अध्यात्म

जाने किस ग्रह की स्थिति खराब होने से होते हैं कौन से रोग और क्या है इसका उपाय

सेहत अगर अच्छी हो तो वही असली धन संपदा होती है। कई बार ऐसा होता है कि रोग शरीर से खत्म होने के नाम नहीं लेते। आप एक बीमारी से उबरते हैं और दूसरी बीमारी आपके पीछे पड़ जाती है। इन बीमारियों को हटाने के लिए दवा तो जरुरी है, लेकिन कई बार आपको बार बार बीमार करने के पीछे आपके ग्रह का भी बड़ी हाथ होता है। कुंडली में ग्रहों की दशा बनते बिगड़ते रहने से शरीर पर कई तरह के प्रभाव पड़ते हैं जिसके चलते बीमारियां हो जाती हैं। ऐसे में आपका जानना जरुरी है कि किसी ग्रह से किस तरह का रोग जुड़ा होता है।

सूर्य ग्रह

सूर्य़ को ग्रहों का राजा कहते हैं। अगर आपकी कुंडली में सूर्य बलवान है यानी की ताकतवर है तो आफकी आत्मा भी ताकतवर होगी औऱ कोई भी परेशानी आपके पास नहीं फटकेगी, लेकिन सूर्य नीच स्थान पर होता है त इससे हमेशा सिर दर्द की स्थिति बनी रहती है। बाल झड़ते हैं औऱ बार बार सिर दर्द की दवा खानी पड़ती है। अगर सिर से जुड़ी समस्या हो रही हो तो सूर्य ग्रह को मजबूत करने का उपाय करें।

चंद्र ग्रह

चंद्र का जुड़ाव व्यक्ति के क्रोध उके स्वभाव से होता है। अगर आपकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर है तो मन हमेशा कमजोर सा महसूस करेगा। कठोर चीजें जल्दी प्रभावित करती हैं औऱ सहनशक्ति भी कम होती है। चंद्रमा की कमजोरी से बड़े आसानी से सर्दी जुकाम औऱ व्याधी जैसी समस्या हो जाती है। चंद्रमा के कमजोर होने से मन और दिमाग बहुत अशांत होता है और हमेशा क्रोध आता रहता है।

मंगल ग्रह

मंगल रक्त का प्रतिनिधित्व माना जाता है। जिनका मंगल कमजोर होता है उन्हें रक्त से जुड़ी बीमारियां होती हैं। इसमें महिलाओं को मासिक धर्म में भी समस्या आती है। मंगल ग्रह से पीड़ित रहने वाले व्यक्ति बहुत सुस्त हो जाता है और सही उर्जा से काम नहीं कर पाता। मंगल का स्थान अगर एकदम चीन स्थान पर चले जाए तो चोट लगने और दुर्घटना होने का भय बना रहता है।

बुध ग्रह

बुध ग्रह का खराब होना आपके रोजमर्रा की जिंदगी की प्रभावित करता है। ऐसे लोग अक्सर दूसरों द्वारा बेवकुफ बना दिए जाते हैं।लोग ऐसे लोगों का हमेशा लाभ उठाने की कोशिश करते हैं। ऐसे लोगों को चर्म रोग की भी समस्या होती है। अगर बुध की स्थिति ज्यादा खराब हो तो फेफड़े खराब होने का आसार रहते हैं। कई बार गुंगे होने या हकलाने की समस्या भी बुध ग्रह के खराब होने से होती है।

ब्रहस्पति ग्रह

गुरु का कुंडली में खराब होना बहुत ही खराब माना जाता है। आपकी बहुत बुद्धि होने के बाद भी आप मुर्खों की तरह काम काम करते हैं तो आपकी कुंडली में गुरु ग्रह खराब है। इससे सोचने समझने की शक्ति प्रभावित होती है। इससे शरीर में पीलिया या पेट की दूसरी समस्या होती है। मोटे होने की समस्या भी ब्रहस्पति ग्रह से भी होती है। जो लोग बहुत ज्यादा मोटे होते हैं उनकी कुंडली में ब्रहस्पति की स्थिति बहुत खराब होती है।

शुक्र ग्रह

शुक्र को मनोरंजन का कारक कहा जाता है। जो फिल्मी या चकाचौंध की दुनिया में अपना करियर बनाना चाहते हैं उनका शुक्र ग्रह मजबूत होना चाहिए। यौन सुख ,सुंदरता जैसे कारकों को लिए शुक्र का मजबूत होना बहुत जरुरी होता है। अगर सहवास करने मे रुचि ना हो तो इसके पीछे कारण है शुक्र का कमजोर होना। शुक्र की स्थिति खराब होने से शरीर में मधुमेह की समस्या होती है। साथ ही शरीर का आकार भी बहुत प्रभावित होता है।

शनि ग्रह

शनि दुख और पीड़ा का प्रतिनिधित्व करता है। शरीर से आपको जो भी कष्ट मिलता है वह शनि ग्रह के खराब होने के कारण होता है। अगर शनि  की दृष्टि सूर्य पर पड़ जाए तो व्यक्ति को हमेशा सिर दर्द की समस्या बनी रहती है। चंद्र पर पड़ने से हमेशा जुकाम की स्थिति बनी रहती है। मंगल पर पड़े तो रक्त की समस्या, बुध पर नपुंसकता, गुरु पर मोटापा, शुक्र पर हो तो वीर्य रोग या प्रजनन क्षमता को कम करता है। केतू पर शनि के प्रभाव से गंभीर रोग हो जाते हैं और स रोग का पता भी नहीं चलता। शनि की कृपा मिलती है तो शरीर को किसी भी तरह की तकलीफ नहीं होती है।

राहू

राहू से प्रभावित व्य़क्ति रहस्य़मयी समस्या से गुजरता है। ऐसी ऐसी पीड़ा होती है कि व्यक्ति को समझ नहीं आता की आखिर कब आराम मिलेगा।राहू अगर खराब हो तो जातक हमेशा डॉक्टर के पास दौड़ता मिलता है। वहम का रोग भी राहू की स्थिति खराब होने से मिलता है। अचानक से दिल की धड़कन रुक जाना या स्ट्रोक राहू के खराब होने से होता है।

केतू

इस ग्रह से दिमाग को परेशान कर देनी वाली बीमारियां होती है। केतू से फोड़े फूंसि जैसी समस्या होती है। कुछ ऐसे घाव या जख्म शरीर पर हो जाते हैं तो बार बार ठीक कराने पर भी नहीं भरते हैं। केतू का संबंध मनोविज्ञान से भी होता है। ऐसे में अगर आपकी कोई बीमारी हो जो बार बार ठीक कराने पर भी नहीं ठीक हो रही हो तो ग्रहों की जांच करा लें।

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