बॉलीवुड

फिल्म इंडस्ट्री के 5 सबसे बड़े राज़ जिन्हें दर्शकों से छिपाया जाता है, जानकर हैरान रह जाएंगे

बॉलीवुड की चकाचौंध भरी जिंदगी को समझना बहुत मुश्किल काम है. जो लोग इस इंडस्ट्री में होते हैं वहीं इसे समझ पाते हैं. यहां कई राज़ ऐसे होते हैं जो होते कुछ और हैं लेकिन दर्शकों के सामने उन्हें पेश किसी और तरीके से किया जाता है. दरअसल, यहां कुछ ऐसी बातें भी होती हैं जो फेक होती हैं लेकिन दर्शक उन्हें रियल समझने लग जाते हैं. आज के इस पोस्ट में हम आपको इस ग्लैमर इंडस्ट्री से जुड़े कुछ ऐसे राज़ बताने जा रहे हैं जिन्हें जानने के बाद आपका मुंह खुला का खुला रह जाएगा.

फेक फॉलोअर्स

जैसा कि हम सभी जानते हैं सोशल मीडिया पर सितारों के लाखों-करोड़ों फॉलोअर्स होते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं इन सितारों को फॉलो करने वाले आधे से ज्यादा फॉलोअर्स फेक होते हैं. हम यही नहीं कह रहे कि सभी सितारों के फॉलोअर्स फेक होते हैं लेकिन अधिकतर सेलिब्रिटीज के फॉलोअर्स फेक होते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकतर सेलिब्रिटीज के ट्विटर फॉलोअर्स फेक हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि केवल 21 प्रतिशत फॉलोअर ही रियल होते हैं.

पेड ऑडियंस

आपने कई रियलिटी शो में देखा होगा कि स्टूडियो भीड़ से खचाखच भरा रहता है. कई बार स्टूडियो के दर्शक ऐसे बेकार जोक्स पर भी ठहाके लगाकर हंसते हैं जिन पर आपको हंसी नहीं आती. दरअसल, जो दर्शक स्टूडियो में बैठे होते हैं वह पेड ऑडियंस होती है. उन्हें पैसे देकर शो में बिठाया जाता है. शो की टीआरपी बढ़ाने के लिए ऐसा किया जाता है.

एनिमल्स क्रुएल्टी

आपने अक्सर देखा होगा कि किसी भी फिल्म के शुरुआत में ये लिखा हुआ आता है कि फिल्म के दौरान किसी भी जानवर को कोई भी हानि नहीं पहुंचाई गई है. लेकिन असलियत में ऐसा नहीं होता. बता दें, कई ऐसी फिल्में हैं जिनकी शूटिंग के दौरान जानवरों को हानि पहुंची है. लाइफ ऑफ पाई, पाइरेट्स ऑफ कैरेबियन आदि कुछ फिल्में हैं जिनकी शूटिंग के दौरान जानवरों को हानि पहुंची थी. इसलिए इस तरह के डिस्क्लेमर पर पूरी तरह विश्वास नहीं करना चाहिए.

अवार्ड फंक्शन

हमें बहुत अच्छा लगता है जब किसी भी अवार्ड फंक्शन में हमारे फेवरेट सितारे को अवार्ड मिलता है. अवार्ड फंक्शन में कई बार ऐसे मोमेंट भी आये होंगे जब आपको लगा होगा कि ये अवार्ड किसी और को मिलना चाहिए था लेकिन मिल किसी और को गया. बता दें, कई बार ये अवार्ड पैसे देकर खरीदे भी जाते हैं. जी हां, कई बार एक्टर्स अच्छी-खासी कीमत देकर अवार्ड खरीद लेते हैं. वह ऐसा इसलिए करते हैं ताकि आगे भी उन्हें काम मिलता रहे. इसलिए यदि आप सोचते हैं कि अवार्ड वेल डिजर्वड कैंडिडेट को ही दिया जाता है तो आप गलत हैं.

रेटिंग के लिए पैसे

अधिकतर ऑडियंस फिल्म का ट्रेलर देखकर या फिल्म समीक्षकों की रेटिंग देखकर फिल्म देखने जाती है. लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं करना चाहिए. कई बार क्रिटिक्स अच्छी-खासी फिल्म को भी बुरा बोल देते हैं क्योंकि उन्हें ऐसा करने के लिए पैसे दिए जाते हैं. जी हां, क्रिटिक्स को भी कई बार पैसे देकर खरीदा जाता है ताकि वह फिल्म के बारे में अच्छा-अच्छा बोलें और फिल्म अच्छी कमाई कर पाए. इसलिए किसी भी क्रिटिक की सुनकर फिल्म देखने ना देखने का निर्णय नहीं लेना चाहिए.

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