अध्यात्म

आखिर क्यों हनुमान जी को देखकर घबरा गए थे श्रीराम? सच्चाई जानकर हो जायेंगे दंग

रामायण की घटना से लगभग सभी लोग परिचित होंगे। लेकिन रामायण से जुड़ी हुई कुछ बातें ऐसी भी हैं, जिनके बारे में कम ही लोग जानते होंगे। आज हम आपको एक ऐसी ही घटना के बारे में बताने जा रहे हैं। जब श्रीराम लंका जाने के लिए परेशान हो रहे थे, उसी समय समुद्र देव ने उन्हें बताया कि आपकी सेना में नल और नील नाम के दो ऐसे वानर हैं जिन्हें पूल बनाने में दक्षता हासिल है। वो आपकी सेना की सहायता और आपके आशीर्वाद से पूल बनाने में सफलता पा सकते हैं।

उसके बाद श्रीराम ने नल और नील को बुलाकर पुल तैयार करने का काम उन्हें सौंपा। नल और नील ने इसे अपना सौभाग्य समझते हुए पुल बनाने के कार्य में तुरंत जुट गए। श्रीराम की सेना में सामिल वानर, भालू पत्थर लाकर हनुमान जी को देते थे और हनुमान जी पत्थरों पर श्रीराम का नाम लिखकर उन्हें नल और नील को दे देते थे। नल और नील उन पत्थरों को जैसे ही समुद्र में डालते थे, वह तैरने लगते थे। सभी आश्चर्य से देख रहे थे। लेकिन वानर और भालुओं को कोई आश्चर्य नहीं हुआ।

उन्हें पता था कि यह सब प्रभु श्रीराम की कृपा से हो रहा है। उन्हें श्रीराम के नाम पर पूरा भरोसा था। पुल निर्माण का कार्य तेजी से चल पड़ा। जब श्रीराम को पुल निर्माण के कार्य की प्रगति के बारे में बताया गया और उन्हें इसकी जानकारी दी गयी की हनुमान जी पत्थरों पर आपका नाम लिखकर नल नील को देते हैं और नल नील उन्हें समुद्र में रखते हैं तो पत्थर तैरने लगते हैं। यह बात सुनकर श्रीराम भी हैरानी में पद गए। उन्हें भरोसा नहीं हुआ लेकिन उन्होंने यह बात ज़ाहिर नहीं होने दी।

दिन बितता चला गया लेकिन इस बात से परेशान श्रीराम को नींद नहीं आई। जब उन्हें नींद नहीं आई तो वह उठकर बैठ गए और अपने चारो तरफ देखने लगे। वह धीरे से उठे और सबकी नजरों से बचते हुए समुद्र की तरफ निकल पड़े। उन्होंने एक पत्थर उठाया और उसे समुद्र में डाल दिया। पत्थर डालते ही डूब गया। इसके बाद उन्होंने एक पत्थर पर श्रीराम लिखा और उसे पानी में डाला। उन्हें यह देखकर बहुत आश्चर्य हुआ कि श्रीराम लिखा पत्थर पानी में तैरने लगा। श्रीराम को ऐसा करते हनुमान जी चुपचाप देख रहे थे। जब श्रीराम को हनुमान जी ने आश्चर्य में देखा तो वह श्रीराम के सामने आये।

श्रीराम उन्हें देखकर हैरान हो गए। हनुमान जी उन्हें देखकर बोले, प्रभु शक्ति आपके अन्दर उतनी नहीं है, जितनी आपके नाम में है। यह आपने अभी खुद भी करके देख लिया है। आपसे भी बड़ा आपका नाम है। जिसे भी आपके नाम का सहारा मिल जायेगा वह इस भाव सागर से जरुर पार हो जायेगा। हनुमान जी की बात सुनकर श्रीराम बोले कि तुम ठीक कह रहे हो। भविष्य में कलयुग के समय में इस नाम का प्रभाव बहुत ज्यादा होगा। कलयुग में यही नाम लोगों को भवसागर से तारने का एकमात्र सहारा होगा। उसके बाद श्रीराम वापस आये और सुख निद्रा में डूब गए।

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