स्वास्थ्य

बच्चों में अगर दिखें ये 11 लक्षण तो न करें इग्नौर, वरना फ्यूचर में हो सकती है ये गंभीर समस्या

‘बच्चे शरारत नहीं करेंगे तो क्या बूढ़े शरारत करेंगे’- इस तरह के वाक्य कभी न कभी आपने अपनी लाइफ में तो ज़रूर ही सुना होगा। बच्चों को शरारत करने का पूरा अधिकार हमारे समाज में दिया गया है। अगर कोई बच्चों को डांंटता है, तो उसे यही कहकर चुप करा दिया जाता है, जाने दो न बच्चे हैं। आमतौर पर बच्चोंं की परवरिश करने में अभिभावक कोई कसर नहीं छोड़ते हैं, लेकिन वो परवरिश सिर्फ शारीरिक विकास पर ही ज्यादा दिखती है, लेकिन दिमाग तो जैसे सभी अभिभावक भूल जाते हैं। बच्चों की हर गलती को नजरअंदाज करना शुरू शुरू में हर अभिभावक की आदत होती है, लेकिन आपकी यह आपके बच्चें को बड़ी मुसीबत में डाल सकती है। तो चलिए जानते हैं कि हमारे इस लेख में आपके लिए क्या खास है?

बच्चोंं का शरारती होना स्वाभाविक है, लेकिन अगर आपका बच्चा ज़रूरत से ज्यादा शरारती है, तो आपको सावधान होने की ज़रूरत है, क्योंकि यह आपके बच्चें के दिमाग पर बुरा असर डालता है, जिसकी वजह से आपका बच्चा पढ़ाई लिखाई में पिछड़ने लगता है। दरअसल, जो बच्चे काफी ज्यादा शरारती होते हैं, उनमें एडीएचडी यानी अटेंशन डेफिसिट हाइपर एक्टिविटी डिसॉर्डर की समस्या होती है।  जो बच्चें मिनट भर के लिए भी ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं, उनमें एडीएचडी की आशंका ज्यादा होती है।

बच्चों की उछल कूद को टीचर्स और अभिभावक नादानी समझकर नज़रअंदाज कर देते हैं, जोकि उनके फ्यूचर के लिए खतरा हो सकता है। थोड़ा बहुत शरारत करना बच्चोंं का अधिकार होता है, लेकिन अगर आपका बच्चा ज़रूरत से ज्यादा शरारती है, तो आपको उस पर ज्यादा ध्यान रखने की ज़रूरत है, वरना वो एडीएचडी का शिकार हो जाएगा, जिससे धीरे धीरे वो हर चीज़ में पीछे होने लगेगा। इतना ही नहीं, एडीएचडी से पीड़ित बच्चें अपनी दिनचर्या सही से नहीं जी पाते हैं।

एडीएचडी की समस्या क्योंं होती है?

रिसर्च की माने तो जो महिलाएं गर्भावस्था के दौरान सिगरेट, एल्काहोल, मिलावटी खाद्य पदार्थ का सेवन करती हैं, उनके बच्चें में एडीएचडी की आशंका ज्यादा होती है। इसके अलावा, यह अनुवांशिक भी हो सकता है। अगर बच्चें के माता या पिता में से किसी एक को भी एडीएचडी की समस्या है, तो बच्चें में होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इतना ही नहींं, अगर बच्चे का जन्म समय से पूर्व हुआ तो भी बच्चें में एडीएचडी की समस्या हो सकती है, क्योंंकि प्री-मैच्यौर बेबी में इस तरह की समस्याएं होना आम होता है। हालांकि, शुरूआत में अभिभावक एडीएचडी के लक्षण पहचनाने में असफल होते हैं, ऐसे में अब हम आपको इसके लक्षण बताएंगे।

एडीएचडी की समस्या के लक्षण क्या है?

बच्चों में एडीएचडी की समस्या के कई लक्षण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ सामान्य लक्षणों का जिक्र नीचे किया गया है –

  • बच्चें का लगातार और बहुत ज्यादा बोलना।
  • लगातार उछल कूद करना।
  • एक मिनट भी शांति से न बैठना।
  • बहुत ही ज्यादा चिड़चिड़ा होना।
  • बिना सोचे समझें कोई भी काम कर लेना।
  • एकाग्रता की कमी।
  • ज़रूरत से ज्यादा अधीर होना।
  • हर बात पर चिल्लाना, हंसना या रोना।
  • स्कूल का होमवर्क न कर पाना
  • तनाव में रहना
  • सामान इधर उधर फेंकना

अगर आपको भी अपने बच्चें में इस तरह के लक्षण सामान्य से ज्यादा महसूस हो तो उसे किसी मनोवैज्ञानिक के पास जल्दी से जल्दी लेकर जाएं, वरना आपका बच्चा आगे चलकर पढ़ाई लिखाई में पूरी तरह से जीरो हो सकता है। ध्यान रहें कि यह उन्हीं बच्चोंं को होता है, जो ज़रूरत से ज्यादा शरारती होते हैं।

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