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जब पायलट नंदा करियप्पा के पिता ने किया था अपने बेटे को पाक की कैद से छुड़वाने से इनकार

ये पहली बार नहीं हुआ है जब हमारे देश का कोई पायलट पाकिस्तान के कब्जे में आया हो. इससे पहले साल 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के दौरान भी भारतीय वायुसेना के पायलट नंदा करियप्पा भी पाकिस्तान देश की सीमा में जा गिरे थे और इनको पाकिस्तान की सेना ने हिरासत में ले लिया था. उस वक्त हुए युद्ध के दौरान नंदा करियप्पा को और उनकी टीम को पाकिस्तान के अंदर प्रवेश कर वहां पर बने दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने की जिम्मेदारी दी गई थी. इस जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए नंदा करियप्पा और उनके साथी बगलगीर, एएस सहगल और कुक्के सुरेश ने अपने विमान के साथ पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश किया था. उस वक्त भारतीय सेना के पास हंटर फाइटर जेट हुआ करते थे और इन हंटर फाइटर जेट की मदद से नंदा करियप्पा अपनी टीम के साथ पाकिस्तान में घुस थे. हालांकि पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश करने के दौरान ही नंदा करियप्पा के विमान में आग लग गई थी और इनका अन्य साथी जो कि दूसरे विमान में था उन्होंने नंदा करियप्पा को उनके विमान में आग लगने की खबर दी. जिसके बाद नंदा करियप्पा को अपने विमान से कूदना पड़ा और ये पैराशूट की मदद से विमान से कूद गए.

पाकिस्तान ने लिया अपनी हिरासत में

नंदा करियप्पा कूदने के बाद बेहोश हो गए थे और जब उनको होश आया तो वो पाकिस्तान की सेना की हिरासत में थे. पाकिस्तान की सेना ने नंदा करियप्पा  से उनकी जानकारी मांगी. वहीं उनके पिता का नाम भी उनसे पूछा गया. दरअसल उस वक्त पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान थे, जो कि नंदा करियप्पा के पिता को जानते थे और उन्होंने  नंदा करियप्पा के पिता केएम करियप्पा के साथ अविभाजित भारत की भारतीय सेना में कार्य किया हुआ था. अयूब खान केएम करियप्पा की काफी इज्जत करते थे और उन्होंने उनके बेटे के पाकिस्तान की सेना में हिरासत में होने की जानकारी रोडियो के जरिए सार्वजानिक की थी.

रिहा करने की बात कही


अयूब ने केएम करियप्पा से बात कर उन्हें कहा कि वो चाहे तो उनके बेटे को रिहा किया जा सकता है. लेकिन केएम करियप्पा  ने अयूब के इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया और उन्होंने अयूब से कहा कि नंदू मेरा नहीं इस देश का बेटा है और उनके बेटे के साथ वो ही बर्ताव किया जाए जो कि किसी युद्धबंदी के साथ किया जाता है.अगर आप मेरे बेटे को छोड़ना चाहते हैं तो आप उसके साथ सभी युद्धबंदियों को भी छोड़िए. केएम करियप्पा को पता था कि अयूब  सभी युद्धबंदियों  को नहीं छोड़ सकते हैं इसके बावजूद भी उन्होंने अपने बेटे की रिहा से पहले अन्य  युद्धबंदियों की रिहाई की मांग रखी. वहीं पाकिस्तान और भारत के बीच हालात सामान्य होने में चार महीने लग गए और नंदा करियप्पा अन्य युद्धबंदियों  के साथ चार महीने तक जेल में बंद रहें.

9 बजकर 4 मिनट पर रखा भारत में कदम

नंदा करियप्पा जिस वक्त पाकिस्तान की धरती पर विमाने से गिरे थे उस वक्त 9 बजकर 4 मिनट हो रहे थे और चार महीनों बाद जब नंदा करियप्पा ने अपने देश की भूमि पर कदम रखा तो उस वक्त भी 9 बजकर 4 मिनट का ही समय था. वहीं देश में आकर इन्होंने फिर से अपनी सेवाएं भारतीय वायु सेना को देना शुरू कर दिया. हालांकि विमान से गिरने के कारण इनको रीढ़ की हड्डी में चोट आई थी जिसकी वजह से इन्होंने फिर कभी फाइटर जेट नहीं चलाया और ये हेलिकॉप्टर उड़ाने लगे. इन्होंने 1971 में फिर भारत और पाकिस्तान देश में हुए युद्ध में हिस्सा लिया और ये वायुसेना से एयर मार्शल के पद से रिटायर हुए थे.

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