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केरल बाढ़ के लिए भारत ने क्यों ठुकराई यूएई की 700 करोड़ की मदद, जानिए क्या है सच

देश के दक्षिण भारत के एक राज्य केरल में इन दिनों प्राकृतिक आपदा आई हुई है. वहां पूरे 100 बाद ऐसी बाढ़ का प्रकोप आया है जिसने पूरे केरल को तबाह करके रख दिया. इस राज्य की मदद के लिए भारत से कई राज्यों ने मदद के लिए पहली की, इनके अलावा की सेलिब्रिटीज ने भी अपनी आय की बड़ी राशि दान में दी, यहीं नहीं सोशल मीडिया के जरिए भी भारत के लोग केरल की मदद कर रहे हैं. भारतीय सेना के जवान भी दिन रात उसी जगह लगे हुए हैं और लोगों की जान बचा रहे हैं. वहां पर ऐसी आपदा आई है जो ना बूढ़ों को छोड़ रही है और ना बच्चों को, दो दिनों से बारिश स्तर हुई है ऐसे में दूसरे देश भी मदद के लिए आगे आ रहे है. उन्हीं देशों में एक है सऊदी अरबिया देश, केरल बाढ़ के लिए भारत ने क्यों ठुकराई यूएई की 700 करोड़ की मदद, आखिर ऐसा क्यों किया मोदी सरकार ने ? चलिए बताते हैं आपको क्या है सरकार का फैसला ?

केरल बाढ़ के लिए भारत ने क्यों ठुकराई यूएई की 700 करोड़ की मदद

खबरों के मुताबिक पिछले 15 सालों से भारत की ऐसी नीति रही है कि भारत में आई घरेलू आपदाओं से बचने के लिए वे खुद की सरकार से ही मदद लेगी. इसका मतलब ये हुआ कि अगर भारत के किसी भी राज्य में कोई प्राकृतिक आपदा आती है तो उसकी मदद केंद्र सरकार करेगी या फिर देशवासी करेंगे. इसलिए केरल सरकार को केंद्र सरकार से ये बात बताई गई है कि अगर विदेश से किसी ने भी केरल को आर्थिक मदद के लिए प्रस्ताव भेजा तो वे उन्हें विनम्रता के साथ मना कर दें. आपको बता दें कि केरल में आई आपदा को देखते हुए यूएई के अबू धाबी के वलीअगद शहजादे शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी को फोन किया और वे केरल को 700 करोड़ की सहायता देना चाहते थे लेकिन सरकार ने उन्हें धन्यवाद देते हुए मना कर दिया.

अब सवाल ये उठता है कि भारत के लिए आगे आने वाले देश को मोदी सरकार मना क्यों कर रही है ? आपको बता दें कि सऊदी अरब में भारत के 30 लाख लोग काम करते हैं जिसमें से 80 प्रतिशत केरल के रहने वाले हैं. मालदीप सरकार ने भी बाढ़ पीड़ितों को 35 लाख देने की घोषणा की थी लेकिन उऩ्हें भी मना कर दिया गया.

इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के अनुसार मौजूदा केंद्र सरकार पूर्व सरकार द्वारा बनाई गई नीति का पालन कर रही है. साल 2004 में जब तमिलनाडु में सुनामी आई थी तब उस समय के प्रधानमंत्री ने कहा था कि भारत ऐसी स्थिति खुद संभाल सकती है लेकिन अगर जरूरत हुई तो वे दूसरे देशों से मदद लेंगे. उसके बाद बीते 14 सालों में भारत ने रूस, अमेरिका और जापान मदद लेने से इंकार किया है. साल 2013 में उत्तराखंड में आई बाढ़, साल 2005 में आई जम्मू-कश्मीर में आए भूकंप और साल 2014 में कश्मीर में आई बाढ़ के समय भी दूसरे देशों से भारत ने मदद नहीं ली थी.

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