अध्यात्म

सावन ख़त्म होने वाला है, क्या अपने अब तक किए हैं ये काम, अगर नहीं किया तो जल्दी कीजिए

सावन का महीना भगवान शिव का सबसे प्रिया महीना होता है। इस महीने के बारे में धर्मग्रंथों में तरह-तरह की मान्यताएँ हैं। सावन महीने में भगवान शिव की पूजा का इतना ख़ास महत्व क्यों हैं, इसके बारे में जानकारी देते हुए पंडित दीपक पांडे ने बताया कि जब ऋष्टि का आरम्भ हुआ था उसी समय से ब्रह्मा, विष्णु और महेश इसकी रक्षा करते आ रहे हैं। जब सावन के शुरू होने से पहले देवशयनी एकादशी पर विष्णु जी योग निद्रा में चले जाते हैं उस समय वह वह ऋष्टि के पालन की ज़िम्मेदारियों से मुक्त होकर वो पाताल लोक चले जाते हैं।

समुद्र मंथन से निकले हुए विष को पीकर की थी ऋष्टि की रक्षा:

 

उस समय उनका सभी काम भगवान शिव के ऊपर आ जाता है। सावन महीना आते ही भगवान शिव जागृत हो जाते हैं माता पार्वती के साथ पृथ्वी लोक आकर इसका सभी कार्यभार ख़ुद ही सम्भाल लेते हैं। इसी वजह से सावन का महीना भगवान शिव के लिए बहुत ही ख़ास होता है। इस माह में भगवान शिव की पूजा का महत्व भी बढ़ जाता है। इसके साथ ही कई अन्य कथाएँ भी हैं जो भगवान शिव और सावन के महीने के बारे में बताती हैं। सावन के महीने में ही भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले हुए विष को पीकर इस ऋष्टि की रक्षा की थी।

इसी वजह से सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा का विशेष फल मिलता है। भगवान शिव ने जब विष पिया था तो उनका शरीर तपने लगा था। सावन के महीने में होने वाली वर्षा से उनके शरीर को काफ़ी ठंडक मिली थी, इस वजह से भी भगवान शिव को सावन का महीना प्रिय होता है। भगवान शंकर के स्वयं सनतकुमारों को इस महीने की महिमा के बारे में बताया है। सावन महीने में ही सती के रूप में जन्मी पार्वती के कठोर तपस्या करके भगवान शिव को प्रसन्न किया था और उन्हें पाया था। तब से भी शिव को यह महीना प्रिय है।

चंद्रम की पूजा का महत्व:

सावन के महीने में चंद्रमा की पूजा का बहुत ज़्यादा महत्व होता है। हिंदू धर्म में सभी महीनों का नाम नक्षत्रों के नाम पर रखे गए हैं। हिंदू कैलेंडर का पहला महीना चैत्र होता है जो चित्रा नक्षत्र पर रखा गया है। इसी तरह सावन का महीना श्रवण नक्षत्र से सम्बंधित होता है। श्रवण नक्षत्र का स्वामी चंद्र होता है और यही चंद्रा भगवान शिव के मस्तक पर भी सुशोभित है। गर्म सूर्य पर चंद्रमा की ठंडक होती है। इसलिए सूर्य के कारक राशि में आते ही वर्षा होने लगती है। वर्षा से विष ग्रहण करने वाले महादेव को ठंडक मिलती है। यही वजह से कि सावन में चंद्रमा की पूजा करने से भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं।

रुद्राभिषेक का महत्व:

सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है। इस महीने में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह की विधियों से पूजा की जाती है। रुद्राभिषेक करना भी एक विधि है। अगर आपको किसी अन्य महीने में शिव का रुद्राभिषेक करना है तो एक निश्चित दिन ही तय करना पड़ता है, लेकिन सावन के महीने में किसी भी दिन शिव का रुद्राभिषेक किया जा सकता है। किसी भी समय रुद्राभिषेक करके भगवान शिव की कृपा पायी जा सकती है। सावन महीने में अब कुछ ही दिन बचे हुए हैं। अगर अब तक आपने शिव का रुद्राभिषेक नहीं किया है तो जल्दी से जल्दी कर लें।

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