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जिस काम को करने से मौत का डर भी नहीं रोक सकी वो कर दिखाया है, प्रधानमंत्री की नोटबंदी ने!

नोटबंदी के बाद से देश के कई व्यापारों पर असर हुआ है। कुछ पर अच्छा असर हुआ है तो कुछ पर बुरा। शराब और अन्य नशे के व्यापार में गिरावट देखी गयी है, जो एक तरह से देश के लिए अच्छा ही है। आपने देखा होगा कि सिगरेट के डब्बे पर बड़े- बड़े अक्षरों में लिखा होता है, “सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है, इससे कर्क रोग हो सकता है”। इतना लिखा होने के बाद भी लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ता था, लोग अपनी मौत का सामान खुद ही खरीदते थे।

cigarette sells down 40 percent after note ban

मौत के डर से नहीं बल्कि नोटबंदी से हुई बिक्री कम:

जबसे नोटबंदी हुई है तब से सिगरेट के व्यापार में 40 प्रतिशत की कमी देखने को मिली है। लोगों के पास खुल्ले पैसे ही नहीं हैं कि वो सिगरेट खरीद सकें। कहा जा रहा है कि जो काम मौत का डर भी ना कर सकी वो नोटबंदी ने कर दिखाया है। इसके पीछे कारण बताया जा रहा है कि लोग अब अपने पैसे अपने खाने के ऊपर खर्च कर रहे हैं, ना कि सिगरेट खरीदने के लिए।

नोटबंदी से 40% कमी हुई सिगरेट के व्यापार में:

पान बेचने वाले किशन कुमार ने बताया, कि नोटबंदी के 5 दिन बाद तक भी एक सिगरेट नहीं बिकी थी। थोड़े दिनों बाद हालात में सुधार हुआ लेकिन पहले की अपेक्षा अब भी बहुत कम सिगरेट हर रोज बिकती है। नोटबंदी के पहले बहुत ज्यादा सिगरेट बिकती थी। उसने बताया कि मेरे अनुमान से सिगरेट की बिक्री में लगभग 40 प्रतिशत की गिरावट हुई है। यह सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं बल्कि हर पान बेचने वाली की कहानी है।

सिगरेट छोड़ने वालों के लिए सबसे आदर्श समय:

जिन लोगों को सिगरेट पीना छोड़ना है, उनके लिए यह बिलकुल आदर्श समय है। नोटबंदी के बाद से आपके पास एक बहाना है कि पैसे नहीं हैं। आप इसका फायदा उठाकर सिगरेट पीने की बुरी आदत को छोड़ सकते हैं। कौलगढ़ के ललित का कहना है कि, “पहले मैं दिन में कई सिगरेट पिता था, लेकिन जब से नोटबंदी हुई है तब से मैं दिन में सिर्फ एक ही सिगरेट पिता हूँ”। उन्होंने कहा है कि मैं इस फैसले से खुश हूँ, कम से कम जो मेरे जैसे लोग हैं सिगरेट छोड़ना चाहते हैं वो सिगरेट छोड़ सकते हैं।

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