अध्यात्म

देवी-देवता को हारने से बचाने के लिए भगवान गणेश ने लिया था स्त्री रूप, लेकिन फिर उस के बाद

किसी भी नेक या शुभ कार्य को करने से पहले लोग भगवान गणेश जी का नाम जरूर लिया करते हैं और इनका नाम लेने के बाद ही शुभ कार्य को करने की शुरूआत की जाती है. भगवान गणेश को कई लोग, गणपति बाबा, गणराज जैसे नामों से जानते हैं. लेकिन काफी कम लोगों को ही गणेश भगवान के विनायकी नाम और अवतार के बारे में जानकारी है. गणेश जी का ये अवतार एक स्त्री का अवतार है और इस अवतार की कई राज्य में पूजा भी की जाती है. कहा जाता है कि जिस तरह से हर  विष्णु, इंद्र और इत्यादि भगवानों के कोई ना कोई स्त्री अवतार था उसी प्रकार से गणेश जी का भी एक स्त्री अवतार है जिसे विनायकी के नाम से जाना जाता है. वहीं गणेश जी के इस अवतार को धारण करने के पीछे एक कथा भी जुड़ी हुई है, जिसमें बताया गया है कि आखिर क्यों गणेश जी ने विनायकी का अवतार लिया था.

विनायकी का अवतार लेने से जुड़ी कथा

गणेश जी से जुड़ी एक कथा के अनुसार एक बार अंधक नामक दैत्य ने मां पार्वती को अपनी पत्नी बनाने की कोशिश की और वो जबर्दस्ती मां पार्वती को अपनी पत्नी बनाने के लिए उन्हें अपने साथ ले जाने लगा. तभी मां पार्वती ने शिव जी भगवान को याद किया और शिव जी भगवान ने प्रकट होकर अधंक को अपने त्रिशुल से मार दिया. हालांकि त्रिशूल लगने से राक्षस अंधक का खून धरती पर गिरने लगा और इसके खून की बूंद से अँधका नाम की एक राक्षसी का जन्म होने लगा. जितनी अंधक राक्षस के खून की बूंदे जमीन पर गिरती जा रही थी, वो सभी अंधका राक्षसी में बदलती जा रही थी. ऐसे होने से कई सारी अंधका राक्षसी उत्पन्न हो गई. वहीं इतनी सारी राक्षसी को मारना आसान नहीं था. तभी मां पार्वती ने सोचा की प्रत्येक दैवीय शक्ति के दो तत्व होते हैं जो कि पुरूष और महिला होती हैं. एक तरफ जहां पुरुष तत्व दैवीय शक्ति को मानसिक रूप से ताकतवर बनाता है. वहीं स्त्री तत्व उसे शक्ति प्रदान करती है. इसलिए माता ने उन सभी दैवीय शक्ति के भगवानों को अंधका से लड़ने के लिए बुलाया लिया.

सभी भगवानों ने लिया स्त्री का रूप

अंधक राक्षस के खून से उत्पन्न हो रही अंधका राक्षसी को रोकने के लिए सभी भगवानों ने स्त्री का रूप ले लिया और जमीन पर गिरने वाली खून की बूंदों को इन भगवानों ने रोकना शुरू कर दिया. इस राक्षस के खून को धरती पर गिरने से पहले ही ये सभी भगवान उसे अपने अंदर समाने लगे. मगर लाख कोशिश के बाद भी पूरी तरह से अंधक राक्षस के खून को जमीन पर गिरने से रोका नहीं जा पा रहा था.  तभी भगवान गणेश जी भी अपने स्त्री रूप में प्रकट हुए और उन्होंने विनायकी का रूप ले इस राक्षस का सारा खून पी लिया. जिसके बाद इस राक्षस को आसानी से मार दिया गया और इसी तरह से गणेश जी के स्त्री अवतार के देखा गया.

गणेश जी के विनायकी रूप की पूजा काशी और उड़ीसा में काफी अधिक की जाती है और भगवान के इस रूप की ये मूर्ति आपको तमिलनाडू के चिदंबरम मंदिर और  जबलपुर के चौसठ योगिनी मंदिर में देखने को मिल जाएगी.

Back to top button