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सुब्रमण्यम स्वामी के एक ट्वीट की वजह से भड़क गया भारत का पुराना साथी यह देश

भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के बारे में किसी को कुछ बताने की ज़रूरत नहीं हैं। आए दिन ये अपने किसी ना किसी बयान या ट्वीट की वजह से चर्चा में बने ही रहते हैं। हाल ही में सुब्रमण्यम स्वामी के एक ट्वीट ने केंद्र सरकार की मुश्किलों का काफ़ी बढ़ा दिया है। जानकारी के अनुसार सुब्रमण्यम स्वामी ने ही में मालदीव को लेकर एक ऐसा ट्वीट किया है, जिससे भारत का यह पुराना साथी नाराज़ हो गया है। इसी बीच मालदीव के विदेश सचिव अहमद सरीर ने भारतीय हाई कमिश्नर अखिलेश मिश्रा को रविवार को समन किया।

आ गयी दोनो देशों के रिश्ते में खटास:

भारत के अंग्रेज़ी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के अनुसार, मालदीव के विदेश सचिव ने सुब्रमण्यम स्वामी के ट्वीट पर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की है। इसके अलावा अधिकारिक तौर पर मालदीव की सरकार ने भारत सरकार के आगे इस बयान पर चिंता व्यक्त की है और इसे काफ़ी चौंकाने वाला बताया है। जानकारी के अनुसार सुब्रमण्यम स्वामी ने 24 अगस्त को एक ट्वीट किया था, जिससे दोनो देशों के रिश्तों में खटास आ गयी है। हालाँकि अभी भी स्थिति को सम्भाला जा सकता है।

सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट किया था कि, ‘अगर मालदीव में चुनाव के दौरान गड़बड़ी होती है तो भारत को हमला बोल देना चाहिए।’ स्वामी के इस बयान के बाद भारत सरकार ने किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इनकार किया था। सरकार की तरफ़ से कहा गया था कि, यह सुब्रमण्यम स्वामी के निजी विचार हैं। वह किसी को कुछ कहने से नहीं रोक सकते हैं। सुब्रमण्यम स्वामी के इस ट्वीट के बाद मालदीव के लोगों ने भी काफ़ी रोष ज़ाहिर किया है। एक यूज़र ने भारत पर हमला करते हुए कहा कि सबसे पहले भारत को अपनी चिंताओं को दूर करना चाहिए। हम किसी को भी हमारे ऊपर हमला करने का मौक़ा नहीं देंगे। हम लड़ेंगे, देश का आकार मायने नहीं रखता है। हमें तुम्हारी मदद की ज़रूरत नहीं है।


यूज़र के ट्वीट के जवाब में स्वामी ने कहा कि चुनाव में धाँधली मत करो। हमने तुम्हें 1988 में तमिल आतंकियों से बचाया था, क्योंकि जब मालदीव में सेना भेजा था तब किसी ने आपत्ति जताई थी। केवल यही नहीं सुब्रमण्यम स्वामी ने लिखा कि अगर मालदीव में चुनावों में धाँधली होती है तो मालदीव इस्लामिक आतंक का गढ़ बन जाएगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें भारत और मालदीव के रिश्ते यामीन द्वारा फ़रवरी महीने में लगाए गए आपातकाल के बाद ख़राब हुए थे।

यह आपातकाल उस समय लगा था जब जनवरी-फ़रवरी के महीने में मालदीव के सुप्रीम कोर्ट ने विरोधी नेताओं की रिहाई के आदेश दिए तो यामीन सरकार ने उसकी नाफ़रमानी करते हुए उच्च न्यायालय के जजों को भी गिरफ़्तार करते हुए विरोधी नेताओं पर मुकदमा चलाने का आदेश दे दिया। इसी के साथ मालदीव में आपातकाल की घोषणा हो गयी। आपको बता दें ऐसे में सुब्रमण्यम स्वामी के ट्वीट ने वहाँ की सरकार को और नाराज़ करने का काम किया है। यह पहली बार नहीं है जब सुब्रमण्यम स्वामी के ट्वीट की वजह से भारत को परेशानी का सामना करना पड़ा हो।

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