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त्रिपुरा चुनाव प्रचार पर लगा विराम, जानिये कैसा है सूबे का सियासी मिजाज

त्रिपुरा: सूबे में अब चुनाव होने में बस चंद दिन ही बचे हैं, ऐसे में अब त्रिपुरा में चुनाव प्रचार को रोक दिया गया है, लेकिन त्रिपुरा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक दी है। त्रिपुरा चुनाव को त्रिकोणीय मुकाबला माना जा रहा है, क्योंकि यहां बीजेपी-कांग्रेस के साथ साथ लेफ्ट पार्टी भी मैदान में खड़ी है, ऐसे में ये चुनाव बहुत ही दिलचस्प होने वाला है। दरअसल, यह चुनाव इस नजरिये से भी खास है, क्योंकि इसमें सभी पार्टियों की साख दांव पर लगी हैं। तो आइये जानते हैं कि हमारे इस रिपोर्ट में क्या खास है?

बीजेपी कांग्रेस के साथ साथ कम्यूनिस्ट पार्टी त्रिपुरा की सत्ता पर काबिज होने का ख्वाब देख रही है। हालांकि, सूबे में किसी भी पार्टी के लिए इस बार रास्ता क्लियर नहीं माना जा रहा है, फिर चाहे बात बीजेपी की जाए या फिर कांग्रेस की, इतना ही नहीं दशकों से राज करने वाली कम्यूनिस्ट पार्टी पर भी इस बार तलवार लटकी हुई नजर आ रही है। सूबे में 18 फरवरी को मतदान होगा।

दरअसल, त्रिपुरा में सालों से कम्यूनिस्ट पार्टी का दबदबा है, ऐसे में देश की दोनों बड़ी पार्टियों के लिये यहां की सत्ता में सेंध करना थोड़ा मुश्किल माना जा रहा है, लेकिन अगर चुनाव प्रचारोंं पर गौर किया जाए तो सभी पार्टियों ने पूरा दमखम दिखाया है। जहां एक तरफ बीजेपी के दिग्गज नेता के साथ ही पीएम मोदी चुनाव प्रचार करने के लिए गये तो वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी मैदान में दिखाई दिये, लेकिन इन सबके बीच देखना ये दिलचस्प होगा कि आखिरी किसकी बात जनता के दिल तक गई है, क्योंकि वहीं पार्टी सूबे में सत्ता पर काबिज होने में कामयाब हो पाएगी।

त्रिपुरा चुनाव में बीजेपी की चुनौती

दरअसल, बीजेपी के लिए यहां की सत्ता पर आना थोड़ा मुश्किल माना जा रहा है, क्योंकि पिछले विधानसभा में बीजेपी की यहां जमानत जब्त हो गई थी। हालांकि तक की बात और है, क्योंकि उस समय बीजेपी की हालत देश में ठीक नहीं थी, लेकिन अब बीजेपी को अपनी साख बचाने के लिए त्रिपुरा में अपना परचम लहराना ही होगा, लेकिन जानकारों की माने तो बीजेपी के लिए ये राह मुश्किल है।

कांग्रेस के लिए त्रिपुरा चुनाव में चुनौती

पिछले 47 सालों से कांग्रेस त्रिपुरा में अपना वनवास खत्म करने के  फिराक में है, लेकिन उसका ये सपना हर बार टूट जाता है, ऐसे में त्रिपुरा में सेंध करने की जिम्मेदारी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर सौंपी गई है। राहुल के लिए यहां खुद को साबित करने की बड़ी चुनौती  है, क्योंकि राहुल अगर यहां सफल हो गये तो उनके लिए 2019 का लोकसभा चुनाव की राह थोड़ी खुल जाएगी।

लेफ्ट पार्टी के लिए अस्तित्व की चुनौती

पिछले 25 सालों से त्रिपुरा में राज करने वाली लेफ्ट पार्टी का अस्तित्व दुनिया में लगभग खत्म होने के कगार पर है, ऐसे में सीएम माणिक के सामने अपनी लोकप्रियता को बचाने के साथ साथ पार्टी के अस्तित्व की रक्षा करने की बड़ी चुनौती है।

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