अध्यात्म

पूजा के समय अगर करते हैं स्टील के बर्तन का इस्तेमाल तो हो जाएं सावधान, नहीं मिलेगा पूजा का फल

भगवान की पूजा करने के लिए तरह तरह की वस्तुओं जैसे कि शंख, तिलक,फूल,गंगा जल और इत्यादि का इस्तेमाल किया जाता है. पूजा के वक्त बर्तनों का भी खास इस्तेमाल किया जाता है और पूजा के दौरान प्रयोग होने वाली सभी चीजों को बर्तनों में रखा जाता है. बर्तनों में पूजा करने के समय फूल रखें जाते हैं, साथ में ही इनमें ही भगवानों को भोग लगाने का खाना भी रखा जाता है. लेकिन क्या आपको पता है कि स्टील,लोहे और एल्युमिनियम से बने बर्तनों का इस्तेमाल अगर पूजा के दौरान किया जाए तो उससे पूजा करने का फल नहीं मिलता है और पूजा सफल नहीं मानी जाती है.

इन कारण से नहीं करना चाहिए स्टील, लोहे और एल्युमिनियम के बर्तनों का इस्तेमाल –

होते है अपवित्र

पूजा करने के दौरान भगवान के सामने लोटे में जल जरूर रखा जाता है और कई लोग तो रोज सुबह अपने मंदिर में ताजा जल भी भरकर रखते हैं. लेकिन इस जल को स्टील, लोहे या एल्युमिनियम के लोटे में रखा जाए तो ये पानी अपवित्र हो जाता है. पूजा घर में भगवान की मूर्तियों के सामने केवल तांबे के लोटे में ही जल रखा सही माना जाता है.

पुण्य फल प्राप्त नहीं होता

अधिक लोग पूजा करने के लिए स्टील के बर्तनों का ही प्रयोग किया करते हैं. लेकिन स्टील की धातु का इस्तेमाल पूजा के दौरान करना सही नहीं माना जाता है और पूजा के दौरान इनका प्रयोग करने से पुण्य फल प्राप्त नहीं हो पाता है. हमारे शास्त्रों के अनुसार पूजा के दौरान केवल सोना, चांदी, पीतल और तांबे से बने बर्तनों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. वहीं स्टील सहित लोहा और एल्युमिनियम की धातु से बनें बर्तन का प्रयोग करने से बचना चाहिए. क्यों ये धातु अपवित्र धातु होती हैं.

क्यों होती हैं ये अपवित्र धातु

लोहे में जंग बहुत जल्दी लगता है, एल्युमिनियम से कालिख निकलती है और स्टील एक मानव द्वारा बनाई गई घातु है इसलिए ये अपवित्र होती है. हमारे शास्त्रों में साफ साफ लिखा गया है कि पूजा के समय केवल प्राकृतिक धातुएं से बने बर्तन का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

कौन सी धातु है सबसे उत्तम

सोन और चांदी  प्राकृतिक धातु होती हैं और इन धातु को सबसे उत्तम, शुभ और पवित्र धातु माना गया है. इन दोनों धातु की तरह ही पीतल और तांबा भी पवित्र धातु के अंदर गिने जाते हैं. इसलिए कई घरों में पूजा करने के लिए पीतल, तांबे या फिर चांदी के बर्तन ही इस्तेमाल किए जाते है और इन बर्तनों में ही पूजा का सामान रखा जाता है. जहां पर भगवान को भोग लगाने के लिए चांदी और सोने के बर्तन उत्तम माने जाते हैं. वहीं जल रखने के लिए पीतल और तांबे को लोटे को सही माना जाता है.

आखिर क्यों हैं ये पवित्र धातु

सोने और चांदी एक ऐसी धातु हैं जो कि कभी भी खराब नहीं होती हैं और ये जंग रहित होती है. इतना ही नहीं सोने की चमक हमेशा एक जैसी ही बनी रहती है. इसलिए इन दोनों प्राकृतिक धातुओं में भगवान के जलाभिषेक और भोग लगाने का सामान रखा जाता है.

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