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शेयर बाजार धड़ाम, सेंसेक्स में 1600 अंक की गिरावट – 500-1000 रुपए के नोट बंद होने और ट्रंप को बढ़त का असर

मुंबई/नई दिल्ली – बुधवार को शुरुआती कारोबार में शेयर बाजारों में 1600 अंकों की जबरदस्त गिरावट रही, निफ्टी में 500 अंकों से ज्यादा की गिरावट हुई। निफ्टी कुछ ही समय बाद 200 अंक ऊपर चढ़ा। रुपए पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ा और वह 18 पैसे की गिरावट के साथ खुला। Stock market Crashing.

 

पीएम के फैसले से सेंसेक्स धड़ाम –

यह गिरावट एक ओर तो एग्जिट पोल में हिलेरी क्लिंटन पर डोनाल्ड ट्रंप को मिली बढ़त का असर है, तो दूसरी ओर 500-1000 रु के नोट बंद करने के नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले का भी है। अमेरिका के राष्ट्रपति पद चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के आगे होने तथा सरकार द्वारा 500 और 1,000 के नोट को बंद करने की घोषणा के दोहरे असर शेयर बाजार पर पड़ा है।

शेयर बाजार में गिरावट की वजह अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप को मिल रही बढ़त भी है। बुधवार को सेंसेक्स करीब 1500 अंकों की गिरावट के साथ खुला।

 

ट्रंप की बढ़त का असर सेंसेक्स पर –  

अमेरिकी राष्टपति चुनाव का असर एशियाई शेयर बाजार पर हुआ है। सेंसेक्स में गिरावट जारी है। बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में 1,688.69 अंक या 6.12 प्रतिशत के नुकसान से 26,000 अंक के स्तर से नीचे 25,902.45 अंक पर आ गया। लगभग सभी वर्गों रीयल्टी, टिकाउ उपभोक्ता सामान तथा वाहन कंपनियों के सूचकांक 10.78 प्रतिशत तक नीचे आ गए।

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के मतदान होने के बाद जब मतगणना प्रारंभ हुई तो ऐसा माना जा रहा था कि डोनाल्ड ट्रंप हिलेरी से हार रहे हैं और हिलेरी क्लिंटन राष्ट्रपति बनने की ओर अग्रसर हो रही हैं मगर ताजा चुनावी परिणामों में डोनाल्ड ट्रंप को चुनावों में अप्रत्याशित बढ़त मिली हुई थी। डोनाल्ड ट्रंप 150 मत पर बने हुए थे तो दूसरी ओर हिलेरी क्लिंटन को 122 मत मिले थे। डोनाल्ड ट्रम्प को बहुमत के लिए 120 मतों की जरूरत है।

काले धन पर लगेगी लगाम –  

मोदी सरकार के फैसले और अमेरिकी चुनाव का सीधा असर बाजार पर होने की अटकलें पहले ही लगाई जा रही थीं। खासकर डोनाल्ड ट्रंप को राष्ट्रपति चुनाव में मिल रही बढ़त का असर दुनिया भर के शेयर मार्केट में देखा जा रहा है।

अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यदि आप भारतीय अर्थव्यवस्था के परिप्रेक्ष्य में देखें तो यह बहुत अच्छा कदम है। इससे मुद्रास्फीति पर लगाम लगेगा और वित्तीय घाटा तो कम होगा ही साथ ही साथ काले धन पर भी लगाम लगेगा।

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