अध्यात्म

भगवान गणपति का चमत्कारिक मंदिर जहां मूर्ति बदल रही अपना आकार, भक्तों की हर मुराद होती है पूरी

हिंदू धर्म में भगवान गणेश जी की सबसे प्रथम पूजा की जाती है सभी देवताओं में भगवान गणेश जी को प्रथम पूजनीय माना गया है और उनकी महिमा भी अपरंपार है भारत देश में भगवान गणेश जी के बहुत से अद्भुत और चमत्कारिक मूर्तियां स्थापित है परंतु आज हम आपको जिस मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं इस मंदिर में भगवान गणेश जी की मूर्ति का आकार रोजाना बढ़ता ही जा रहा है आपको यह बात सुनकर थोड़ी अजीब जरूर लग रही होगी परंतु जो जानकारी हम आपको बताने वाले हैं यह बिल्कुल सत्य है और शायद आपने ऐसी मूर्ति कभी देखी भी नहीं होगी जो हर दिन अपना आकार बदलती हो।

दरअसल, हम जिस मंदिर की बात करने वाले हैं यह मंदिर बहुत ही प्राचीन मंदिर है इस मंदिर को कनिपक्कम गणपति मंदिर के नाम से जाना जाता है यह मंदिर दुनियाभर में अपने अद्भुत चमत्कार के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है कनिपक्कम गणपति मंदिर में हर दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन करने के लिए आते हैं ऐसा माना जाता है कि जो श्रद्धालु अपनी सच्ची भक्ति से भगवान गणपति जी के दर्शन करने आता है उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती है।

इस मंदिर के बारे में ऐसा भी बताया जाता है कि जो भक्त यहां पर दर्शन करने आता है उसका बिगड़ा हुआ भाग्य संवर जाता है इस मंदिर में विराजित भगवान श्री गणेश जी की मूर्ति बहुत ही सुंदर और अद्भुत है भगवान गणेश जी का आशीर्वाद लेने के लिए यहां पर पूरे साल भक्तों का तांता लगा रहता है दूर-दूर से लोग लाखों की संख्या में भगवान गणेश जी के दर्शन करने के लिए आते हैं परंतु गणेशोत्सव और बुधवार के दिन यहां भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि इस मंदिर में जो भी मनोकामना मांगी जाती है उसको भगवान गणेश जी अवश्य पूरी करते हैं इस मंदिर से कोई भी श्रद्धालु खाली हाथ लौटकर नहीं जाता है काले पाषाण की प्रतिमा बहुत अद्भुत नजर आती है यह मंदिर अपने चमत्कार के लिए दूर-दूर तक प्रसिद्ध है जो श्रद्धालु इस मंदिर के दर्शन करने के लिए आता है वह अपने आपको धन्य मानता है।

इस मंदिर के पीछे भी एक कहानी प्रचलित है ऐसा बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण चोल राजाओं ने करवाया था प्रचलित कथा के अनुसार ऐसा बताया जाता है कि यहां तीन भाई रहा करते थे जिसमें से एक भाई अंधा था दूसरा भाई गूंगा था और तीसरा भाई सुन नहीं सकता था यह तीनों यहां पर खेती बाड़ी करके अपनी आजीविका चलाते थे एक दिन इन्हें खेत में कुआं खोदने की जरूरत पड़ी कुआं खोदते समय इनकी कुदाल एक पत्थर से टकरा गई जब लोगों ने उस पत्थर को हटाया तो वहां खून की धारा निकलने लगी इसके पश्चात यहां पर एक मूर्ति नजर आई जब तीनों भाइयों ने मूर्ति के दर्शन किए तो तीनों की शारीरिक कमजोरी दूर हो गई इस चमत्कार को जानने के बाद जब इसकी सूचना गांव वालों को लगी तो वह सभी खेत की ओर पहुंचने लगे और यहां पर पहुंचकर भगवान के इस अद्भुत मूर्ति के दर्शन किए बाद में 11 वीं सदी के चोल राजा कुलोत्तुंग चोल प्रथम ने कनिपक्कम गणपति मंदिर बनाकर स्थापित किया था।

जब इस मंदिर की स्थापना हो गई तो यहां पर भारी की संख्या में लोगों का आना आरंभ हो गया ऐसा कहा जाता है कि यहां पर मौजूद भगवान गणपति की मूर्ति का आकार हर दिन बढ़ता रहता है यह बात सुनकर आपको आश्चर्य जरूर हो रहा होगा परंतु यहां के लोगों का ऐसा मानना है कि प्रतिदिन गणपति जी की मूर्ति अपना आकार बढ़ा रही है इस बात का प्रमाण उनका पेट और घुटना है जो बड़ा आकार लेता जा रहा है ऐसा कहा जाता है कि विनायक की एक भक्त ने उन्हें एक कवच भेंट किया था परंतु प्रतिमा का आकार बढ़ने की वजह से उसको पहनाना कठिन है।

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