अध्यात्म

जानिए, हिंदू धर्म में क्यों नहीं होता है एक ही गोत्र में विवाह?

नई दिल्ली – अपने देश में अंतर्जातीय विवाह का विरोध तो हमेशा से ही होता आया है। लेकिन कभी-कभी लड़के और लड़की के परिवार का गोत्र समान होने पर भी विवाह का विरोध होता है। आप तो जानते ही होंगे कि हिंदू धर्म में जिन परिवारों का गोत्र यानि वंश/कुल एक होता है उनमें शादी नहीं की जा सकती। Gotra marriage is prohibited.

क्या होता है गौत्र –

Gotra marriage is prohibited

गौत्र शब्द का अर्थ होता है वंश/कुल (lineage)। गोत्र प्रणाली का मुख्य उद्देश्य किसी व्यक्ति को उसके मूल व्यक्ति से जोड़ना है। इसे ऐसे समझा जा सकता है, मान लीजिए किसी लड़के के परिवार का गोत्र वशिष्ठ है और लड़की के परिवार का भी गोत्र वशिष्ठ है तो वे दोनों वैवाहिक बंधन में नहीं बंध सकते क्योंकि वे एक ही पूर्वज यानि वशिष्ठ ऋषि के संतान माने जाएंगे।

Gotra marriage is prohibited

हिंदू धर्म की विभिन्न जातियों में अलग-अलग गोत्र होते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर हम ब्राह्मण जाति की बात करें तो इसमें गोत्र सप्तऋषियों (विश्वामित्र, जमदग्नि, भारद्वाज, गौतम, अत्रि, वशिष्ठ, कश्यप) और आठवें ऋषि अगस्त्य के नाम पर हैं। एक ही गौत्र में विवाह न करने के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही कारण है।

एक ही गौत्र में विवाह न करने का धार्मिक कारण –

Gotra marriage is prohibited

गोत्र समान होने पर परिवारों का संबंध एक ही कुल से माना जाता है। जिस कारण लड़का-लड़की का संबंध भाई-बहिन का मान लिया जाता है इसलिए इनके बीच वैवाहिक संबंध को मान्यता नहीं दी जाती है। गौत्र परंपरा का संबंध मूलतः रक्त संबंधों से है। ग्रंथों में भी सगौत्र विवाह के दोष बताए गए हैं। आपस्तंब धर्मसूत्र के अनुसार, एक ही गौत्र में विवाह करने से संतान में अनेक दोष पैदा होते हैं। ये दोष सिर्फ शारीरिक नहीं बल्कि चरित्र और मन से संबंधित दोष होते हैं। गौत्र को लेकर विभिन्न प्रांतों व जातियों में अलग-अलग मान्यताएं हैं। कहीं 4 गौत्र में शादी को गलत नहीं माना जाता है तो किसी वंश में 3 गौत्र को।

एक ही गौत्र में विवाह न करने का वैज्ञानिक कारण –

Gotra marriage is prohibited

इसके पीछे एक बड़ा वैज्ञानिक कारण यह है कि एक ही कुल में जन्म लेने की वजह से गणसूत्र समान होते हैं ऐसे में दम्पत्ति की होने वाली संतान में आनुवांशिक दोष और बीमारियों के होने की संभावना ज्यादा होती है इसलिए समान गोत्र में शादी नहीं करना चाहिए। इसे ही ध्यान में रखकर ही शायद हमारे पूर्वजों ने ये नियम बनया होगा।

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इस संबंध में महान विचारक ओशो का भी कहना था कि स्त्री-पुरुष जितनी अधिक दूरी पर विवाह करते हैं उनकी संतान उतनी ही अधिक प्रतिभाशाली और गुणी होती है। उनमें आनुवंशिक रोग होने की संभावनाएं कम से कम होती हैं। उनके गुणसूत्र बहुत मजबूत होते हैं और वे जीवन-संघर्ष में परिस्थितियों का दृढ़ता के साथ मुकाबला करते हैं।

 

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