॉल ओढ़ाई तो वहां मौजूद सभी लोग भावुक हो गए। मां ने प्रतिमा से कहा कि चल बेटा घर चल, अब दो माह तक साथ में रहना। दिलीप की प्रतिमा को पटाखे फोड़कर गांव में स्वागत किया गया। गांव की बेटियों ने शहीद के परिवार के घर आंगन में रंगोली बनाई और प्रतिमा की आरती उतारी। इसके बाद प्रतिमा को पूजा घर में सुरक्षित रख दिया गया।

बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति ने लोगों के सहयोग से प्रतिमा का निर्माण कराया। 7 अप्रैल को प्रतिमा स्थापना और शहीद के जन्मदिन के अवसर पर 10 अप्रैल को अनावरण किया जाना था,लेकिन आचार संहिता के चलते ये कार्यक्रम स्थगति कर दिया गया । अब आचार संहिता हटने के बाद ये कार्यक्रम अच्छे से होगा।

जवानों के शहीद होने का देश को है गम

बता दें कि देश में जवानों के शहीद होने के मामले जितने बढ़े हैं उनके लिए गंभीरता भी उतनी ही बढ़ी है। पीएम मोदी ने कुछ समय पहले अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी दौरे पर गए थे और जवानों को लेकर अपना आभार व्यक्त किया था। पीएम मोदी ने कहा था कि राष्ट्ररक्षा के लिए अपने स्वजन को न्यौछावर कर देने वाले हर परिवार का ऋण हम सभी पर हमेशा हमेशा के लिए रहेगा।

बता दें कि दिल्ली में शहीदों के सम्मान के लिए बना नेशनल वॉर मेमोरियल को पीएम मोदी ने देश को समर्पित किया। ये स्मारक आजादी के बाद देश के लिए जान कुर्बान करने वाले वीर सैनिकों के सम्मान के लिए तैयार किया गया था। पूर्व सैनिकों के लिए पीएम मोदी ने कहा कि आप सभी भूतपूर्व नहीं बल्कि अभूत पूर्व हैं क्योंकि आज लाखों सैनिकों के शौर्य औऱ समर्पण के कारण हमारी सेना सबसे बड़ी सेना में से एक है। आपने जो शौर्य परंपरा बनाई है उसकी कोई तुलना नहीं हैं। देश पर जब भी संकट आया तो उसे आपने अपने सिर ले लिया। चुनौती को सबसे पहले कुबूल किया औऱ उसका सबसे असरदार जवाब दिया हैं।

पिछले कई सालों से देश में जवानों के शहादत की खबरें आना ज्यादा हो गई हैं। उरी और पुलवामा अटैक के बाद से देश की सुरक्षा पर चिंता छाने लगी थी। हालांकि हमारे देश ने कई जवानों को खो दिया है, लेकिन दुश्मन को हर बार करारा जवाब मिला है। ये दुश्मन को समझ लेना चाहिए कि हम पर हमला करने के बदला उन्हें कितना कुछ खोना पड़ सकता है।

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