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आठ नौकरियों को छोड़कर इस महिला ने किया इस चीज का बिज़नेस, आज होती है इतनी कमाई कि….

नई दिल्ली: हमारे आस-पास कई ऐसे लोग हैं, जिनकी कहानी हमें प्रेरणा देती है। कुछ लोगों का जीवन बहुत ही उतार-चढ़ाव से भरा होता है। कुछ लोग समाज के पारम्परिक नियमों को तोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं और कामयाबी का झंडा लहराते हैं। जबकि कुछ लोग सामने आने वाली मुसीबतों से पहले ही डर जाते हैं और जीवनभर वैसे ही डर डरकर रहते हैं। आज हम आपको एक ऐसी महिला की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने दम पर एक नयी राह की तलाश की और आज सफल हैं।

जीवन बदलने के लिए होती है कड़ी मेहनत और अच्छे आईडिया की जरुरत:

यह तो सभी लोग जानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। आज भी यहाँ की लगभग 67 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है। गांवों में रहने वाले लोगों का मुख्य व्यवसाय आज भी कृषि ही है। हमारे समाज में पढ़ाई को आज धीरे-धीरे बहुत महत्व दिया जाने लगा है। पढ़ाई ही एक ऐसा माध्यम है, जिससे व्यक्ति अपने जीवन को बदल सकता है। कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि अच्छी पढ़ाई करके एक अच्छी नौकरी पाकर ही अपने जीवन को बदला जा सकता है, जबकि कुछ लोगों का मानना है कि जीवन बदलने के लिए नौकरी नहीं बल्कि कड़ी मेहनत और एक अच्छे आईडिया की जरुरत होती है।

प्राकृतिक संसाधनों से शुरू किया मशरूम की खेती:

पुरे उत्तराखंड में मशरूम गर्ल के नाम से मशहूर दिव्या रावत की कहानी काफी प्रेरणादायक है। दिव्या ने अपने जीवन में कई नौकरियां की, लेकिन उनके मन में कुछ हटकर करने का जूनून था। इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़कर खुद का व्यापार करने की ठानी। दिव्या ने किस्मत बदलने के लिए कृषि का सहारा लिया। जी हाँ उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए मशरूम की खेती शुरू की। धीरे-धीरे दिव्या ने अपने इस व्यापार से कई और लोगों को जोड़ा और बाद में एक कंपनी बना दी।

नौकरी छोड़कर वापस आ गयी उत्तराखंड:

आज दिव्या की इस कम्पनी का सालन टर्न-ओवर 2-2.5 करोड़ रूपये है। दिव्या ने अपने जीवन से जुड़े कुछ संघर्षों के बारे में बताया। दिव्या ने बताया कि वह उत्तराखंड के देहरादून की रहने वाली हैं। दिव्या के पिता तेज सिंह रावत एक रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर हैं। दिव्या ने अपनी पढ़ाई उत्तर प्रदेश के नॉएडा से की। दिव्या ने इसके बाद नौकरी करने की ठानी, लेकिन उनका नौकरी में मन नहीं लगता था। एक के बाद एक दिव्या ने 8 नौकरियों को छोड़ दिया। उन्हें कुछ अलग करने की चाह ने नया सोचने पर मजबूर कर दिया। दिव्या किसी व्यवसाय के बारे में सोचने लगीं और नौकरी छोड़कर वापस उत्तराखंड आ गयीं।

महिलाओं को सिखाया मशरूम की खेती का हुनर:

दिव्या ने बताया कि उन्होंने मशरूम का कारोबार केवल 3 लाख रुपयों से शुरू किया था। धीरे-धीरे दिव्या ने मशरूम की खेती से और लोगों को जोड़ना शुरू किया। बाद में दिव्या की टीम से ज्यादा लोग जुड़ गए और व्यापार भी अच्छा होने लगा। दिव्या ने बताया कि जब उत्तराखंड में 2013 में महाप्रलय आया था तब उन्होंने अपने पैतृक गाँव जाकर वहां महिलाओं को मशरूम की खेती का हुनर सिखाया था। गाँव के खाली पड़े खंडहरों और मकानों में मशरूम की खेती का काम शुरू किया गया। उस समय प्रशिक्षण प्राप्त करके आज बहुत सारी महिलाएं इस काम में लगी हुई हैं।

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