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मरने से पहले कई लोगों की जिंदगियाँ बचा गया ‘रावण’, 8 महीने की बेटी संग तस्वीर हुई वायरल

19 अक्टूबर की शाम रावण दहन के कुछ देर पहले अमृतसर में दिल दहसा देने वाला हादसा हुआ. इस हादसे में ना जाने कितने घर उजड़ गए, कितनों के घरों में चिराग बुझ गए और कितनों के घरों में दीपावली भी सूनी हो गई लोगों ने इस हादसे में अपनो को हमेशा के लिए खो दिया है. सिर्फ 3 सेकेंड में दो रेलगाड़ियों ने रेलवे ट्रैक पर तांडव मचाया और कई लोगों की जान को निगल गई. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 70 लोगों की जान चली गई और लगभग 142 लोग घायल भी हो गए. हादसा होते ही कई लोग घायलों और लाशों को इकट्ठा करने में जुट गए थे. इस रावण दहन कार्यक्रम में लगभग 4 हजार लोग वहां शामिल थे. अमृतसर रेल हादसे में रावण ने कई लोगों की जान बचाई थी. हम उस रावण की बात कर रहे हैं जिसने रामलीला में रावण का किरदार निभाया था. अमृतसर में रावण दहन के दौरान जो रेल हादसा हुआ उसमें दलबीर सिंह नाम के शख्स रावण बने थे, जिसकी जान भी इस हादसे में चली गई.

अमृतसर रेल हादसे में रावण ने बचाई थी कई लोगों की जान

ऐसा बताया जा रहा है कि इस रेल हादसे में लगभग 200 लोग चपेट में आ गए और इन 200 में एक नाम दलबीर सिंह का भी आता है. 32 साल के दलबीर सिंह रामलीला मंच पर रावण का किरदार निभाते थे और अपनी वेषभूषा बदलने के बाद वह भी रावण दहन देखने गए थे. तेज रफ्तार में आती हुई ट्रेन कोई नहीं देख पाया लेकिन दलबीर सिंह ने उस ट्रेन को देख लिया और तीन से चार लोगों को पटरी से उतारा भी लेकिन लोगों को बचाते-बचाते वे खुद ट्रेन की चपेट में आ गए.

दूसरों की जान बचाने में उन्होंने अपनी जान गंवा दी लेकिन अपने पीछे वह 8 महीने की बेटी और पत्नी को छोड़ गए. सोशल मीडिया पर दलबीर सिंह की रावण वाली तस्वीर और उनकी बेटी के साथ की तस्वीर वायरल हो रही है.

मृतक दलबीर सिंह के बड़े भाई बलबीर सिंह ने बताया कि वह फाटक के पास वार्ड नंबर 24 में रहते हैं और बलबीर को बचपन से ही रामलीला मंचन करने का शौक था जिसे वह 8 साल की उम्र से रामलीला में तरह-तरह के किरदारों को निभाते थे. उन्होंने बताया कि 10 साल पहले इसी फाटक को पार करते समय उनके पिता का भी देहांत हो गया था. दलबीर सिंह की मौत के बाद उनकी पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल हो गया है.

इस तरह हुआ ये हादसा

अमृतसर में ये हादसा धोबी घाट के पास जोड़ा फाटक के पास तब हुआ जब हजारों की तादात में लोग रावण दहन देखने के लिए जमा हुए थे. रावण को आग लगाने के बाद जब रावण के पुतले से लपटें उठने लगीं तब भीड़ का एक हि्ससा लपटों से बचने के लिए रेलवे ट्रैक के पास खड़ा हो गया. उसी समय ट्रैक पर पठानकोट-अमृतसर डीएमयू और हवला मेल आ गई जिन्होंने लगभग 250 लोगों को कुचल दिया और संभावत: 70 लोगों की जान इसमें चली गई. केंद्र सरकार ने मृतक के परिवार वालों को 2 लाख रुपये का मुआवजा देने की बात कही है.

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