विशेष

देश की दूसरी मुस्लिम महिला IPS, जिन्होंने उठाई शहीद की बेटी की ज़िम्मेदारी, कहानी भावविभोर कर देगी

अंजुम आरा: भारत के बारे में कहा जाता है कि यहाँ दुनिया के सबसे बेहतरीन दिमाग़ वाले लोग रहते हैं। एक शोध के दौरान भी यह बात साबित हो चुकी है कि भारतियों का दिमाग़ सबसे बेहतर होता है। हालाँकि यहाँ के लोग अपने दिमाग़ का ज़्यादा उपयोग करते नहीं है। भारत में सदियों से शिक्षा पर ज़ोर दिया जाता रहा है। यहाँ बहुत पहले से ही महिलाओं को देवी माना जाता रहा ही। लेकिन असल जीवन में महिलाओं के साथ क्या किया ज़ाता रहा है, यह बात भी किसी से छुपी हुई नहीं है।

बेड़ियों को तोड़कर पेश की है मिसाल:

भारत में महिलाओं की स्थिति में सुधार पक्षिमि देशों की अपेक्षा बहुत बाद में हुआ है। यहाँ तक की यहाँ की महिलाओं को आज भी पुरुषों के बराबर नहीं माना जाता है। अगर कुछ बड़े शहरों को छोड़ दिया जाए तो गाँवों में रहने वाली महिलाओं की आज भी वही स्थिति है। आज भी गाँव की महिलायें पुरुषों के दबाव में जीवन जीने को मजबूर हैं। लेकिन कुछ महिलाओं ने इन बेड़ियों को तोड़कर हमारे सामने एक मिसाल भी पेश की है। यही महिलाएँ एक नया इतिहास रचने का काम भी करती हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही महिला के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने इतिहास रचने का काम किया है।

पढ़ाई से लेकर शादी तक का उठाया ज़िम्मा:

आज हम आपको देश की दूसरी मुस्लिम महिला IPS अंजुम आरा के बारेमे बताने जा रहे हैं। आपको बता दें अंजुम आरा उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ जिले के एक छोटे से गाँव कम्हरिया की रहने वाली हैं। जब इन्होंने IPS बनने का सपना देखा तो कई लोगों ने इन्हें हतोत्साहित किया, लेकिन इन्होंने हार नहीं मानी। अपने परिवार की मदद से अंजुम ने अपने सपनों को सच कर दिखाया है। आपको जानकार हैरानी होगी कि अंजुम के पति यूनुस खान भी IAS अफ़सर हैं। इसी जोड़े ने जम्मू-कश्मीर में शहीद नायाब सूबेदार परमजीत सिंह की बेटी की पढ़ाई से लेकर शादी तक का पूरा ख़र्च उठने का ज़िम्मा भी लिया है।

इस समय अंजुम हैं सोलन जिले की SP:


जानकारी के अनुसार अंजुम आरा के पिता एक सिविल इंजीनियर हैं और उनकी माँ हाउस वाइफ़ हैं। अंजुम की शिक्षा-दीक्षा लखनऊ से हुई है। अंजुम ने कम्प्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी और कुछ समय तक काम भी किया। लेकिन पिता के कहने के बाद इन्होंने दूसरे ही बार में IPS की परीक्षा पास कर ली। अंजुम की पहली पोस्टिंग शिमला में ASP के रूप में हुई थी। इस समय अंजुम हिमांचल के सोलन जिले की SP हैं। अंजुम और यूनुस का एक बेटा भी है।

शहीद के परिवार का दर्द होता है असहनीय:

अंजुम ने बताया कि शहीद की बेटी ख़ुशदीप अपने परिवार वालों के साथ ही रहना चाहती है। हम उसके घरेलू, पढ़ाई और शादी का पूरा ख़र्च उठाएँगे। जब भी हमें समय मिलेगा हम शहीद के घर जाकर उनके परिवार वालों और बेटी से मुलाक़ात भी करेंगे। उन्हें जीवन में कोई भी परेशानी ना हो, इसके लिए भी हम प्रयास करते रहेंगे। अगर वह IAS या IPS या किसी और फ़ील्ड में भी जाना चाहेगी तो हमन उसकी पूरी मदद करेंगे। वहीं यूनुस ने कहा कि किसी शहीद के परिवार का दर्द असहनीय होता है, लेकिन हम उनके दुःख को बाँटने की कोशिश कर सकते हैं।

Back to top button