राशिफल

धार्मिक दृष्टि से कल का बुधवार है बहुत खास, करेंगे ये काम तो बदल जाएगी आपकी किस्मत

धर्म इंसान को जीवन जीने का सही तरीका और अच्छाई की सीख देता है। पूरी दुनिया में कई धर्म को माना जाता है। लगभग सभी धर्म में लोगों को इंसानियत के बारे में ही सिखाया जाता है। जो सही मायनों में धार्मिक व्यक्ति होता है, वह जीवन में किसी का बुरा नहीं चाहता है। जो लोग दूसरों का बुरा करके अपने भले के बारे में सोचते हैं, भगवान उनके साथ नहीं होते हैं। धर्म और अधर्म में यही सबसे बड़ा फर्क है कि धर्म का पालन करने वाला कभी असफल नहीं होता है।

लेकिन जो लोग अधार्मिक होते हैं, उन्हें जीवन में क्षणिक सफलता भले ही मिल जाए लेकिन बाद में उन्हें पछताना ही पड़ता है। हिन्दू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म पूरी दुनिया में इकलौता ऐसा धर्म है, जहाँ इतने देवी-देवताओं को एक साथ पूजा जाता है। हिन्दू धर्म ग्रन्थ व्यक्ति को अच्छाई का मार्ग दिखाते हैं। कल बुधवार 7-2-2018 को फाल्गुन कृष्ण की प्रदोष व्यापिनी अष्टमी पड़ रही है। इसीलिए कल कालाष्टमी पर्व मनाया जायेगा।

धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन महादेव के रुद्रावतार भैरव की पूजा का विधान हैं। नारद पुराण के अनुसार कालाष्टमी के दिन भैरव और दुर्गा पूजन किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि कालाष्टमी के दिन कुत्ते को भोजन करवाना बहुत ही शुभ होता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार ब्रह्मा और विष्णु के बीच श्रेष्ठता को लेकर एक बार विवाद हो गया। इस विवाद से निपटने के लिए सभी देवता और ऋषि गण महादेव के पास पहुंचे। सभी ने आपसी सहमती से महादेव को ही सर्वश्रेष्ठ माना। लेकिन इस बात से ब्रह्मा जी खुश नहीं हुए और उन्होंने महादेव का अपमान कर दिया।

इसके बाद महादेव के क्रोध से भैरव का जन्म हुआ। कुत्ते पर सवार भैरव जी के हाथ में दंड था। यही वजह है कि भैरव जी को दंडाधिपति भी कहा जाता है। भैरव के अत्यंत भयंकर रूप को देखने के बाद ब्रह्मा जी भयभीत हो गए और तुरंत ही भैरव जी की आराधना शुरू कर दी। बुधवार को पड़ने वाली कालाष्टमी के दिन देवी दुर्गा के सुनंदा और भैरव के त्रयंबक रूप की पूजा का विधान है। विधि के अनुसार त्रयंबक भैरव की पूजा हरे मूंग और मिश्री से की जाती है। इस दिन त्रयंबक भैरव के पूजन से व्यक्ति को जीवन के सभी कष्टों और रोगों से मुक्ति मिलती है। साथ ही शत्रुओं पर भी विजय मिलती है।

पूजा की विधि:

प्रदोषकाल में हरे रंग के वस्त्र बिछाकर उसपर भैरव की प्रतिमा को स्थापित करें। इसके बाद नारियल तेल से बना हुआ चौमुखी दीपक जलाएं। तत्पश्चात तगर से धूप करके मेहन्दी से तिलक करें। इसके बाद पीले फूल, बेलपत्र और रोटी पर मूंग और मिश्री रखकर भैरव जी को भोग लगायें। किसी भी माला से नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें और बाद में भैरव को चढ़ाई गयी रोटी किसी कुत्ते को खिला दें।

मंत्र:

त्रीं त्रिलोचनाय भैरवाय नमः।।

करें यह उपाय:

*- रोगों से मुक्ति पाने के लिए भैरव जी के उओअर चढ़ाई गयी 6 मौसमी किसी कन्या को दान कर देनी चाहिए।

*- हर तरह के विवादों में जीत पाने के लिए भैरव जी पर चढ़ाया गया अंगूर किसी वृद्ध महिला को खिलाएं।

*- अपने हर शत्रु से छुटकारा पाने के लिए भैरव जी को चढ़ाई गयी 6 जलेबी किसी कुत्ते को खिला दें। आपने सभी दुश्मनों का अंत हो जायेगा।

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