राजनीति

गेस्ट हाउस कांड वो ‘काला दिन’ भुलकर एक हुए सपा-बसपा, जानिए क्या-क्या हुआ था उस दिन

इस समय मोदी सरकार के भय से कोई भी पार्टी किसी का भी हाथ थामकर उसे हराने में लगी है. ये राजनीति है और यहां पर कोई किसी का दोस्त नहीं और कोई किसी का दुश्मन नहीं, जहां फायद वहीं गठबंधन. ये बात तो आप समझ ही गए होंगे और ऐसा ही कुछ यूपी की राजधानी लखनऊ के होटल ताज में 23 साल पुरानी दुश्मनी को भुलाकर बसपा और सपा एक बार फिर एक साथ आ गई है. 12 जनवरी को इनकी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस खूब सुर्खियों में रही और इसके तहत ये दोनों पार्टी एक होकर मोदी सरकार को टक्कर देने की पूरी तैयारी में आ चुकी है. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में बसपा सुप्रीमो सुश्री मायावती और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन कर रहे हैं. गेस्ट हाउस कांड वो ‘काला दिन’ भुलकर एक हुए सपा-बसपा, इनका ये 23 साल पहले हुई घटना के बारे में हम आपको इस आर्टिकल में बताने जा रहे हैं.

गेस्ट हाउस कांड वो ‘काला दिन’ भुलकर एक हुए सपा-बसपा

साल1993 में जब बसपा और सपा में गठबंधन हुआ था तब उत्तर प्रदेश में बाबरी विध्वंस के बाद राष्ट्रपती शासन चल रहा था. मंदिर-मस्जिद विवाद की वजह से ध्रुवीकरण अपने चरम पह हुआ करता था और ये बात अब राजनीति दल समझ चुके हैं. इसी को ध्यान में रखकर प्रदेश की ये दो विरोधी पार्टियों ने एक साथ लोकसभा 2019 का चुनाव लड़ने का फैसला लिया गया है. इस चुनाव में किसी भी पार्टी को साफतौर पर बहुमत नहीं मिला, जिसके बाद गठबंधन ने 4 दिसंबर, 1993 को यूपी की सत्ता संभाली थी, लेकिन 2 जून. 1995 को बसपा ने सरकार से किनारा कर लिया और सपा ने अपना समर्थन वापस ले लिया था, जिसके बाद ये गठबंधन टूट गया. बसपा से समर्थन वापस लेने पर मुलायम सिंह की सरकार अल्पमत में आ गई थी. 3 जून, 1995 को मायावती ने बीजेपी के साथ गठबंधन करके यूपी की सत्ता संभाली थी.

2 जून, 1995 को उत्तर प्रदेश की राजनीति में जो कुछ भी हुआ वह शायद कभी नहीं हुआ था. दरअसल उस दिन एक बेनाम भीड़ सबक सिखाने के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती पर हमला करने पहुंच गई. प्रदेश की राजनीति में इस कांड को गेस्टहाउस कांड कहा जाता है. उस दिन के बारे में आज भी संसद में बातें होती रहती हैं. वो कांड आज भी एक विषय है कि 2 जून 1995 को लखनऊ के राज्य अथिति गृह में हुआ क्या था.

कुछ ऐसा हुआ था ‘गेस्टहाउस कांड’

जब मायावती ने अपनी पार्टी का समर्थन वापस लिया था तो उसके बाद मुलायम सरकार के ऊपर संकट के बादल मंडराने लगे थे और सपा पार्टी ने अपनी सरकार को बचाने के लिए जी-जान से लग गई. आखिर में जब कोई बात नहीं बनी तब सपा के नाराज कार्यकर्ता और विधायक लखनऊ के मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्टहाउस पहुंचे और वहां उस समय मायावती वहीं ठहरी थीं. ऐसा बताया जाता है कि उस दिन गेस्ट हाउस के बंद कमरे में बसपा सुप्रीमो के साथ कुछ गुंडो ने बद्तमीजी की. बसपा के अनुसार, सपा के लोगों ने मायावती को धक्का दिया था और पुलिस में ये केस दर्ज किया कि वो लोग उन्हें जान से मारना चाहते थे. राजनीति इतिहास में इसे गेस्ट हाउस कांड के नाम से जाना जाता है.

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