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पत्नी को देंगे ऐसी चीजें तो मिलेगी देवी लक्ष्मी की कृपा, घर में आएगी बरकत

धार्मिक मान्यताओं में देवी लक्ष्मी को धन की देवी माना गया है, जिनके कई स्वरूप हैं और इसी में से एक है गृहलक्ष्मी। स्त्री को देवी लक्ष्मी का प्रतिरूप माना गया है, चाहें वो घर में कन्या के रूप में हो या फिर पत्नी के रूप में। माना जाता है अगर घर की लक्ष्मी प्रसन्न है तो घर में देवी लक्ष्मी की कृपा से सुख-समृद्धी बनी रहती हैं। वहीं जिस घर की गृहलक्ष्मी सुखी नहीं रहती, वहां देवी लक्ष्मी का भी वास नहीं होता। इस तरह शास्त्रों में देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए घर की लक्ष्मी यानी घर की स्त्रियों का सुखी होना आवश्यक माना बताया गया है।ऐसे में गृहलक्ष्मी को कुछ चीजों का दान करना लाभकारी माना गया है और आज हम आपको ऐसी ही चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं।

चूंकि घर की बेटी-बहु, पत्नी को देवी लक्ष्मी का प्रतिरूप माना गया है , ऐसे में इनकी प्रसन्नता और सुख से घर में बरकत रहती हैं। वहीं अगर किसी घर में इन्हे अपमानित और प्रताड़ित किया जाता है तो वहां हमेशा धन की परेशानी और कठिनाइयां बनी रहती हैं। ऐसे में अगर आप अपने घर में सुख-शांति बनाए रखना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको घर की स्त्रियों को हमेशा सुखी और प्रसन्न रखना होगा। शास्त्रों में इसके लिए बुधवार या शुक्रवार के दिन गृहलक्ष्मी को कुछ उपहार देना विशेष लाभकारी बताया गया है.. जैसे कि

बुधवार या शुक्रवार के दिन घर की लक्ष्मी यानी अपनी पत्नी को वस्त्र आदी भेट करना शुभ फलदायी करना माना जाता है। वहीं पत्नी के अलावा बहन, मां या दूसरी किसी सुहागन स्त्री को भी वस्त्र देना शुभ फलदायी होता है।

शास्त्रों में देवी पूजा में आभूषणों का अर्पण करना जरुर माना जाता है। वहीं स्त्री की शोभा भी आभूषणों से ही बढ़ती हैं  और धार्मिक मान्यताओ के अनुसार सजी-संवरी गृहलक्ष्मी घर की संपन्नता को दर्शाती है। ऐसे में धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गृह लक्ष्मी को सुंदर वस्त्र के साथ आभूषण का दान करना भी घर की संपन्नता को बढ़ाता है।

जिस तरह देवी को सुहाग की सामग्री जैसे कि सिंदूर, बिंदी, चूड़ियां अर्पित करने से सौभाग्य बढ़ता है। उसी तरह गृहलक्ष्मी को भी सुहाग और सोलह श्रृंगार की वस्तुएं देना लाभकारी होता है। इससे गृहलक्ष्मी की शोभी बढ़ती है और उसकी शोभा से घर में सुख-समृद्धी कामार्ग बनता है।

वैसे गृहलक्ष्मी को प्रसन्नता रखने के लिए अगर सबसे कीमती कोई उपहार है तो वो है उनका उचित सम्मान । स्त्री के लिए, वस्त्र-आभूषण, साज-श्रृंगार से कहीं अधिक आवश्यक है उसका मान-सम्मान और अगर आपके जरिए उसे ये मिलता है तो इससे आपको भी लाभ मिलता है, उसके मान-सम्मान से आपके घर में सुख-शांति और समृद्धी बनी रहती है। शास्त्रों में भी कहा गया है..

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:।     

यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला: क्रिया:।-अथर्ववेद

यानी कि जिस कुल, परिवार में नारी की पूजा, अर्थात सत्कार होता हैं, वहां देवता निवास करते हैं और ऐसे कुल में दिव्यगुण, दिव्य भोग और उत्तम संतान होते हैं , जबकि जहां स्त्रियों का उचित मान-सम्मान नहीं होता उस कुल में सारी क्रिया यानी पूजा-कर्म निष्फल  हो जाते हैं।

इस तरह शास्त्रों के अनुसार, गृहलक्ष्मी यानी घर की स्त्री के सुख में घर की सुख-शांति और सम्पन्ना का रहस्य छुपा हुआ है।

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