राजनीति

क्या आप जानते हैं ममता बनर्जी नोटबंदी से इतना परेशान क्यों हैं, वजह जान कर आप दंग रह जाएंगे !

आप सभी तो जानते ही होंगे कि प्रधानमंत्री की नोटबंदी से सबसे ज्यादा किसे दुःख हुआ है। जी हाँ आप सही समझे हम किसके बारे में बात कर रहे हैं। इसमें सबसे पहला नाम दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का है और दूसरा पक्षिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का है। इन्हें इतना ज्यादा दुःख है, जितना घंटों लाइन में लगकर पैसा निकालने वाले लोगों को भी नहीं है। ऐसा क्यों है? क्या आपने सोचा है? नहीं! चलिए कोई बात नहीं हम आपको बताते हैं कि इन्हें ही सबसे ज्यादा दुःख क्यों हैं। आज से हम आपको हर उस राजनेता की सच्चाई बताएँगे जो प्रधानमंत्री की नोटबंदी से दुखी है। वह क्यों दुखी है, इसकी एक ख़ास वजह है। आज हम आपको ममता बनर्जी के दुःख के बारे में बताने जा रहे हैं।

भारत में मुर्शिदाबाद एवं मालदा जाली नोटों के सबसे बड़े अड्डे:

2011 की जनसँख्या में बंगाल के मालदा और मुर्शिदाबाद को हिन्दू अल्पसंख्यक क्षेत्र घोषित किया जा चुका है। वह क्षेत्र अब मुस्लिम बाहुल्य हो चुका है। आज के समय में पुरे भारत में इन दोनों जगहों से ही जाली नोटों का कारोबार होता है। दरअसल पाकिस्तान से जो जाली नोट आते हैं वो पहले बांग्लादेश आते हैं, उसके बाद वहाँ से सीधे यहीं पर आते हैं। इस हिसाब से मुर्शिदाबाद एवं मालदा जाली नोटों के सबसे बड़े अड्डे हैं। यही वह जगह है जहाँ पर ममता बनर्जी का सबसे ज्यादा वोट है। यही वजह है कि यहाँ पर दुर्गापूजा पर प्रतिबन्ध को लेकर हिन्दुओं पर लगातार हमले होते रहे और ममता बनर्जी कुछ नहीं कर पायीं, जबकि उन्हें कोई ठोस कदम उठाना चाहिए था।

जाली पैसे की कमाई से मिलता है पार्टी फंड:

आपको तो पता ही होगा जब से 500 और 1000 के नोट बंद हुए हैं तब से देश के लोगों को बहुत परेशानी हुई है। लेकिन सबसे ज्यादा इसका दुःख ममता बनर्जी को ही है, और हो भी क्यों ना! क्योंकि नोटबंदी की वजह से मुर्शिदाबाद और मालदा में जाली नोटों का धंधा पूरी तरह से ठप पड़ गया है। आपको बता दें ममता बनर्जी की पार्टी को इसी जाली पैसे की कमाई से फंड मिलता है, जो अब बंद हो चुका है। यही वजह है कि ममता बनर्जी नोटबंदी का विरोध जोर-शोर से कर रही हैं। अगर नोटबंदी नहीं हुई होती तो उनका काम पहले की तरह ही चलता रहता।

यहाँ अफीम और हथियारों का होता है गैरकानूनी धंधा:

दैनिक जागरण ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसके अनुसार, बंगाल फ्रंटियर के जवानों ने बांग्लादेश की सीमा से लगे बंगाल के पास से 30 अक्टूबर तक 1 करोड़ 35 लाख 90 हजार रूपये मूल्य के 500 के जाली नोट पकड़ चुकी है। इसी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जाली नोटों का लगभग 90 प्रतिशत बांग्लादेश के रास्ते होते हुए मालदा और मुर्शिदाबाद से भारत के अन्य शहरों में पहुँचता है। केवल यही नहीं इन्ही क्षेत्रों में अफीम और हथियारों का गैरकानूनी धंधा भी सबसे ज्यादा होता है। इसके चलते एनआईए भी कई बार यहाँ पर छापे मार चुकी है।

चिटफंड के काले पैसे यहीं किये जाते हैं सफ़ेद:

शारदा का चिटफंड मामला तो आपको याद ही होगा, इसका भी आरोप तृणमूल कांग्रेस के ऊपर लग चुका है। इस मामले का सम्बन्ध भी इसी क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। आपको बता दें चिटफंड के काले पैसे को सफ़ेद करने का काम भी यहीं किया जाता है, मीडिया में इससे जुड़ी ख़बरें आती रहती हैं। अब इतना बड़ा नुकसान ममता बनर्जी को हुआ है तो वह कैसे चुप रह सकती हैं, यही वजह है कि वह बंगाल से दिल्ली तक कोहराम मचाये हुई हैं।

2008 में करवाया था उपद्रव:

ममता के झूठ का खुलासा इसी बात से हो जाता है कि वह एक तरफ जनता के दुःख दर्द की बात करती हैं और दूसरी तरफ तालाबंदी, हड़ताल, चक्काजाम जैसे काम खुद ही करवाती हैं। आपको याद होगा 2008 में सिंगुर प्लांट को लेकर इन्होने यह सब बंगाल में करवाया था। उस समय उन्होंने ज़रा भी जनता को होने वाली परेशानियों के बारे में नहीं सोचा, अब अपना हित साधता हुआ नहीं दिख रहा है तो जनता का दुःख दिखाई दे रहा है। दरअसल सच्चाई तो यह है कि नोटबंदी के बाद से उनको यह डर सता रहा है कि कहीं इस बार उनकी सत्ता ना छीन जाए।

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