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राहुल गांधी ने महात्मा गांधी की समाधि पर चढ़ाया कैलाश झील का पानी, जानें झील का धार्मिक महत्व

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अभी कुछ दिनों पहले तक अपनी मानसरोवर यात्रा को लेकर सूर्खियों में बने हुए थे। राहुल गांधी ने अपनी मानसरोवर यात्रा की कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी शेयर की थी। आपको बता दें राहुल गांधी की एक तस्वीर पर भाजपा ने सवाल भी खड़ा किया था कि यह तस्वीर नक़ली है। इसके साथ ही राहुल गांधी की कैलाश मानसरोवर यात्रा को कई लोगों ने चुनावी प्रोपेगैंडा बताया है। उनके अनुसार राहुल गांधी आने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर ऐसा कर रहे हैं, ताकि हिंदुओं का उनपर भरोसा बने।

प्रदर्शन शुरू करने से पहले गए महात्मा गांधी की समाधि पर:

कांग्रेस के सोमवार को भारत बंद के प्रदर्शन को शुरू करने से पहले राहुल गांधी दिल्ली स्थित राजघाट गए और वहाँ महात्मा गांधी की समाधि पर श्रद्धांजलि दी। इसके साथ ही उन्होंने कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान कैलाश झील से लाया हुआ जल भी गांधी जी की समाधि पर चढ़ाया। आपको बता दें राहुल गांधी अपनी कैलाश मानसरोवर यात्रा से कैलाश झील का पानी पानी अपने साथ लेकर आए थे। बता दें राहुल गांधी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद के साथ बापू की समाधि स्थल पर गए थे।

झील में डुबकी लगाने से मिल जाती है पापों से मुक्ति:

राहुल गांधी ने श्रद्धांजलि देने के बाद अपनी जेब से से एक बोतल निकाली और उसमें रखे जल को बापू की समाधि पर चढ़ा दिया। आपकी जानकारी के लिए बता दें कैलाश झील का धार्मिक दृष्टि से बहुत ज़्यादा महत्व है। यह हमेशा से ही हिंदू लोगों की आस्था का केंद्र रही है। कैलश झील लगभग 14900 फ़ीट की ऊँचाई पर स्थित है। मानसरोवर यात्रा पर गए श्रद्धालु कैलाश झील में डुबकी लगाने की कोशिश करते हैं, ऐसा माना जाता है कि मानसरोवर झील में डुबकी लगाने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिल जाती है। कैलाश मानसरोवर झील के पानी के बारे में कहा जाता है कि यह बहुत ही मीठा है।

भगवान शिव का निवास स्थल है कैलाश मानसरोवर:

इसके साथ ही झील को सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र भी कहा जाता है। बता दें कैलाश पर्वत का आकार चौमुखी दिशा बताने वाले कंपास की तरह है। हिंदू धर्म एम कैलाश मानसरोवर की यात्रा को बहुत ही ख़ास माना जाता है। मान्यता के अनुसार कैलाश मानसरोवर भगवान शिव का निवास स्थल है। भगवान शिव यही पर माता पार्वती के साथ निवास करते थे। सावन के एक महीने में वह कैलाश मानसरोवर से उतरकर उत्तराखंड की पावन भूमि पर रहने के लिए आते थे। कैलाश पर्वत को धरती का केंद्र भी माना जाता है।

दरअसल रूस के वैज्ञानिक शोध के अनुसार कैलाश पर्वत मानव निर्मित पिरामिड हो सकता है। जिसका निर्माण किसी दैविय शक्ति वाले व्यक्ति ने किया होगा। माना जाता है कि जब कैलाश पर्वत की बर्फ़ पिघलती है तो पूरे क्षेत्र में डमरू की आवाज़ सुनाई देती है। ऐसा भी कहा जाता है कि आज भी कैलाश पर्वत पर भगवान शिव निवास करते हैं। हिंदू धर्म के साथ-साथ ही कैलाश पर्वत का दूसरे धर्मों में भी ख़ास महत्व है। मान्यता के अनुसार कैलाश पर्वत एक तरफ़ स्फटिक, दूसरी तरफ़ माणिक, तीसरी तरफ़ सोना और चौथी तरफ़ नीलाम से बना हुआ है।

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