अध्यात्म

इमली के पेड़ के नीचे सालों से विराजीं हैं मां हनुमंता, करती हैं अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी

मां हनुमंता देवी का मंदिर मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है और इस मंदिर में  मां हनुमंता देवी के दरबार के ऊपर एक इमली का पेड़ है. कहा जाता है कि इस पेड़ के नीचे ही मां की मूर्ति पहले से स्थापित है और बाद में मां के लिए एक दरबार बनाया गया था. ये दरबार इसी इमली के पेड़ के नीचे बनाया गया था. इस मंदिर से खूब लोगों की आस्था जुड़ी हुई है और इस मंदिर में मध्य प्रदेश राज्य सहित कई अन्य राज्यों से लोग मां हनुमंता देवी के दर्शन करने आते हैं. इस मंदिर को बनाने और मां हनुमंता देवी से एक कथा भी जुड़ी हुई है.

क्या है कथा 

मां हनुमंता देवी से जुड़ी कथा के मुताबिक मध्य प्रदेश के  गढ़ाकोटा के राजा भानुप्रताप मां के काफी बड़े भक्त हुआ करते थे और इनका राज्य काफी बड़ा हुआ करता था. लेकिन किसी कारण के चलते इन्हें अपना राज्य छोड़ना पड़ा. अपने राज्य को छोड़कर जाते समय इन्होंने मां की मूर्ति को बैलगाड़ी पर रखा और किसी और जगह जाने के लिए प्रस्थान कर लिया. कुछ दूर जाकर ये  बैलगाड़ी टूट गई जिसके चलते माता की मूर्ति को आगे नहीं ले जाया सका.

राजा और राजा के साथी वहां पर ही सो गए उन्होंने सोचा की माता की मूर्ति को कल लेकर चले जाएंगे. लेकिन अगले दिन जब ये सब उठे तो उन्होंने देखा की मां की मूर्ति  बैलगाड़ी में नहीं थी. ये सब फिर मां की मूर्ति को खोजने लगे. तभी इनमें से किसी एक व्यक्ति को मां की मूर्ति वहां पर स्थित एक इमली के पेड़ के नीचे मिली. जिसके बाद इस मूर्ति को वहां से हटाया नहीं गया और आज उस जगह पर मां का मंदिर बना है और इस मंदिर में एक गुम्बद है जिसमें से इमली की शाखाएं निकली हुई हैं.

राजा के घमंड को किया खत्म

कहा जाता है कि राजा भानुप्रताप अपने जिद्द के चलते मां की मूर्ति को अपने साथ ले जाना चाहते थे और उनकी इसी जिद्द और घमंड को खत्म करने के लिए मां की मूर्ति अपने आप ही उस इमली के पेड़ के नीचे जाकर विराजमान हो गई और लाख कोशिशों के कारण भी ये राजा अपने साथ मां की मूर्ति को लेकर नहीं जा सका.

इस मंदिर में नहीं बोला जाता है ‘चलो’ शब्द

इस मंदिर में जाने वाले लोग चलों शब्द का इस्तेमाल नहीं किया करते हैं और गाजरखेड़ा क्षेत्र में आने वाले किसी भी गांव में भी इस शब्द का प्रयोग नहीं किया जाता है. इस क्षेत्र के अंदर कई सारे गांव आते हैं और ये सभी गांव वाले कहीं जाने के लिए चलो शब्द की जगह इसका वैकल्पिक शब्द का प्रयोग करते हैं.

पं. सुधीर चतुर्वेदी ने बनवाया माता का मंदिर

इस वक्त मां हनुमंता देवी का जो मंदिर हेै उस मंदिर को पंडित सुधीर चतुर्वेदी ने बनवाया है औ इस मंदिर में मां की मूर्ति की स्थापना अक्षय तृतीया पर की गई है. इस मंदिर में बुधवार को काफी लोग आते हैं और मां की विशेष पूजा की जाती है. इस पूजा को करने से भक्तों को काफी लाभ मिलता है. इसके अलावा समय समय पर इस मंदिर में कई तरह के धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है.

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