अध्यात्म

शास्त्रों के अनुसार इन लक्षण वाली महिलाओं को माना गया है साक्षात माँ लक्ष्मी का रूप

हिन्दू धर्म में देवी लक्ष्मी का एक अहम स्थान है, हर घर में इनकी पूजा होती है विशेषत: दिवाली के दिन। इन्हें धन और समृद्धि की देवी माना जाता है, व्यापारी व अन्य लोग अपनी दुकान या कार्यस्थल में इनकी एक मूर्ति या फोटो अवश्य रखते हैं। ऐसा माना जाता है जहाँ भी ये होती हैं बरकत होती रहती है और व्यक्ति धन-धान्य से भरपूर रहता है और तरक्की की ओर जाता है। ये जगतपालक श्रीहरी विष्णु की पत्नी हैं और ऐसा की हम सभी जानते हैं माँ लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पुजा साथ साथ ही की जाती जाती हैं, हालांकि लक्ष्मी जी की पुजा विघ्नहर्ता श्री गणेश जी तथा धन के देवता कुबेर महाराज के साथ भी की जाती है। जब भी किसी घर में बेटी पैदा होती है तो उसे इन्ही की उपमा देते हुए कहा जाता है की घर में लक्ष्मी आई है। इसके साथ ही अलग-अलग शास्त्रों में सौभाग्यवती स्त्री और माँ लक्ष्मी स्वरुप नारी के कुछ लक्षण भी बताए गए हैं जिनके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

सर्वप्रथम तो आपको बता दें की जिस भी घर में जब भी कभी किसी कन्या का जन्म होता है तो कहा जाता है कि लक्ष्मी आयी है, सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि घर की स्त्री और नव वधू को भी गृहलक्ष्मी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार जिस महिला का मन सुन्दर होता है और जो किसी का बुरा नहीं चाहती तथा सभी को सम्मान की दृष्टि से देखती हों और सभी के साथ अच्छा व्यवहार करती हों वह माँ लक्ष्मी का ही स्वरुप और सौभाग्यवती कहलाती हैं।

इसके अलावा जो भी स्त्रीयाँ हमेशा मीठा बोलती हों और कभी भी और किसी के साथ ऊंची आवाज में बात ना करती हों और क्रोध ना करती हों उन्हें भी लक्ष्मी का ही स्वरुप मानते हैं।

आपको बता दें की आस्तिक, सेवाभाव रखनेवाली, दान पुण्य करने वाली, क्षमाशील, कर्तव्यों का पालन अपनी पूरी निष्ठा से करने वाली, बुद्धिमान और सबके प्रति दयाभाव रखनेवाली स्त्री को लक्ष्मी का ही स्वरुप माना जाता है।

कहा जाता है की जो स्त्री हमेशा घर आये अतिथियों का उचित सत्कार करें और उन्हें पर्याप्त संतुष्ट करें वो भी देवी लक्ष्मी का रूप मनी जाती है।

बताते चलें की जो अपनी रसोई में कोई भेदभाव न करें और हर एक सदस्य को भरपूर और स्वादिष्ट खाना परोसे ऐसी स्त्री को अन्नपूर्णा और अन्न लक्ष्मी की उपमा दी गयी है।

भारतीय संस्कृति के अनुसार रसोई में अन्न देवता का वास माना जाता है और कई लोग तो मंदिरो की तरह नंगे पैर ही रसोई में प्रवेश करते हैं ऐसे में जो भी स्त्री प्रतिदिन रसोई में स्नान करने के बाद और साफ वस्त्र पहनकर ही प्रवेश करें उसे साक्षात माँ लक्ष्मी का रूप माना जाता है।

जो स्त्री घर के धन का खर्च सोच समझ कर करे और उसे बचाये भी तथा जिसके प्रयासों से घर में धन आदि की वृद्धि हो वो खुद ही लक्ष्मी माँ की प्रतीक मानी जाती है।

आपको यह भी बता दें की पतिव्रत धर्म का पालन एक स्त्री का परम कर्तव्य माना गया है और इस तरह की स्त्री भी लक्ष्मी का स्वरूप मानी जाती है। बता दें की खुद माता सीता को लक्ष्मी का ही अवतार माना गया है।

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