अध्यात्म

नहाते समय सबसे पहले शरीर के इस हिस्से पर डालना चाहिए पानी, साथ ही बोलना चाहिए ये मंत्र

स्नान एक ऐसा नित्यक्रम है जिसे करने के बाद हर व्यक्ति खुद को स्वच्छ महसूस करता है. आधुनिक युग में स्नान करने की क्रिया में काफी बदलाव आया है. पहले जहां लोग खुले में, नदी में, तालाब में स्नान किया करते थे वही अब स्नान करने के लिए आधुनिक स्नान घर बनवा रहे हैं, जो पूरी तरह गोपनीय बने रहते हैं. हम में से अधिकतर लोग पूरे कपड़े उतार कर स्नान करना पसंद करते हैं जो कि स्वाभाविक है और आम बात है. लेकिन गरुड़पुराण के अनुसार कभी भी व्यक्ति को निर्वस्त्र होकर नहीं नहाना चाहिए. नहाते वक्त उसके शरीर पर कोई न कोई वस्त्र अवश्य रहना चाहिए. सनातन धर्म में भी ऋषियों ने नहाने को लेकर कई सारी बातें कही हैं. आज के इस पोस्ट में हम नहाने को लेकर कुछ जरूरी बातों का उल्लेख करेंगे.

क्या लिखा है गरुड़पुराण में

गरुड़पुराण में बताया गया है कि स्नान करते वक़्त आपके पितर यानी आपके पूर्वज आपके आस-पास होते हैं और वस्त्रों से गिरने वाले जल को ग्रहण करते हैं, जिनसे उनकी तृप्ति होती है. निर्वस्त्र स्नान करने से पितर अतृप्त होकर नाराज़ होते हैं जिनसे व्यक्ति का तेज, बल, धन और सुख नष्ट हो जाता है. इसलिए कभी भी निर्वस्त्र होकर नहीं नहाना चाहिए.

सनातन धर्म के अनुसार ये होना चाहिए नहाने का क्रम

क्या आपको पता है कि नहाते समय शरीर के किस अंग पर सबसे पहले पानी डालना चाहिए? नहीं, तो चलिए हम आपको बताते हैं. सनातन धर्म के अनुसार नहाते समय व्यक्ति को सबसे पहले अपने पैरों पर पानी डालना चाहिए. पैरों से शुरुआत करके अपनी जांघों पर पानी डालना चाहिए और फिर पेट और अन्य हिस्सों पर. इसका मतलब नहाने की शुरुआत नीचे से करनी चाहिए और फिर ऊपर जाना चाहिए. कहते हैं कि ऐसा करने से व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्रदान होती है और तनाव से मुक्ति भी मिलती है. दरअसल, हमारे शरीर में सिर वाला हिस्सा सबसे ज्यादा गर्म होता है और पैर वाला हिस्सा सबसे ठंडा.

इसलिए जब हम नहाते वक्त सिर पर पानी डालते हैं तो बॉडी टेम्परेचर अचानक से डाउन हो जाता है. जब बॉडी टेम्परेचर गिरता है तब अचानक से शरीर में खून का प्रवाह भी कम हो जाता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस वजह से कभी-कभी इंसान को हार्ट अटैक भी आ सकता है. इसे स्वास्थ्य की दृष्टि से सही नहीं माना गया है. इसलिए नहाते समय कभी भी डायरेक्ट सिर पर पानी नहीं डालना चाहिए. हमेशा नहाने की शुरुआत पैरों से करनी चाहिए और सबसे अंत में सिर पर जाना चाहिए. इसके अलावा, नहाते समय एक मंत्र का उच्चारण हमेशा करना चाहिए. ऐसा करने से नहाने वाला पानी शुद्ध और पवित्र हो जाता है. मंत्र इस प्रकार है-

गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वतिI
नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरुII

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