अध्यात्म

इन दिनों हर जगह धूम मचाने वाले ‘गणपति बप्पा’ को कितना जानते हैं आप ?

13 सितबंर से महाराष्ट्र और उत्तर भारत में हर तरफ गणेश चतुर्थी की धूम मची हुई है. जिसे देखो गणपति बप्पा का जय-जयकार लगाते हुए नाच-गा रहा है. हर कोई भगवान गणेश के रंग में रंगा हुआ है लेकिन क्या ये सभी भगवान गणेश को हर तरह से जानते हैं ? क्या वे सभी गणेश उत्सव मनाने का सही मतलब जानते हैं और क्या वे जानते हैं कि इसकी शुरुआत कब और कहां से हुई ? शायद नहीं. गणेश चतुर्थी के मौके पर गणपति की स्थापना करने वालों में ज्यादातर गणेश जी के बारे में बहुत सी बातें नहीं पता होती और ना ही उन्हें इस उत्सव को मनाने का सही मक्सद पता होगा. विघ्नहर्ता हर किसी को एक नजर से देखते हैं और सभी का कल्याण करते हैं लेकिन उनकी पूजा करने वाले भक्तों को उनके बारे में सब पता होना चाहिए. हर जगह धूम मचाने वाले ‘गणपति बप्पा’ को कितना जानते हैं आप ? इस बारे में आपको आज के इस आर्टिकल में हम बताएंगे.

हर जगह धूम मचाने वाले ‘गणपति बप्पा’ को कितना जानते हैं आप ?

भगवान गणेश का स्वरूप जितना मनमोहक है, उनसे जुड़ी घटनाएं उतनी ही दिलचस्प हैं. हिंदू धर्म में किसी भी अनुष्ठान की शुरआत त्रिदेव से पहले भगवान गणेश की ही की जाती है. चलिए बताते हैं आपको भगवान गणेश से जुड़ी हर रोचक बात.

1. शिवपुराण में वर्णित कथानुसार भगवान गणेश जी की रचना करने के बारे में माता पार्वती को उनकी सखी जया और विजया ने बताया था. नंदी और बाकी गण तो शिवजी की मानते हैं तो पार्वती जी की बात मानने वाला भी होना चाहिए. फिर माता पार्वती ने अपने मैल से गणेश जी की संरचना की थी.

2. माता पार्वती ने पुत्र प्राप्ति के लिए पुण्यक नाम का एक व्रत रखा था और उसके कुछ समय बाद ही गणेश भगवान की संरचना की और वे प्रकट हो गए.

3. भगवान गणेश का जन्म भादव महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को दोपहर 12 बजे हुआ था. शिव पुराण में गणेश के शरीर का रंग लाल और हरा बताया गया है. क्योंकि लाल रंग शक्ति और हरा रंग समृद्धि को दर्शाने वाला होता है.

4. शिव जी ने क्रोधित होकर गणेश जी का मस्तक काट दिया और जब माता पार्वती क्रोधित हुईं तब विष्णु जी उत्तर दिशा की ओर गए और उन्होंने देखा कि पुष्पभद्र नदी के किनारे एक हथिनी का बच्चा सो रहा है.

विष्णु जी ने उस बच्चे का सिर काटा और पार्वती पुत्र के धड़ से लगा दिया. शिवजी ने ही उनका नाम गणेश रखा और सर्वप्रथम पूजन का अधिकार दिया.

5. जिस समय भगवान शिव त्रिपुर नाम के राक्षस का वध कर रहे थे और वो मर नहीं रहा था तब एक आकाशवाणी हुई कि जब तक शिवजी गणेश जी की पूजा नहीं करेंगे तब तक ये नहीं मरेगा. इसके बाद शिवजी ने भद्रकाली को बुलाया और गणेश जी की विधिपूर्वक पूजा की, फिर जाकर वे इतने भयानक राक्षस का वध कर पाए.

6. एक बार परशुराम शिवजी से मिलने कैलाश आए लेकिन गणेश जी ने उन्हें ये कहकर रोक दिया कि पिताजी अभी समाधि पर हैं. इस दौरान परशुराम क्रोधित हो गए और उन्होंने गणेश जी पर फरसे से प्रहार किया. वो फरसा शिवजी ने परशुराम को दिया था इसलिए अपने पिता के उपहार का मान रखने के लिए गणेश जी ने उसे अपने ऊपर सह लिया उन्हें तो कुछ नहीं हुआ लेकिन उऩका एक दांत टूट गया.

तब माता पार्वती क्रोधित तो हुईं लेकिन शिवजी ने बात को संभाला और गणेश जी को एक नया नाम एकदंत दिया और आज इस नाम से भी वे संसार में प्रसिद्ध हैं.

7. महाभारत के लेखर गणेश भगवान ही हैं. वेदव्यास ने महाभारत का उच्चारण किया था और गणेश जी उस ग्रंथ को लिखते चले गए.

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