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‘जब इंडिया इज इंदिरा और इंदिरा इज इंडिया का दौर था, तब अटल ने हिला दिया था संसद’

राजनीति के अजातशत्रु कहे जाने वाले बीजेपी के कद्दावर और उदारवादी नेता अटल बिहारी बाजपेयी का गुरूवार 16 अगस्त को निधन हो गया।  शुक्रवार को उनकी अंतिम विदाई हुई और अटलजी के अंतिम यात्रा में पूरा जनसैलाब उमड़ पड़ा। राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री और सभी पार्टियों के नेता समेत पूरे देश ने उन्हें अश्रुपूर्ण श्रद्धाजंलि दी है। साथ ही भारत सरकार ने भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी के निधन से सात दिनों तक राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। अटल जी एक जननेता थे इसके साथ साथ महान व्यक्तित्व के धनी अटल जी पूरे देश के, हर पार्टी के चहेते थे। ऐसे में पूरा देश उनके निधन से गमगीन हो गया है। और साथ ही उनसे जुड़ी बहुत सारी दिलचस्प बातों को याद किया जा रहा है।

अटल जी की जिंदगी में हर तरह के रस हैं, किस्से हैं। उतार चढ़ाव भी है। विवाद भी है, सफलताएँ भी हैं। राजनीति में बोलते हुए उनकी अपनी एक अलग शैली थी। रूककर, जरा सोचकर, फिर अचानक लौटकर कुछ बेहतर बोल देने की शैली का निर्माण उन्होने खुद किया था।  उनके राजनीति में सफल होने का यही एक कारण नहीं था कि वे एक अच्छे वक्ता थे। राजनीति में वे अपने समय के बेशक सबसे अच्छे वक्ता रहे होंगे। लेकिन फिर भी उन्होंने अपनी राजनीतिक जीवन का अधिकतर हिस्सा विपक्ष में रहकर निभाया। उनकी उदारता ही थी कि हर दल पर यह उदारता हावी रही। और किसी दल के साथ कभी कोई बैर नहीं रहा।

 

ठीक इसी समय उनसे जुड़ी कई बातों को याद किया जा रहा है। बहुत मुश्किल ही होगा कि उनके इतने बड़े राजनीतिक जीवन को यहाँ कुछ ही शब्दों में समेट दें। परंतु कुछ बातों को याद करके उनके महान शख्सियत को याद किया जा सकता है। तो चलिए जानते हैं ऐसी एक घटना जो काफी दिलचस्प है।

 

अटल बिहारी वाजपेयी को विपक्षी पार्टियों का हीरो भी कहा जाता है। वाजपेयी जैसे बहुत कम ही नेता देखने को मिलते हैं जो अपनी विपक्षी भूमिका को लेकर याद किए जाते हों। इसलिए वे सभी पार्टियों के लिए एक माननीय नेता थे। बातों के धनी अटल जी का कोई सानी नहीं था। उस वक्त जब इंदिरा गांधी कांग्रेस की सबसे कद्दावर नेता थी। और भारत की प्रधानमंत्री थीं और अटल जी सांसद हुआ करते थे। वो वक्त इंडिया इज इंदिरा और इंदिरा इज इंडिया का था। उस वक्त उन्हें जवाब देना किसी भी नेता के लिए आसान नहीं था न ही किसी की हिम्मत। दरअसल उस दिन हुआ कि इंदिरा गांधी ने अटल जी को कहा कि आप हिटलर की तरह हाथ हिला हिला कर भाषण देते हैं।  तो वाजपेयी जी ने अपनी चतुराई दिखाते हुए जवाब दिया कि हाथ हिलाकर तो सभी भाषण देते हैं क्या आपने कभी किसी को पैर हिलाकर भाषण देते देखा है। ये सुनकर इंदिरा जी भी सिर्फ मुस्कुरा कर रह गईं। हालांकि यह उनका सामान्य अंदाज माना जाता था। ऐसा जवाब वो अपने पार्टी के नेताओं कार्यकर्ताओं को भी देते थे। यह उनके कुशल बुद्धि को दर्शाता है।

 

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