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दिल्ली में अन्नदाताओं का व्यापक प्रदर्शन, आज करेंगे संसद का घेराव

केंद्र की मोदी सरकार से एक बार फिर से किसानों की नाराज़गी साफ साफ दिखाई दे रही है। देश का अन्नदाता केंद्र सरकार से पूरी तरह से खफा है। गुरूवार को भारी संख्या में किसान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पहुंचे, ऐसे में अब संसद का घेराव करेंगे। जी हां, अन्नदाता रामलीला मैदान में प्रदर्शन करने के बाद अन्नदाता शुक्रवार को संसद का घेराव करेंगे, ताकि सरकार की कानों में उनकी आवाज जल्दी पहुंचे। अन्नदाता के आक्रोश रूप को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ते इंतजाम किये गए हैं। तो चलिए जानते हैं कि हमारे इस लेख में आपके लिए क्या खास है?

आंदोलन के पहले दिन गुरुवार को किसानों के साथ डॉक्टर, वकील, पूर्व सैनिक, पेशेवर और छात्रों समेत समाज के तमाम वर्गों के लोगों के समूह रामलीला मैदान में एकत्र हो गए। इसके बाद शुक्रवार को रामलीला मैदान से संसद तक अन्नदाता पैदल यात्रा करेंगे, ताकि सरकार को नींद से जगा सके। अन्नादाता की वही पुरानी मांग है, जोकि अभी तक केंद्र सरकार के कानो में शायद नहीं पहुंच पाई है। जी हां, कर्जमाफी और फसल की लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य दिए जाने की मांग को लेकर अन्नदाता सड़को पर उतर गए है, लेकिन सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है।

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

वक्त की नज़ाकत को समझते हुए राष्ट्रीय राजधानी में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गये हैं। संसद के आस पास के इलाकों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गये हैं। इसके विपरीत इस मुद्दे को लेकर राजनीति भी चरम पर है। आम आदमी पार्टी के नेताओं ने ट्वीट कर पीएम मोदी पर निशाना साधा तो वहीं जनता से अन्नदाताओं की मदद करने के लिए इस आंदोलन में शामिल होने की भी अपील की। आंदोलन के रूख को समझते हुए राष्ट्रीय राजधानी में यातायात प्रभावित ना हो, इसलिए शुक्रवार को 3,500 पुलिसकर्मी तैनात किए जाएंगे, ताकि कोई भी अनहोनी न घटित हो।

प्रशांत भूषण ने ट्वीट कर कहा कि पिछले 15 साल में तीन लाख से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की, क्योंकि सरकार उन्हें धोखा देने के अलावा कुछ नहीं करती है। इसलिए अब किसान अपने हक लड़ाई खुद लड़ेंगे, जिसकी वजह से शुक्रवार को वे संसद का घेराव करेंगे, ताकि सरकार उनकी मांगो को फौरन मान लें। इससे पहले किसान अलग अलग राज्यों में प्रदर्शन कर चुके हैं, लेकिन वहां से उन्हें सिर्फ निराशा ही हाथ लगी है।

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