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इलाज में हुई लापरवाही के लिए डॉक्टर है पूरी तरह जिम्मेदार, जानिए मेडिकल से जुड़े ये 6 अधिकार

भारतीय संविधान में आम लोगों के लिए बहुत से अधिकार सन्निहित किए गए हैं। इसमें आम इंसान से जुड़े छोटे से लेकर बड़े अधिकार तक शामिल हैं। जैसा कि संविधान में उल्लेखित स्वास्थय का अधिकार हमारा मौलिक अधिकार है। यह हर किसी का अधिकार है। यह मानवाधिकार के क्षेत्र में भी आता है। मगर अधिकारों के बारे में अक्सर लोगों को जानकारी नहीं होती और वो कानूनी पचड़े में फंस जाते हैं। अधिकार को लेकर जागरूकता के न होने से भी कई बार आप मुश्किल में पड़ सकते हैं। इससे आपको असुविधा के साथ साथ नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। इसलिए मानवाधिकार और मूलभूत संवैधानिक अधिकारों के बारे सभी को जानकारी होनी चाहिए।

स्वास्थय के मौलिक अधिकारों के अंतर्गत सिर्फ बीमारी का इलाज ही नहीं है। बल्कि मरीज के सामाजिक और मानसिक कल्याण को भी बढ़ावा दिया जाना इस अधिकार में शामिल है। हर व्यक्ति को अपने स्वस्थ शरीर के साथ जीने का अधिकार है। हर व्यक्ति को अपने उस स्थिति के साथ जीने का अधिकार प्राप्त है जिससे कि उसके और उसके परिवार का मानसिक, समाजिक कल्याण हो सके। इस मूलभूत अधिकार में बीमारी, अपंगता, बुढ़ापा और चिकित्सा संबंधी सुरक्षा के सभी अधिकार सुरक्षित हैं।

सावधानीपूर्ण उपचार का अधिकार– मरीज को यह अधिकार है कि उसका इलाज सावधानीपूर्ण और उचित तरीके से किया जाए। उपचार के दौरान मरीज के साथ मर्यादा और सम्मान के साथ पेश बर्ताव करना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो मरीज इसके खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकता है। अगर कोई मरीज अचानक बीमार पड़ जाए तो उसे आपातकालीन उपचार का अधिकार प्राप्त है। आपातकालीन उपचार का अधिकार हर मरीज के लिए सुरक्षित है

अपनी पसंद से चिकित्सा का अधिकार– मरीज को अपने पसंद से डॉक्टर और अस्पताल चुनने का अधिकार है। अगर कोई बीमार है तो उसे इलाज करवाना है या नहीं इस बात का भी निर्णय वो ले सकता है। इसके अलावा मरीज अपनी बीमारी के बारे में पूरी जानकारी ले सकता है। और इसी आधार पर वो डॉक्टर का चुनाव करने का अधिकारी है, अगर चुने हुए डॉक्टर के इलाज से मरीज को कोई फायदा नहीं पहुँच रहा है और इस बात से मरीज संतुष्ट नहीं है तो वह अन्य किसी डॉक्टर का चुनाव करने के लिए स्वतंत्र है।

अस्पताल में सुविधा का अधिकार-  अस्पताल में मरीज मूलभूत सुविधाओं का अधिकार रखता है। जैसे- बेड, डॉक्टर, दवाई, शौचालय आदि मूल सुविधाएं अस्पताल में होना चाहिए।

सूचना का अधिकार- वैसे तो सूचना का अधिकार संविधान में अलग से सन्निहित है। लेकिन यहां पर मरीज को अपने बीमारी के सूचना का अधिकर है। मतलब इलाज से संबंधित अलग अलग विकल्पों के बारे में जान सकता है। इसके अलावा मरीज और उसके परिवार के लोग यह भी जान सकते हैं कि इलाज से संंबंधित खतरे, इलाज के बाद प्रभाव, मृत्यु की संभावना और इलाज के असफल होने की संभावानाओं के बारे में भी जान सकते हैं। मरीज और उसके परिवार वालों को ये भी बताया जाना चाहिए कि इलाज कौन करेगा।

इच्छा का अधिकार- मरीज को ट्रांसफर करने, इलाज बदलने या छुट्टी देते समय सलाह लेना आवश्यक है। इसके अलावा इलाज तभी किया जाएगा जब मरीज की इच्छा हो। यदि मरीज अपनी इच्छा बताने में असक्षम है तो डॉक्टर खतरे को देखते हुए इलाज या अॉपरेशन कर सकता है।

स्वच्छ वातावरण का अधिकार- हर व्यक्ति को अपने अच्छे स्वास्थय के लिए अस्पताल में अच्छे वातावरण का अधिकार होता है।

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