स्वास्थ्य

जान लीजिये लकवा कैसे होता है, क्या हैं इसके लक्षण, कारण और उपचार के तरीके

लकवा जिसे बहुत से लोग पैरालिसिस के नाम से भी जानते हैं और आमतौर पर ऐसा देखने को मिलता है की शरीर को जो भी कोई अंग इससे प्रभावित होता है उस अंग की शारीरिक प्रतिक्रियाएं, बोलने और महसूस करने की क्षमता खत्म हो जाती हैं। देखा जाए तो ये अक्सर उन लोगो में ज्यादा होने की संभावना होती है जो युवावस्था में ही अत्यधिक नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं या काम करने से कतराते है और ज्यादा आलस आदि करते है और इसकी वजह से उनके स्नायविक तंत्र धीरे-धीरे कमजोर होते जाते हैं नतीजा बढ़ती आयु के साथ साथ इस रोग के आक्रमण की आशंका भी बढ़ती जाती है। बताते चलें की लकवे होने पर प्रभावी क्षेत्र के भाग को उठाना, घुमाना, फिराना या चलना-फिरना तकरीबन एकदम असम्भव सा हो जाता है।

लकवा होने के कारण

आपको यह भी बात दें की सिर्फ आलसी जीवन जीने से ही नहीं, बल्कि इसके उलट अति भागदौड़, क्षमता से ज्यादा परिश्रम करना, अति आहार आदि तमाम कारणों से भी लकवा होने के आसार बढ़ जाते है। इसके अलावा आपको बता दें की दिमाग के एक विशेष हिस्से में जब खून का प्रवाह रुक जाता है तो दिमाग के उस हिस्से को क्षति पहुंचती है, जिससे लकवा होता है।

जानकारी के लिए बताते चलें की करीब 85 प्रतिशत लोगों में दिमाग के खून की नली अवरुद्ध होने पर व करीब 15 प्रतिशत लोगों में दिमाग में खून की नस फटने की वजह से भी लकवा होता है। बताया जाता है की दिमाग में रक्त पहुंचाने वाली खून की नली के अंदरूनी भाग में कोलेस्ट्रॉल जमने की वजह से वह मार्ग बाधित हो जाता है या फिर उसमें खून का थक्का, हृदय से या गले की धमनी से निकलकर रक्त प्रवाह द्वारा पहुंचकर उसे अवरुद्ध कर देता है जिसके कारण लकवा का खतरा बढ़ जाता हैं।

इसके क्या-क्या लक्षण होते हैं आइये जानते है

अगर आपको लगता है कि जो व्यक्ति आपके सामने है उसके साथ इस तरह की कोई स्थिति हुई है और आपको शंका है की कहीं उसे लकवा तो नहीं आया है तो उस परिस्थिति में आप ये निम्नलिखित 3 चीजे जांच लें, इससे आपको स्पष्ट हो जाएगा।

1. चेहरा- क्या मरीज ठीक तरह से हंस सकता है, क्या उसका एक तरफ का चेहरा या आंख लटक तो नहीं गई है?

2. हाथ- क्या मरीज अपने दोनों हाथों को आसानी से हवा में उठा पा रहा है?

3. बोली- क्या मरीज स्पष्ट रू से बोल पा रहा है और आपके बोले हुए शब्दों को समझ सकता है?

आपको बता दें की अगर मरीज में ये लक्षण दिखते हैं तो इसके 85 प्रतिशत अवसर हैं कि उसे लकवा हुआ है, ऐसी अवस्था में उसे तुरंत मेडिकल सहायता उपलब्ध कराएं व न्यूरोलॉजिस्ट को दिखाएं।

क्या इससे बचाव संभव है

आपको यह जानकार अच्छा लगेगा की करीब 80 प्रतिशत मामलों में लकवों से बचा जा सकता है। 50 प्रतिशत से ज्यादा लकवे अनियंत्रित रक्तचाप या उच्च रक्तचाप के कारण होते हैं इसलिए उच्च रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) का उपचार अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही धूम्रपान का त्याग, सैर करने जाना, नियमित व्यायाम व एट्रियल फिब्रिलेशन, जिसमें हृदय की गति अनियंत्रित हो जाती है इस सभी तरीकों से उसका उपचार भी जरूरी है।

मरीज को ठीक होने में कितना समय लगता है

ऐसा देखा गया है की काफी मरीजों में लकवा आने के कुछ हफ्तों के अंदर ही थोड़ा सुधार देखने को मिलता है। हालांकि यह संभव नहीं है की ऐसा हर किसी के साथ हो मगर आमतौर देखा गया है की मरीजों में लकवे के एक या डेढ़ साल के अंदर काफी सुधार आ जाता है। केवल कुछ मरीजों में ज्यादा समय लगता है।

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