स्वास्थ्य

क्या आप जानते हैं चिप्स के पैकेट में कौन सी गैस भरी होती है और क्यों?

जब भी हम चिप्स का पैकेट खरीदते हैं तो उसे देखते ही पहला सवाल ये रहता है आखिर ये चिप्स के पैकेट में चिप्स कम और हवा ज्यादे क्यों होती है.. ऐसे में चिप्स कंपनियों से एक शिकायत होती है कि कि पैसे तो हम चिप्स के देते हैं तो वो हमारे साथ धोखेबाजी क्यों करती हैं। लेकिन आपको बता दें कि असल में इसके पीछ की वजह कुछ और ही है और जिसे हम सिर्फ हवा समझते हैं वो वास्तव में एक खास गैस होती है। तो चलिए जानते हैं कि आखिर चिप्स के पैकेट में कौन सी गैस भरी जाती है और क्यों ..

जब कभी हम चिप्स के पैकेट खोलते हैं तो उसके अंदर से एक गैस निकलती है पर उसे हम महसूस नहीं कर पाते हैं ना ही उसकी महक हमे समझ में आती है  .. ऐसे में अक्सर हमारे मन ये ये सवाल उठता है कि आखिर पैकेट में थी कौन सी गैस जिसकी वजह से ये पैकेट फुला हुआ था .. अगर आप भी इस सवाल का जवाब ढ़ूढ़ रहे थें तो आज आप जान लीजिए कि वो हवा कुछ और नहीं बल्कि नाइट्रोजन गैस होती हैं। अब आप जानना चाहेंगे कि आखिर चिप्स कंपनियां नाइट्रोजन गैस पैकेट में भरती क्यों है तो आपको बता दें कि इसके पीछ कुछ जरूरी वजहे हैं .. जैसे कि

दरअसल चिप्स को टूटने से बचाने के लिए उसके पैकेट में हवा भरना जरूरी है  क्योंकि अगर उसके पैकेट में हवा नहीं होगी, तो चिप्स का पैकेट हाथ लगाने पर या आपस में टकराने से आसानी से टूट जाएंगे। आपको बता दें कि चिप्स बेचने वाली कंपनी प्रिंगल्स ने बहुत पहले चिप्स टूटने की समस्या का हल निकालने के लिए उसे पैकेट के बजाय कैन में बेचना शुरू कर किया था लेकिन चूंकि कैन की लागत छोटे चिप्स के पैकेट की अपेक्षा काफी अधिक होता है .. ऐसे में पैकेट में चिप्स बेचने के लिए उसमें गैस भरने की ट्रिक ही चिप्स कंपनियों के लिए सही रही। लेकिन फिर सवाल ये उठा कि गैस कौन सी भरी जाए क्योंकि ऑक्सीजन तो काफी रिऐक्टिव गैस है जिसकी वजह से चिप्स आसानी से खराब हो सकते हैं।

ऐसे में 1994 में इसके लिए एक अध्ययन भी किया गया, जिसमें चिप्स के पैकेट में नाइट्रोजन गैस भरना सेफ पाया गया ।असल में नाइट्रोजन गैस पूरी तरह रंगहीन, गंधहीन और स्वादहीन होती है। साथ ही ये गैस निष्क्रिय भी होती है जबकि वहीं ऑक्सिजन गैस बहुत जल्दी रिएक्ट करती है जिसकी वजह से चिप्स खराब हो सकते हैं और उसमें बैक्टीरिया भी पनप सकते हैं .. साथ ही नाइट्रोजन गैस से पैकेट में रखे चिप्स अधिक कुरकुरे बने रहते हैं जबकि ऑक्सीजन गैस होने पर ये चिप्स जल्दी सील सकते हैं। ऐसे में खाद्य पदार्थों के पैकेट में ऑक्सीजन के बजाय नाइट्रोजन ही भरी जाती है। इसके अलावा नाइट्रोजन गैस भरी होने से ऐसे पैकेट के ट्रांसपोर्टेशन में भी आसानी रहती है।

वहीं अगर बिजनेस के हिसाब से देखा जाए तो गैस भरी होने से चिप्स के पैकेट का साइज काफी बड़ा दिखता है, जिससे ग्राहक को लगता है कि उसमें चिप्स भी ज्यादा होगी और इससे उसकी खरीद बढ़ती है।

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