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योगी-केशव के बीच अनबन की आशंका, पार्टी हाई-कमान में टेंशन की लहर

उत्तर प्रदेश: यूपी की बीजेपी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है, हालांकि पार्टी हाई कमान इसे छिपाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन बीते दिनों यूपी में होने वाली घटनाओं पर नजर डाला जाए तो यही पता चलता है कि पार्टी में किसी न किसी तरह का कलह जारी है। तो आइये जानते हैं कि आखिर योगी-केशव के बीच अनबन की आशंका क्यों है?

यूपी के सीएम और डिप्टी सीएम एक मंच पर आने से कतराने लगे हैं। जी हां, गुजरात और हिमाचल में शपथ ग्रहण समारोह में डिप्टी सीएम केशव के बजाय दूसरे डिप्टी सीएम दिनेश गये थे, चलो इसे इत्तेफाक मान लेते हैं। लेकिन ताजा मामला यूपी दिवस का है। बता दें कि यूपी दिवस के मौके पर एक बार फिर सीएम योगी और उप मुख्यमंत्री केशव एक मंच पर नहीं दिखे। मामला जब तूल पकड़ने लगा तो पार्टी ने बड़ी ही चतुराई से सफाई दे दी कि केशव उस दिन मुंबई में थे, जिसकी वजह से वो आ नहीं पाए, लेकिन ये बात जमी नहीं, क्योंकि केशव के पास बीजेपी से नाराज होने के बहुत से वजह है, तो आइये जानते हैं कि आखिर केशव बीजेपी से किन वजहों पर नाराज हो सकते हैं?

दरअसल, यूपी में बीजेपी का वनवास खत्म करने के पीछे केशव प्रताप मौर्या ने बहुत ही मेहनत की थी। केशव की लगन और मेहनत को देखते हुए ही उन्हें पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। विधानसभा चुनाव के दौरान केशव ने खूब मेहनत की, इसके पीछे केशव को ये लगता था कि उन्हे सीएम बनाया जाएगा, लेकिन यहां बीजेपी फंस गई थी, क्योंकि बीजेपी के लिए योगी और केशव एक ही मयान के तलवार हैं। जी हां, जहां एक तरफ केशव बीजेपी के लिए यूपी में सपा-बसपा का वोट बैंक बटौरने का काम करते हैं, तो वहीं दूसरी तरफ कट्टर हिंदू की छवि रखने वाले योगी यूपी के अग्रणी जातियों का वोट बैंक का काम करते हैं, ऐसे में बीजेपी को दोनों में से किसी को चुनना था।

याद दिला दें कि केशव मुख्यमंत्री पद की तैयारी भी कर चुके थे, जिसका जीता जागता उदाहरण है कि केशव ने बीजेपी को जीतने के बाद जहां अखिलेश यादव बैंठते थे, वहां उन्होंने अपने नाम का बोर्ड लगवा लिया था, लेकिन बाद में उसे बदलकर योगी का बोर्ड लगवाया गया, जिसके बाद केशव को नाराज करने की वजह से उन्हें उप मुख्यमंत्री का पद मिला, लेकिन सूत्रों की माने तो केशव अपने इस पद से नाखुश हैं, जोकि बीजेपी के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है। केशव और योगी के एक मंच पर न आने की वजह से आशंकाएं जताई जा रही है कि सरकार और संगठन के बीच कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है।

बता दें कि जहां संगठन पद होगा, वहां हित जरूर टकरारते हैं। हालांकि, आगामी लोकसभा के लिए बीजेपी ने यूपी की 80 की सीट जीतने का लक्ष्य रखा है, ऐसे में बीजेपी नहीं चाहती है कि घर का झगड़ा जनता के बीच आए, वरना खामियाजा समाजवादी पार्टी की तरह ही भुगतना पड़ सकता है, यही वजह है कि पार्टी हाई कमान केशव को खुश करने की हर एक कोशिश कर रही है, क्योंकि केशव बीजेपी के लिए सपा-बसपा का वोट बैंक तोड़ने का काम करते हैं।

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