स्वास्थ्य

क्या सच में डायबिटीज़ के मरीज़ों को बिलकुल भी नहीं खाना चाहिए चावल, जानिए सच्चाई

आजकल के समय में हर व्यक्ति किसी ना किसी बीमारी से पीड़ित ही है। कोई गम्भीर बीमारियों से पीड़ित है तो कोई छोटी-मोटी बीमारियों से। कई बीमारियाँ ऐसी भी हैं, जिनसे आज के समय में सबसे ज़्यादा लोग पीड़ित हैं। जी हाँ हम बात कर रहे हैं, डायबिटीज़ की। आज के समय में डायबिटीज़ की बीमारी से काफ़ी लोग जूझ रहे हैं। यह बताने की किसी को ज़रूरत नहीं है कि डायबिटीज़ एक ख़तरनाक बीमारी है। डायबिटीज़ की बीमारी के बारे में कहा जाता है, इनके मरीज़ों को ख़ास ख़याल रखने की ज़रूरत होती है।

रोटी से ज़्यादा खाया जाता है चावल:

डायबिटीज़ के मरीज़ों की डाइट में की गयी थोड़ी सी चूक का उन्हें बड़ा ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ता है। यही वजह है कि डायबिटीज़ के मरीज़ अपनी खान-पान का बहुत ज़्यादा ख़याल रखते हैं। भारत के ज़्यादातर घरों में रोटी से ज़्यादा चावल खाया जाता है। कई इलाक़े ऐसे भी हैं, जहाँ बिलकुल भी रोटी नहीं खायी जाती है। वहाँ के लोगों का मुख्य भोजन चावल ही है। ऐसे में यह जानना बहुत ज़रूरी हो जाता है कि डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए चावल खाना कितना सही और कितना ग़लत है।

सप्ताह में एक बार खा सकते हैं चावल:

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि चावल में मौजूद कार्बोहाइड्रेट और कैलोरी शरीर में ब्लड शुगर के स्तर को बढ़ा देती है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार जो लोग ज़्यादा मात्रा में चावल खाते हैं, उन्हें टाइप-2 की डायबिटीज़ होने का ज़्यादा ख़तरा रहता है। हालाँकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि अगर आप पहले से ही डायबिटीज़ की समस्या का सामना कर रहे हैं और आप चावल खाने के बहुत शौक़ीन हैं तो आपको पूरी तरह से चावल से दूरी बनाने की ज़रूरत नहीं है। आप सप्ताह में एक बार सीमित मात्रा में चावल का सेवन कर सकते हैं।

वाइट राइस की जगह खाएँ ब्राउन राइस:

वैसे चावल खाने के बारे में भी कहा जाता है कि डायबिटीज़ के मरीज़ सभी तरह के चावल खा सकते हैं, लेकिन ब्राउन राइस, वाइट राइस की तुलना में ज़्यादा बेहतर होता है। जानकारी के अनुसार ब्राउन राइस में ग्लाइसिमिक इंडेक्स का स्तर 68 होता है, जबकि वाइट राइस में इसकी मात्रा 73 होती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, डायबिटीज़ के मरीज़ों को केवल उन्ही चीज़ों का सेवन करना चाहिए, जिसमें ग्लाइसिमिक इंडेक्स का स्तर 55 से कम होता है। इससे ख़ून में शुगर की मात्रा पर ज़्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है। जबकि 70 से ज़्यादा ग्लाइसिमिक इंडेक्स वाली चीज़ों का सेवन डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए ख़तरनाक हो सकता है।

यही वजह है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ सफ़ेद चावल की जगह डायबिटीज़ के मरीज़ों को ब्राउन राइस खाने की सलाह देते हैं। चावल खाना हो तो उसमें सब्ज़ियाँ, गाजर, बींस, प्याज़ मिलाकर खाएँ। ऐसा करने से चावल में न्यूट्रिएंट्स की मात्रा बढ़ जाती है। अगर डायबिटीज़ के मरीज़ अगर सफ़ेद चावल खाना चाहते हैं तो रात में इसे खाने से बचें। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि डायबिटीज़ के मरीज़ों को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि खाने की किन-किन चीज़ों से ब्लड शुगर पर ज़्यादा प्रभाव पड़ता है। इसकी सही जानकारी होना बहुत ज़रूरी है।

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