विशेष

जानें विपक्षी दल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की छवि ख़राब करने के लिए कौन सी रणनीति अपना रहा है?

जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया है तब से विरोधी दल उनके पीछे हाथ धोकर पड़े हुए हैं। विरोधी दल इस फ़िराक में लगा हुआ है कि कौन सा मुद्दा उठाकर उनकी छवि को ज्यादा ख़राब किया जा सकता है। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद विरोधी दल ने जो चाल चली थी उसके बारे में सभी लोग जानते ही हैं, किस तरह से प्रधानमंत्री को बदनाम करने के लिए विरोधी दल नीचे गिर सकता है ये बताने की जरुरत नहीं है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह रणनीति बनाता कौन है और कैसे इसे अंजाम दिया जाता है।

narendra modi agaings opponent

चलिए आज हम आपको बताते हैं इसके बारे में पूरे विस्तार से। इसको जानने के लिए हमें 2014 के लोकसभा चुनाव की तरफ रुख करना होगा। बीजेपी ने 2014 का लोकसभा चुनाव पूर्ण बहुमत से जीता, यह बात विरोधी दल को हजम नहीं हुई। इसी के बाद से विरोधी दल ने आरोप लगाने शुरू कर दिए कि बीजेपी मुस्लिम विरोधी आन्दोलन चला के देश के सारे हिन्दुओं को अपनी तरफ करके हर राज्य में अपनी सरकार बना रही है।

narendra modi agaings opponent

विपक्षी दलों ने इसके लिए एक तरीका खोज निकाला उन्होंने सोचा कि बीजेपी हिन्दुओं के दम पर राज कर रही है तो क्यों ना हिन्दुओं में ही फूट डाली जाये। इसके लिए कांग्रेस ने वामपंथियों से हाथ मिलाया और हिन्दुओं को दलित और स्वर्ण में तोड़ने की कोशिश की। दिल्ली का जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय वामपंथियों का गढ़ है। कांग्रेस ने रणनीति के तहत वहीँ अपनी चाल चली और भड़का दी आग। दलित आजादी के नाम पर हिन्दुओं को तोड़ने की कोशिश शुरू हो गयी। उसी समय दादरी में एक अनहोनी हो गयी और उसका फायदा विपक्षी दल ने भरपूर उठाया।

narendra modi agaings opponent

विपक्षी दल ने बीजेपी के ऊपर यह आरोप लगाया कि देश में असहिष्णुता फैलाने में पूरा हाथ बीजेपी का है। कुछ कवियों ने अपना पुरस्कार भी वापस किया। विपक्षी दल को अब बड़ा हथियार मिल गया था, उन्होंने बीजेपी की छवि को जमकर नुकसान पहुँचने की कोशिश की। विपक्षी दल का यह हथकंडा ज्यादा काम नहीं आ रहा था। उसने नया तरीका खोजा और मुस्लिमों को पीछे कर दलित को आगे कर दिया। हैदराबाद विश्वविद्यालय में एक दलित छात्र रोहित वेमुला ने फ़ासी लगा ली। विपक्षी दल ने इसमें भी बीजेपी को लपेटने की कोशिश की और यह आरोप लगाया कि बीजेपी देश में दलित विरोधी काम कर रही है। रोहित वेमुला एक दलित छात्र था, जो बीजेपी की राजनीति के कारण बलि चढ़ गया। इसका बहुत विरोध हुआ और बीजेपी की छवि को नुकसान पहुँचाने की भरपूर कोशिश हुई। हालांकि बाद में पता चला कि रोहित दलित नहीं था वह एक स्वर्ण छात्र था।
narendra modi agaings opponent

रोहित वेमुला का मामला अभी थमा ही था कि गुजरात के उना में कुछ दलितों को गाड़ी से बांध कर पीटने का मामला सामने आ गया। इसको भी कांग्रेस ने भुनाने की कोशिश की और यह कहा कि बीजेपी देश के दलितों के पीछे हाथ धोकर पड़ी हुई है। जबकि जाँच में यह बात सामने आ रही है कि उना कांड में कांग्रेस से जुड़े हुए सरपंच नाम के एक आदमी का हाथ है। यह दाव हाथ से जाते देख कर कांग्रेस ने नई चाल चली और जेएनयू में देश विरोधी नारे लगवा दिए। पहले केवल कश्मीर में ही यह होता था अब दिल्ली में भी करवा दिया और आरोप लगाया कि मोदी किस तरह से लोगों को दबा रहें हैं कि लोग आजादी की माँग कर रहे हैं। मोदी विदेश दौरा करने में लगे हुए हैं और देश के अन्दर ही पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लग रहे हैं। इससे बीजेपी को बदनाम करने की कोशिश में कांग्रेस सफल होता दिख रहा था। लेकिन मोदी की छवि इतनी कमजोर नहीं थी कि कांग्रेस की इतनी सी कोशिश से वह खराब हो जाये।

विपक्ष ने सोची समझी रणनीति के तहत मुस्लिम और दलित को अपने तरफ करने की कोशिश की और वह बिहार के विधानसभा चुनाव में सफल भी हुआ। अब उसकी चाल है कि वह यही हथकंडा यूपी और पंजाब में होने वाले चुनाव में अपनाएगी। इसी के तहत वह भरपूर कोशिश कर रही है। यहाँ तक कि वह सेना को भी नहीं छोड़ रही है, अभी राहुल गाँधी ने कहा कि मोदी सैनिकों के खून की दलाली कर रहें हैं। इस तरह के घटिया बयान देने से भी नहीं चूक रहें हैं विपक्षी दल के नेता। आगे क्या होगा यह तो देखने वाली बात है, लेकिन विपक्षी दल मोदी को नीचा दिखाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहा है।

Back to top button